कहा जाता है कि किताबें लोगों की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. जयपुर में चल रहे 5 दिनों के साहित्य उत्सव में देश-विदेश के लेखकों समेत प्रशंसकों और पाठकों की भीड़ जुटी.
एक ओर जहां विभिन्न लेखकों और उनकी पुस्तकों से में चार चांद लगे वहीं लेखक सलमान रुश्दी प्रकरण से इस साहित्य समारोह में एक धब्बा भी लगा.
अभिनेता, लेखक और नाटकार गिरीश कर्नाड भी जयपुर साहित्य समारोह में शिरकत करने गुलाबी नगरी में आए.
पुस्तक प्रेमियों को राजस्थान की शीतलहर और कोहरा भी नहीं रोक सके.
ओपरा विनफ्रे की एक प्रशंसक अपने हाथ में एक पोस्टर लिए हुए, जिसपर लिखा है, 'ओपरा, मैंने तुम्हारे एक मिनट के लिए 10 साल इंतजार किया है.'
अमेरिकी टीवी टॉकशो सेलिब्रिटी ओपरा विनफ्रे के चाहने वालों की भारत में भी कोई कमी नहीं है.
जयपुर साहित्य उत्सव में भारतीय परिधान सलवार-कमीज में पहुंचीं ओपरा विनफ्रे.
भूटान की राजमाता असी दोरजी वांग्मो वांग्चुक ने जयपुर साहित्य उत्सव का उद्घाटन किया.
कभी अन्ना हजारे के साथी रहे स्वामी अग्निवेश भी जयपुर साहित्य महोत्सव में दिखे.
जिनको पंडाल के अंदर जगह नहीं मिली वो समारोह स्थल के बाहर ही जुटे रहे.
साहित्य उत्सव के दौरान ना केवल भारत से बल्कि विदेश से भी काफी लोग आए.
साहित्य उत्सव के दौरान सांसद और लेखक शशि थरूर भी अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर के साथ दिखे.
शशि थरूर आपने चाहने वालों से बात करते हुए. थरूर अक्सर अपने ट्वीट्स के जरिए चर्चा में बने रहते हैं.
जयपुर साहित्य समारोह में पुस्तक प्रमियों ने ना केवल पुस्तकों का बल्कि खाने-पीने का भी जमकर लुत्फ लिया.
किताब के दीवानों के लिए देश की सीमाएं कोई सीमा नहीं होती. फिर चाहे उन्हें सात समंदर पार भारत ही क्यों ना आना पड़े.
जयपुर के दिग्गी पैलेस में चार-पांच पांडालों में जगह-जगह साहित्य के कार्यक्रम हुए और हर पंडाल ठसाठस भरा रहा.
गुलाबी शहर जयपुर में हल्की ठंड की खुमारी में वहां की संस्कृति के प्रतीक दिग्गी पैलेस में आयोजित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ग्लैमर, मीडिया, राजनीति और साहित्य के ‘मिक्स’ से एक लाजवाब आयोजन बन गया.
साल 2011 में इस फेस्टिवल में प्रतिदिन औसतन 6000 लोगों ने शिरकत की थी.
जयपुर साहित्य समारोह के आयोजकों के मुताबिक इस साल महोत्सव में करीब 12000 लोग भाग लेने आए.
बताया गया कि इस साल दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों के अंग्रेजी विभागों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में ‘साहित्यिक’ माहौल को देखने-महसूस करने आए.
इसी साहित्यिक माहौल के दौरान किसी किताब पर चर्चा करते हुए लेखक गिरीश कर्नाड.
पहले यह कहा जाता रहा है कि एक हिंदी प्रदेश में हो रहे इस मेले में भारतीय भाषाएं कहां हैं? लेकिन अब संख्या के आधार पर देखें तो ऐसा कहने का कोई कारण दिखाई नहीं देता. धीरे-धीरे इसमें भारतीय भाषाओं में हिंदी की भागीदारी बढ़ रही है.
पहले हिंदी के ‘एलीट’ माने जाने वाले लेखक इसमें आये, अब तो हिंदी का खासो-आम तबका भी वहां पहुंचने लगा है. कुछ बड़े-बड़े नाम होते हैं, कुछ उनके सुझाये हुए नाम होते हैं, कुछ टेलीविजन मीडिया के महारथी, जो साहित्य की जमीन के विस्तार पर लगभग हर साल चर्चा करते हैं, कुछ सिनेमा के गीतकार-लेखक, जिनकी लोकप्रियता के सामने हमारे बड़े-बड़े लेखक भी बौने नजर आने लगते हैं.
इस उत्सव में हर उम्र और पीढ़ी को लोग शिरकत करने पहुंचे.
माएं अपने बच्चों को किताबों से रूबरू करा रही हैं और खुद भी उसी में डूब रही हैं.
अपनी किताब 'त्रिवेणी' पर प्रशंसकों के लिए हस्ताक्षर करते गुलजार साहब.
गीतकार और लेखक गुलजार ने लोगों को अपनी लिखी कविताएं सुनाकर उनका दिल मोह लिया.
पत्रकार बरखा दत्त भी ने भी जयपुर साहित्य समारोह 2012 में शिरकत की.
लोगों का यह हूजूम यह बताने के लिए काफी है कि किताबों की पूछ दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
गुलजार पांचों दिन इस उत्सव में मौजूद रहे और इस समारोह की शोभा बढ़ाई.
आयोजकों के साथ लेखक व गीतकार गुलजार.
अभिनेता व नाटककार कबीर बेदी भी जयपुर साहित्य उत्सव में आए.