जेटली ने लोकपाल की नियुक्ति और उसे हटाने की प्रक्रिया के अलावा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच व राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति से जुड़े प्रावधानों में कमियों को लेकर प्रभावी तर्क पेश किए.
उन्होंने कहा कि हम इससे पहले आठ बार लोकपाल विधेयक पारित नहीं कर पाए हैं और इससे हमारे ऊपर एक सवालिया निशान लग गया है.
उन्होंने कहा कि पूरा देश हमारा बहस देख रहा है और जो लोग कमजोर लोकपाल का समर्थन करेंगे उन्हें जनता माफ नहीं करेगी.
भाजपा नेता ने कहा कि यह सदन के सदस्यों की परीक्षा है कि क्या वे एक कमजोर लोकपाल विधेयक को मंजूर करते हैं या फिर इसे मजबूत बनाने वाले संशोधनों का समर्थन करते हैं.
इसके बाद अपने भाषण में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा पर विधेयक को पास नहीं कराने के लिए बहाने बनाने का आरोप लगाया.
सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए सिंघवी ने भाजपा का इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट नहीं होने का भी आरोप लगाया.
जेटली पर निशाना साधते सिंघवी ने कहा कि मूलभूत सवाल यह है कि आप लोकपाल विधेयक पास करवाना चाहते हैं या नहीं?
उन्होंने कहा कि यदि आप विधेयक पास नहीं करवाना चाहते हैं तो ऐसा कीजिए और बहाने छोड़ने का हिम्मत दिखाइए.
उन्होंने भाजपा से कहा कि राष्ट्र से यह मत छिपाइए कि आप विधेयक पास करवा रहे हैं और दूसरे सदन आपके साथी कहते हैं कि इसे स्थाई समिति के पास भेज दीजिए. कृपया अपनी प्रतिबद्धता के प्रति ईमानदार रहिए और एक रुख अख्तियार कीजिए.
सिंघवी ने कहा कि आर्टिकल 253 ट्रीटी, इंटरनेशन कनवेंशन की शर्तों को स्वीकार्य करने का अधिकार देता है. इस बिल में आरक्षण कोटा का कोई प्रावधान नहीं है.
सिंघवी ने कहा कि पहली बार बडे और मझौले भ्रष्ट्राचारियों पर नकेल कसने की व्यवस्था की गई है लेकिन इसमें एक रेखा खीचने की जरूरत है.