रविवार को उत्तर भारत को जिस भूकंप ने झकझोरा, उस तबाही की तस्वीर अब धीरे-धीरे सामने आ रही है.
सिक्किम और बाकी जगहों पर भूकंप से मरने वालों की संख्या 75 बताई जा रही है.
आजतक ने दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में भी भूकंप के असर को देखा, तो अंदाजा हुआ इस बर्बादी के दायरे का.
कहीं जमींदोज हो चुकी इमारतें, कहीं टूटी-फूटी दीवारें. जख्मियों से भरे अस्पताल के बिस्तर और इन सब के बीच राहत में लगातार लगे हुए अर्ध सैनिक बलों के जवान.
रविवार को जिस तरह उत्तर भारत को भूकंप ने झकझोर दिया, उस तबाही की तस्वीर अब धीरे-धीरे सामने आ रही है.
सिक्किम और बाकी जगहों पर भूकंप से मरने वालों की संख्या 75 के पार बताई जा रही है.
आजतक ने दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में भी भूकंप का असर देखा, तो अंदाजा हुआ बर्बादी के दायरे का.
रविवार को सिक्किम और नेपाल के बॉर्डर पर जो भूकंप आया, उसमें तबाही का तांडव एकदम से सामने नहीं दिखाई पड़ा.
रिक्टर पैमाने पर 6.9 की तेजी किस कदर बर्बादी ला सकती है इसी हकीकत को सामने लाने के लिए आजतक की टीम सिक्किम पहुंची.
सिक्किम को भारत से जोड़ने वाले मार्ग यानी गैंगटोक-सिलिगुड़ी हाइवे की तस्वीर देखने पर पता चलता है कि भूकंप के झटके ने पहाड़ को हिला दिया और सड़क की सूरत बदल गई.
आम दिनों में बिजी रहने वाले हाइवे पर घंटों गाड़ियां गायब रहीं क्योंकि जगह-जगह रास्ते पर मलबा गिर गया. किनारों पर धरती फट गई और रास्ते कट गए.
कुदरत के कहर से इस घर का कोई कोना नहीं बचा. दीवारें ढह गईं और ऊपर आ गिरी छत.
अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त इस मकान में मौजूद इंसान का क्या हाल हुआ होगा.
सेना के कैंप में भी कई जगह लोगों के लिए चिकित्सा इंतजाम किए गए हैं और आशंका जाहिर की जा रही है कि सिक्किम के उत्तरी इलाके में अभी भी कुछ लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं.
वैसे हाइवे खुलने के बाद अब राहत टीम पूरी तरह से मदद में जुट गई है. सेना के 5 हजार से ज्यादा जवान रेस्क्यू में लगे हुए हैं.
रविवार को आए भूकंप ने सिक्किम में सबसे ज्यादा तबाही मचाई लेकिन, देश के दूसरे कई ऐसे भी शहर और इलाके हैं जिन्होंने जलजले का कहर झेला
दार्जिलिंग के गोरुबथन इलाके के लोग अब भी खौफ में हैं. यहां के चाय बागान में करने वाले लोगों के घर बुरी तरह बर्बाद हो गए हैं.
लोगों के पास ना तो खाने के लिए कुछ है और ना ही सोने के लिए बिस्तर. प्रशासन की तरफ से खाने का भी इंतजाम नहीं किया गया है.
कोलकाता के लोग भूकंप की दहशत से अब तक नहीं उबर पाए हैं. इलाके में अब भी अफरा तफरी
सड़कों पर पड़ी दरारें खुद बयां कर रही हैं कि भूकंप का असर कितना था. हाइवे के किनारे की मिट्टी भी पूरी तरह से धंस गई है.
जलपाईगुड़ी सिटी में जलजले के असर से ये इमारत दूसरे इमारत की तरफ झुक गई है.
जलजले का खौफ उत्तरी दिनाजपुर के रायगंज के इन लोगों के दिलों में अब भी है.
इस तबाही में तीन लोगों की यहां जान चली गई थी औऱ जो घायल हुए वो इस अस्पताल में भर्ती हैं.
नेपाल में कहा जा रहा है कि 1934 के बाद पहली बार ऐसा भूकंप सामने आया है.
रविवार के झटके ने काठमांडू में एक दूतावास की इमारत को नुकसान पहुंचाया. हालांकि वही मौजूद भारतीय दूतावास सुरक्षित है.
रविवार के भूकंप ने नेपाल में भी तबाही मचाई. इस तगड़े झटके में काठमांडू में ब्रिटिश दूतावास के कैंपस की दीवार गिर गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.
इस बीच नेपाल के भूकंप का एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया है.
नेपाल में अबतक नौ लोगों के मरने की खबर है, जबकि 100 से ज्यादा जख्मी हो गए हैं.
देश के भूकंप विभाग के मुताबिक झटकों की वजह से पूर्वी नेपाल के तपलेजुंग, सनखुवासाभा और रामेछाप जिलों में करीब 103 मकानों को नुकसान पहुंचा है.
काठमांडू में भूकंप के बाद करीब एक दर्जन हल्के झटके आए हैं जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर चार दर्ज की गई.
रविवार को आए भूकंप ने सिक्किम में सबसे ज्यादा तबाही मचाई लेकिन, देश के दूसरे कई ऐसे भी शहर और इलाके हैं जिन्होंने जलजले का कहर झेला
वैसे हाइवे खुलने के बाद अब राहत टीम पूरी तरह से मदद में जुट गई है. सेना के 5 हजार से ज्यादा जवान रेस्क्यू में लगे हुए हैं.
सेना के कैंप में भी कई जगह लोगों के लिए चिकित्सा इंतजाम किए गए हैं और आशंका जाहिर की जा रही है कि सिक्किम के उत्तरी इलाके में अभी भी कुछ लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं.
इस भूकंप में मजबूत से मजबूत मकानों की छतें फट गईं.
अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त इस मकान में मौजूद इंसान का क्या हाल हुआ होगा.
कुदरत के कहर से इस घर का कोई कोना नहीं बचा. दीवारें ढह गईं और ऊपर आ गिरी छत.
आम दिनों में बिजी रहने वाले हाइवे पर घंटों गाड़ियां गायब रहीं क्योंकि जगह-जगह रास्ते पर मलबा गिर गया. किनारों पर धरती फट गई और रास्ते कट गए.
सिक्किम को भारत से जोड़ने वाले मार्ग यानी गैंगटोक-सिलिगुड़ी हाइवे की तस्वीर देखने पर पता चलता है कि भूकंप के झटके ने पहाड़ को हिला दिया और सड़क की सूरत बदल गई.
रिक्टर पैमाने पर 6.9 की तेजी किस कदर बर्बादी ला सकती है इसी हकीकत को सामने लाने के लिए आजतक की टीम सिक्किम पहुंची.
रविवार को सिक्किम और नेपाल के बॉर्डर पर जो भूकंप आया, उसमें तबाही का तांडव एकदम से सामने नहीं दिखाई पड़ा.
आजतक ने दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में भी भूकंप का असर देखा, तो अंदाजा हुआ बर्बादी के दायरे का.
सिक्किम और बाकी जगहों पर भूकंप से मरने वालों की संख्या 75 के पार बताई जा रही है.
रविवार को जिस तरह उत्तर भारत को भूकंप ने झकझोर दिया, उस तबाही की तस्वीर अब धीरे-धीरे सामने आ रही है.
कहीं जमींदोज हो चुकी इमारतें, कहीं टूटी-फूटी दीवारें. जख्मियों से भरे अस्पताल के बिस्तर और इन सब के बीच राहत में लगातार लगे हुए अर्ध सैनिक बलों के जवान.
आजतक ने दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में भी भूकंप के असर को देखा, तो अंदाजा हुआ इस बर्बादी के दायरे का.
सिक्किम और बाकी जगहों पर भूकंप से मरने वालों की संख्या 75 बताई जा रही है.
रविवार को उत्तर भारत को जिस भूकंप ने झकझोरा, उस तबाही की तस्वीर अब धीरे-धीरे सामने आ रही है.