दुर्गा पूजा का त्योहार श्रद्वा व विश्वास का त्योहार है. आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष के साथ ही दुर्गा अष्टमी की धूमधाम शुरू हो जाती है.
मां दुर्गा का आठंवा रुप महागौरी के नाम से जाना जाता है. अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा का विधान है. सोमवार को पूजा पंडालों में कुमारी पूजा की गई.
महाष्टमी वाले दिन छोटी बच्ची को मां दुर्गा का रूप देकर उसकी पूजा की जाती है.
संपति और सौभाग्य की प्रतीक महालक्ष्मी के रुप में देवी की पूजा संधि काल में की जाती है. यह पूजा एक सौ आठ दीयों से की जाती है और नवमी तिथि को देवी को भोग चढ़ाया जाता है.
ऎसा माना जाता है कि अष्टमी के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था.
श्री गणेश की पत्नी के रुप में एक केले के स्तंभ को लाल बार्डर वाली नई सफेद साड़ी से सजाकर उसे उनकी पत्नी का रुप दिया जाता है. इसके साथ ही दुर्गा पूजा के अवसर पर एक हवन कुंड बनाया जाता है. जिसमें धान, केला, आम, पीपल, अशोक, कच्चू, बेल आदि की लकडियों से हवन किया जाता है. इसी दिन महासरस्वती की पूजा एक सौ आठ कमल के फूलों से की जाती है.
इसकी अगली तिथि, सप्तमी तिथि के दिन दुर्गा के पुत्र गणेश और उनकी पत्नी की विशेष पूजा की जाती है.
षष्ठी के दिन मां दुर्गा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. इसके साथ ही दुर्गापूजा की शुरुआत होती है. इसी दिन माता के मुख का आवरण हटाया जाता है.
दिल्ली के सफदरजंग एंक्लेव में लंदन ओलंपिक की थीम पर सजाया गया पूजा पंडाल.
ओलंपिक थीम पर सजे इस पंडाल में विभिन्न खेलों को दिखाया गया है.
रात के वक्त ओलंपिक थीम पर सजे की पंडाल की रौनक देखते ही बनती है.
पंडाल में ओलंपिक का लोगो लगाया गया है.
ओलंपिक थीम पर सजे इस पंडाल को देखने लोग पहुंच रहे हैं.
सफदरजंग एंक्लेव का यह पंडाल रात के वक्त लाइट से अलग ही जगमगाया दिखता है.
ओलंपिक थीम पर बना यह पंडाल बच्चों के लिए अधिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
सी.आर.पार्क के बी ब्लॉक की पूजा में बेलूर मठ में स्वामी विवेकानंद के घर को दिखाया गया है.
दिल्ली के चितरंजन पार्क के बी ब्लॉक की पूजा ने पंडाल को स्वामी विवेकानंद के 150वें जयंती को समर्पित किया है.
इसके साथ ही दक्षिणेश्वर मंदिर को भी दिखाया गया है जहां स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण ने आध्यात्म ज्ञान हासिल किया था.
पंडाल को गौर आर्किटेक्चर के विभाजन के पहले के बंगाल (1700-1900) पर सजाया गया है.
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश 2 के पूजा पंडाल को 'सेव गर्ल चाइल्ड' की थीम पर बनाया गया है.
इस त्योहार में पंश्चिम बंगाल की संस्कृति का जितना बड़ा उल्लास इस मौके पर दिखाई देता है वैसा और किसी मौके पर और यहां नहीं दिखाई नहीं देता है.
दुर्गापूजा की सांस्कृतिक विविधता,तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रम और देर रात तक चलने वाली सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं बेहद रोचक होती हैं और वे लोगों को बेहद आकर्षित करती हैं.
आकर्षक प्रतिमाओं के दर्शन करने तथा पूजा-आरती के दौरान पंडालों पर भी श्रद्धालु उमड़ते हैं.
दुर्गापूजा की सांस्कृतिक विविधता,तरह-तरह के रंगारंग कार्यक्रम और देर रात तक चलने वाली सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं बेहद रोचक होती हैं.
कलाकारों ने पंडाल को विशेष तरह से सजाया है.
दुर्गा पंडाल को विशेष लाइट से सजाया गया है.
चितरंजन पार्क का मेला ग्राउंड पूजा कई सालों से चली आ रही है.
विसर्जन से पहले विवाहित स्त्रियां माता कि पूजा करती है, और माथे पर सिन्दूर लगाती है. बाद में सभी लोग आपस में मिठाईयां बांटते है. और सिंदूर खेला जाता है.
दशमी के दिन मां दुर्गा को विसर्जित कर दिया जाता है और वो अपने मायके से ससुराल चली जाती हैं.
माना जाता है कि दुर्गा पूजा के समय मां दुर्गा अपने बच्चों के साथ मायके रहने आती हैं.
मां के इस भव्य रूप को देखने के लिए पंडालों में भक्तों की भीड़ लग जाती है.
सभी पूजा पंडालों को सुंदर ढंग से सजाया जाता है, कई पंडालों में कलाकारों द्वारा सुंदर नक्काशी भी देखने को मिलती है.
दुर्गा पूजा पंडाल में ढाक की थाप सुबह से शुरू हो जाती है.
दशमी के बाद मां दुर्गा को विसर्जित कर दिया जाएगा.
दिल्ली के कई पूजा पंडालों को थीम के मुताबिक सजाया गया था.
सभी दुर्गा पूजा पंडालों में मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जा रही है.