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भारत

34 साल पहले चाय की कीमत कंट्रोल कर चर्चा में आए थे चिदंबरम

34 साल पहले चाय की कीमत कंट्रोल कर चर्चा में आए थे चिदंबरम
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पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम आखिरकार आईएनएक्स मीडिया केस में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार हो गए हैं. सीबीआई और ईडी पिछले दो दिनों से पूर्व वित्त मंत्री की तलाश में जुटी थी, लेकिन लंबे इंतजार और मशक्कत के बाद बुधवार की रात चिदंबरम गिरफ्तार हो ही गए. इससे पहले वह कांग्रेस दफ्तर में अचानक सबके सामने आए. फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. गिरफ्तारी के लिए अफसरों ने दीवार भी फांदी और फिर गिरफ्तारी हुई. यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में चिदंबरम सरकार के संकटमोचक रहे, लेकिन अभी उनके बुरे दिन चल रहे हैं.
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पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम शुरुआती दौर में चेन्नई हाई कोर्ट में वकालत किया करते थे. साल 1984 में वे वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित हुए. चिदंबरम कई राज्‍यों के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील वकालत कर चुके हैं. चिदंबरम के परिवार में पत्नी नलिनी चिदंबरम और एक बेटा है. उनकी पहचान देश के चर्चित वित्त मंत्री के रूप में रही है और वह मोरारजी देसाई (10) के बाद सबसे ज्यादा 9 बजट पेश करने वाले दूसरे वित्त मंत्री हैं.
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1991 में पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान जून 1991 में पी. चिदंबरम को राज्य मंत्री के पद पर वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी बनाया गया. वर्ष साल 1995 में वह दोबारा इस पद पर आसीन हुए. इस बीच 1996 में चिदंबरम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और तमिल मनिला कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़ गए और आम चुनाव में हिस्सा लिया. 2001 में उन्होंने एक पार्टी का गठन किया लेकिन विधानसभा चुनाव में नाकाम रही तो 2004 के चुनाव से पहले वह कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए.
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राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान पी. चिदंबरम ने सितंबर 1985 में कार्मिक मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय में उप-मंत्री के तौर पर काम किया. इस दौरान उन्हें चाय की कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए खूब चर्चा मिली और श्रीलंका सरकार ने चाय की कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए यह कहते हुए उनकी आलोचना की कि इससे श्रीलंका में चाय का व्यापार बर्बाद हो जाएगा. चिदंबरम के काम को देखते हुए 5 महीने बाद जनवरी 1986 में लोक-शिकायत और पेंशन मंत्रालय के साथ कार्मिक मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. फिर 9 महीने बाद अक्टूबर 1986 में गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाने हुए आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार दिया गया.
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दक्षिण की राजनीति के दिग्गज कहे जाने वाले पी. चिदंबरम 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से जुड़े. वह 1973 में तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रहे. 1984 में तमिलनाडु की शिवगंगा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के साथ चिदंबरम की सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई. वह इस सीट से लागातार 6 बार जीते.
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सिर्फ अन्‍ना हजारे की गिरफ्तारी ही नहीं बल्कि रामलीला मैदान में योगगुरु रामदेव के समर्थकों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में भी तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर सवाल उठे थे और उनकी खूब किरकिरी हुई थी.
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जून 1996 में एचडी देवगौड़ा की अगुवाई वाली मिली-जुली सरकार में पी चिदंबरम पहली बार वित्त मंत्री बने और 1997 में उन्होंने पहली बार बजट पेश किया जिसे ड्रीम बजट कहा जाता है. इंद्र कुमार गुजराल के काल में भी वह वित्त मंत्री रहे.
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6 साल तक अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए राज के बाद 2004 में मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए सरकार अस्तित्व में आई चिदंबरम फिर से वित्त मंत्री बने. वह इस पद पर 2008 तक रहे. साल 2008 में दिल्ली में आतंकवादी धमाकों के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफा दिए जाने के बाद चिदंबरम को गृह मंत्री बनाया गया. मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में वह 2012 में फिर से वित्त मंत्री बने.

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7 अप्रैल 2009 को दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान एक सिख पत्रकार जनरैल सिंह ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की. भारत में किसी राजनेता के ऊपर जूता फेंकने की शुरुआत थी और इस घटना के बाद देश में कई नेताओं और लोगों के ऊपर सार्वजनिक तौर जूते फेंकने की घटना हुई थी.
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