लगातार कॉमेडी फिल्म बनाने के बाद प्रियदर्शन ने स्वाद बदलते हुए एक्शन-थ्रिलर फिल्म ‘तेज’ बनाई लेकिन फिल्म का मूल आइडिया हॉलीवुड फिल्मों से उड़ाया गया, जिसे दर्शकों ने नकार दिया.
रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूजा की 'तेरे नाल लव हो गया' ने भी बॉक्स आफिस पर सफलता का स्वाद नहीं चखा. वैसे इस फिल्म को मेट्रो शहरों अच्छा रिस्पॉस मिला.
साल 2012 के पहले शुक्रवार को रिलीज हुई 'प्लेयर्स' फिल्म बॉक्स आफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई. सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों में अपनी अलग पहचान बना चुके अब्बास-मस्तान की 'प्लेयर्स' फिल्म में स्टारों की भरमार थी, फिर भी यह फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई.
बिपाशा बसु और आर माधवन की 'जोड़ी ब्रेकर्स' को भी दर्शकों ने नकार दिया. 'जोड़ी ब्रेकर्स' ऐसे दो युवाओं की कहानी थी, जो शादी से दुखी हो चुके लोगों का तलाक कराते हैं.
फिल्म 'जन्नत-2' एक और ऐसी कमजोर फिल्म थी, जिसे देखकर लगता है कि भट्ट कैंप की सुनहरी फिल्मों का दौर चला गया. 'जन्नत-2' फिल्म अवैध हथियार बेचने वाले सोनू (इमरान हाशमी) और उसे डराकर अपना मुखबिर बनाने वाले पुलिस ऑफिसर की कहानी थी.
रामगोपाल वर्मा को कुछ नया नहीं सूझता तो वे अपना पुराने माल की धूल साफ कर फिर परोस देते हैं. पुलिस, अंडरवर्ल्ड, एनकाउंटर को लेकर वे इतनी फिल्में बना चुके हैं कि इस बारे में उनकी सोच अब जवाब दे गई. ‘डिपार्टमेंट’ में वे कुछ भी नया नहीं पेश कर पाए और बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म औंधे मुंह गिरी.
'बिट्टू बॉस' की कहानी पर अच्छी फिल्म बनने की संभावनाएं थीं, लेकिन स्क्रीनप्ले की कमियों ने इन संभावनाओं को खत्म कर दिया. कहानी को जिस तरह से आगे बढ़ाया गया, वो विश्वसनीय नहीं था और किसी तरह फिल्म को खत्म किया गया.
सैफ अली खान की होम प्रोडक्शन फिल्म 'एजेंट विनोद' भी बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी. 'एजेंट विनोद' की कहानी सीक्रेट एजेंट विनोद के इर्दगिर्द घूमती है, जो कई देशों द्वारा खेले जा रहे गेम से भलीभांति परिचित रहता है.
करिश्मा कपूर की बॉलीवुड में वापसी को लेकर चर्चा में आई फिल्म ‘डेंजरस इश्क’ को भी दर्शकों ने नकार दिया. कुल मिलाकर विक्रम भट्ट की पिछली फिल्मों से तुलना की जाए, तो डेंजरस इश्क फिल्म बेहद कमजोर थी और इससे सिनेमाघरों में रोमांच की तलाश में गए दर्शकों को निराशा ही मिली.
फिल्म '3 बैचलरर्स' को भी दर्शकों ने नकार दिया. इस फिल्म में शरमन जोशी अपने चिर-परिचित हास्य भूमिका में नजर आए. फिल्म की कहानी स्टाइल और एक्सक्यूज मि जैसे हलके फुल्के मुद्दों पर केन्द्रित थी.
रानी मुखर्जी की ‘अय्या’ को भी दर्शकों ने नकार दिया. इस फिल्म का पूरा भार रानी के नाजुक कंधों पर था, क्योंकि फिल्म के हीरो पृथ्वीराज सुकुमारन भले ही दक्षिण भारत में लोकप्रिय थे, लेकिन हिंदी फिल्म देखने वाले उनसे अनजान थे.
फिल्म 'अजब गजब लव' को भी बॉक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली. दो लाइन की कहानी को पूरा करने के लिए मयूर पुरी ने जो पटकथा लिखी उसमें इतने झोल थे कि दर्शक ऊबासियां लेने लगें.
नक्सलवाद के विषय पर बनी प्रकाश झा की फिल्म ‘चक्रव्यूह’ को बॉक्स ऑफिस पर निराश ही हाथ लगी. ठोस कहानी, शानदार अभिनय और सुलगता मुद्दा प्रकाश झा के सिनेमा की खासियत हैं और यही बातें ‘चक्रव्यूह’ में भी देखने को मिली लेकिन मेट्रो शहर में रहने वाले दर्शकों को शायद यह फिल्म रास नहीं आई.
फिल्म 'चलो ड्राइवर' के एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, स्क्रीनप्ले राइटर, स्टोरी राइटर, डायलॉग राइटर, यहां तक कि गीतकार भी विक्रांत महाजन थे. इसके अलावा फिल्म में 'रागिनी एमएमएस' की हीरोइन काइनाज मोतीवाला भी थी. फिर भी यह फिल्म नहीं चली.
फिल्म 'थ्री इडियट' ने सफलता के झंडे गाड़े थे लेकिन वैसा कुछ भी फिल्म 'फरारी की सवारी' में नहीं दिखा. हालांकि फिल्म साफ सुथरी और अच्छी पटकथा पर आधारित थी लेकिन फिल्म कई बार अपने थीम से भटकती नजर आयी.
फिल्म 'पेज थ्री' में पत्रकारिता की कलई खोल कर फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाने वाले निर्देशक मधुर भंडारकर की 'हिरोइन' को दर्शकों ने नकार दिया. जिस तरीके से मधुर भंडारकर ने अपनी पिछली फिल्मों में हर बिरादरी का सच सामने लाया है ऐसा कुछ भी इस फिल्म में नहीं दिखा.
पोर्न स्टार सनी लियोन के हां कहते ही महेश भट्ट को लगा कि जैकपॉट उनके हाथ लग गया और ताबड़तोड़ फिल्म बनाकर 'जिस्म 2' नाम से रिलीज भी कर दिया लेकिन दर्शकों ने इस फिल्म को नकार दिया.
एलियंस, अक्षय कुमार और आइटम नंबर, इन तीनों के कॉकटेल से बनी निर्देशक शिरीष कुंदर की फिल्म 'जोकर' को भी दर्शकों ने एक सिरे से नकार दिया.
'कमाल धमाल मालामाल' मलयालम फिल्म 'मेरीक्कून्डोरू कुंजाडू' का हिंदी रीमेक और 2006 में प्रदर्शित हिट फिल्म 'मालामाल वीकली' की सीक्वल थी फिर भी यह फिल्म नहीं चल पाई.
फिल्म 'लव शव ते चिकन खुराना' की कहानी अच्छी होने के बावजूद भी बॉक्स आफिस की अपनी मौजूदगी दर्ज करने में नाकामयाब रही.