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भारत

संपादकों को पसंद आईं ये फिल्‍में

संपादकों को पसंद आईं ये फिल्‍में
  • 1/16
बीए पास
एक आंटी, जो अपने पति से परेशान है. एक लड़का, जिसे अपनी बहन की चिंता है और बुआ के तानों तले जी रहा है और इन सबके बीच जिस्म और पैसे का ताना-बाना. बीए पास जैसे नामों की दर्जनों छिछली सी ग्रेड फिल्में हर साल बनती हैं. इसलिए नाम पर मत जाइए. ये बेहद सभ्य, सनसनी और देह दर्शन के झूठे दावों से दूर और जिंदगी की कुछ काली हकीकतों से वाकिफ कराती फिल्म है.
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  • 2/16
बॉम्बे टॉकीज
करण जौहर, अनुराग कश्यप, दिबाकर बनर्जी और जोया अख्तर जब साथ आए, तो बनी चार कहानियों वाली ये फिल्म, जो हमारी जिंदगी में पैबस्त सिनेमा के अलग अलग रुप, रंग, स्वाद और गंध को बयां करती है. बच्चों को परियों का इंतजार हो, या बच्चन से मिलने को ही जिंदगी का जुनून मान चुका एक फैन या फिर अपने खोए स्टारडम से जूझता एक एक्टर, सब कहानियां गरम भाप की तरह हैं.
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  • 3/16
भाग मिल्खा भाग
बॉलीवुड के बायोपिक चैप्टर का शानदार पन्ना. एक एथलीट की जिंदगी सिर्फ ट्रैक पर हासिल तमगों तक सीमित नहीं होती. उसके पीछे अतीत की खट्टी मीठी यादें होती हैं. कुछ खरोंच और काफी खून पसीना होता है.फरहान अख्तर की मेहनत और माद्दे से भरी एक्टिंग. प्रसून जोशी की गठीली और खूबसूरत स्क्रिप्ट, राकेश ओमप्रकाश मेहरा का कड़ा निर्देशन. मस्ट मस्ट वॉच
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  • 4/16
इनकार  
आज देश में वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न और विशाखा एक्ट पर बहस हो रही है. इस साल के शुरुआत में आई इनकार एक ही वर्कप्लेस में कभी मेंटर, कभी दोस्त, तो कभी प्रतिस्पर्धी के रूप में काम करते आदमी और औरत के रिश्तों की कई परतें खूबसूरती और संजीदगी से दिखाती है. सुधीर मिश्र की इस फिल्म ने हिंदी दर्शकों को ऐड वर्ल्ड की दुनिया में झांकने का मौका दिया.
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  • 5/16
जॉली एलएलबी
जानकार कोर्ट में कानून का कैसा मजाक बनाते हैं. रुपयों और हैसियत के हिसाब से इसके मायने कैसे बदल जाते हैं. इसे रोचक अंदाज में पेश किया है सुभाष कपूर ने इस फिल्म में. मेरठ के बहाने मेट्रो और कस्बे के बीच का तनाव भी बखूबी पर्दे पर आया है. अरशद वारसी और बोमान ईरानी की ये फिल्म हैवी मुद्दों को हल्के ढंग से पेश करती है. व्यंग्य को सिनेमा पर एक नई शकल देते हैं कपूर.
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  • 6/16
लिसन अमाया
इस फिल्म के जरिए चश्मे बद्दूर जोड़ी दीप्ति नवल और फारुख शेख पर्दे पर 25 बरस बाद साथ आए. कहानी का तीसरा सिरा पकड़ा शानदार एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने. एक विधवा मां और बेटी का रिश्ता. इसमें शुरुआती खिंचाव आता है एक अधेड़ के आने से, जिसका पहले बेटी से कारोबारी रिश्ता जुड़ता है और फिर उसकी मां से नेह की जमीन पर जुगलबंदी होती है.
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  • 7/16
लुटेरा
इत्मिनान से बनाई गई बेइंतहां खूबसूरत पीरियड फिल्म. जहां एक एक फ्रेम ब्लैक एंड वाइट दिनों की सहलाती याद से सजा है. सोनाक्षी सिन्हा और रणवीर सिंह की कमाल की एक्टिंग. शानदार गाने और उनका जबरदस्त ढंग से मूल्यांकन. फिल्म हर दौर से गुजरती है, मगर कहीं भी शोर के लिए गुंजाइश नहीं रखती. लुटेरा हमारे वक्त की क्लासिक पीरियड फिल्म कही जा सकती है.
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  • 8/16
मेरे डैड की मारुती
एक सुपर ढिंचाक फिल्म, जिसका म्यूजिक, एक्टिंग, डांस और कहानी, सब फुल्टू एंटरटेनिंग हैं. और इतना सब होने के बाद भी किसी भी एलिमेंट की ओवरडोज नहीं है. इस फिल्म को आप कहीं से भी, कभी भी और कितनी भी बार देख सकते हैं. इस फिल्म से यह हौसला भी पैदा होता है कि बिना हैवी स्टार कास्ट के अच्छा और मनोरंजक सिनेमा बनाया जा सकता है.
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  • 9/16
गोलियों की रासलीला रामलीला
इस साल की सबसे खूबसूरत फिल्म. रंगों को देखने का एक नया नजरिया मिलेगा आपको. प्यार की ऐसी बेबाकी, जब मैं मैं नहीं रहता और वो वो नहीं रहते. रास शब्द को नए नवेले और दिलचस्प ढंग से पेश किया है दीपिका और रणवीर ने. संजय लीला भंसाली ने इस फिल्म में अपने असल रचनाकार को बचाकर रखा और हमेशा की तरह एक अलग ही दुनिया रची है, जहां श्रंगार और सौंदर्य जिंदगी का अनिवार्य अंग होते हैं.
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  • 10/16
शाहिद
फिल्म शाहिद जरूर देखिए. अपनी सोच की धूल साफ करने में मदद हासिल होगी. एक्टर राजकुमार ने जिगर निकाल कर रख दिया वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहिद सिद्दीकी के रोल में. फिल्म की कहानी. इसकी बुनावट, इसके संवाद, एक-एक एक्टर का अपने किरदार को जज्ब करने का तरीका, हमें बार-बार पहलू बदलने और भीतर संजोने को प्रेरित करता है.
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  • 11/16
शुद्ध देसी रोमांस
चक दे इंडिया फेम जयदीप साहनी ने एक बार फिर पैटर्न तोड़ा और आज के जमाने की खालिस लव स्टोरी दिखाई. जिसमें कन्फ्यूजन है, बेबाकी है और अपनी गलतियों को, अपने आधे-अधूरेपन को स्वीकार करने का साहस भी है. परिणिति, सुशांत और वाणी ने इस ताजे अंदाज वाली फिल्म को तसल्लीबख्श ऊर्जा दी है. युवा हैं और प्यार करते हैं, साथ में बराबरी की भी बात करते हैं, तो इसे जरूर देखें.
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  • 12/16
स्पेशल 26
ए वेडनेसडे वाले नीरज पांडे की इस फिल्म ने बॉलीवुड के तड़क भड़क वाले रेट्रो अंदाज पर एक तमाचा जड़ा.रियल फिल्म, कॉनमैन की दुनिया दिखाती. सच्ची घटनाओं पर आधारित और अक्षय कुमार जैसे स्टार से भी एक्टिंग करवाती. फिल्म ने साजिशों और उनके क्रियान्वन की रफ्तारों के बीच इंसान रिश्तों को उभारने के लिए भी पर्याप्त जगह बनाई है.
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  • 13/16
मद्रास कैफे
इस फिल्म ने बता दिया कि बॉलीवुड भी एक वॉर फिल्म बना सकता है. फिल्म में लोकेशन से लेकर स्क्रिप्ट तक जमकर मेहनत की गई है. यह हर मोड़ पर प्रामाणिक दिखती है और लिट्टे के उभार और भारत में उसके असर के कई सिरे खूबसूरत और बेबाक ढंग से सिनेमा पर लेकर आती है. जॉन अब्राहम और शुजीत सरकार की जुगलबंदी का एक कमाल कारनाम है ये.
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  • 14/16
घनचक्कर
राजकुमार गुप्ता की ये फिल्म कॉमेडी, ट्रैजडी और थ्रिलर का मिला जुला और यकीन से भरा रूप है. इस फिल्म को एकबारगी देखने पर लग सकता है कि ये क्या चक्कर चल रहा है. मगर कुछ ठहरकर देखने और सोचने पर समझ आता है कि एक जॉनर जिसे डार्क कॉमेडी कहते हैं, यहां है. विद्या बालन और इमरान हाशमी समेत सभी एक्टर्स का काम नई लीक पर चलने जैसा है.
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  • 15/16
द लंच बॉक्स
बेहद सच्ची, सरल, कई परतों में नुमांया होती फिल्म है ये. ये सिर्फ लव स्टोरी नहीं है.ये खुद को नए सिरे से समझने, बीते वक्त के अंधेरे में घिरे जालों को साफ करने और एक नए सफर का हौसला कायम करने की कहानी है. ये अंदर की आवाज से राब्ता कायम करने और समाज में सच सी हो चुकी खौफनाक सोचों की पपड़ी उखाड़ने की कोशिश भी है.
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  • 16/16

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