जनरल विजय कुमार सिंह (वी के सिंह) भारतीय सेना के 24वें जनरल थे. 31 मई 2012 को वी. के. सिंह रिटायर हो गए. भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने वाले सेना प्रमुख के रूप में 26 महीने पहले सेना की बागडोर संभालने वाले जनरल वी के सिंह का विवादास्पद कार्यकाल समाप्त हो गया.
जनरल वी के सिंह के कार्यकाल पर सेना के पूर्व शीर्ष अधिकारियों की राय अलग अलग रही है, जिनमें से कुछ उनकी प्रशंसा करते हैं जबकि कुछ उनकी आलोचना करते हैं.
जनरल वी के सिंह ने सेना प्रमुख के रूप में 31 मार्च 2010 को कार्यभार संभाला था और उनकी छवि एक ईमानदार, दृढ़ और स्पष्टवादी अधिकारी की रही है. उनके साथ उम्र से जुड़े मामले समेत कई विवाद जुड़े है.
62 वर्षीय सिंह सेना में 42 वर्ष तक योगदान देने के बाद सेवानिवृत हो गए और उनका स्थान सेना की पूर्वी कमान के कमांडर जनरल बिक्रम सिंह ने लिया. सेना प्रमुख के रूप में जनरल बिक्रम सिंह का कार्यकाल दो वर्ष, तीन महीना होगा.
वी के सिंह सेना मुख्यालय में मिलिट्री ऑपरेशंस डायरेक्टोरेट के पद पर काम कर चुके हैं. इससे पहले जब भारतीय सेना को 2001 में संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत सीमा पर तैनात किया गया था तो वी के सिंह ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ ऑफ ए कॉर्प्स के तौर पर कार्यरत थे.
इन्होंने बांग्लादेश युद्ध को करीब से देखा है और सेना अध्यक्ष के पद पर कार्यरत होने से पूर्व कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवा दी है.
जनरल सिंह ने सेना में अपने करियर की शुरुआत 14 जून 1970 को बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट राजपूत रेजीमेंट के साथ की. जनरल सिंह को काउंटर इन्सर्जन्सी ऑपरेशन और ऊंचाई पर दुश्मनों पर धावा बोलने की विद्या में महारत हासिल है.
इनके पिता कर्नल थे जबकि दादा जेसीओ. सेना को सेवा देने वाला इनका परिवार हरियाणा के भिवांडी जिले के बोपारा गांव का रहने वाला है.
राजस्थान स्थित पिलानी के बिरला पब्लिक स्कूल से स्कूली शिक्षा लेने वाले जनरल सिंह के पिता और दादा जी भी भारतीय सेना में कार्यरत थे.
इन्हें पीवीएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम और एडीसी जैसे सम्मान हासिल हैं. जनरल सिंह ऐसे पहले ट्रेंड कमांडो हैं, जिन्हें देश का आर्मी चीफ बनने का गौरव हासिल है. साथ ही सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले भी वो पहले जनरल बने.
उन्होंने पंजाब में अंबाला के दो कॉर्प्स और जालंधर के 11 कॉर्प्स के कमांडेंट के तौर पर भी अपनी सेवा दी है. साथ ही भूटान स्थित इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग टीम के मुख्यालय में बतौर अध्यापक भी वो अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
वी के सिंह को काउंटर इन्सर्जन्सी फोर्स के प्रमुख के तौर बेहतरीन कार्य के लिए अति विशिष्ठ सेवा मेडल से नवाजा जा चुका है.
अपने विशिष्ठ कार्यों के कारण 31 मार्च 2012 को जनरल वी के सिंह आर्मी चीफ बनाये गए थे.
वी के सिंह अपने जन्मतिथि को लेकर विवादों में आ चुके हैं. इस मामले को लेकर वो सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए. हालांकि, इसी साल 10 फरवरी को उन्होंने अपनी रिट याचिका वापस ले ली.
जनरल सिंह मिलिट्री प्रमुख के रूप में लगातार विवादों में रहे. कभी अपने जन्मतिथि को लेकर तो कभी चिट्ठी लीक को लेकर. इसके बावजूद जनरल वी के सिंह की छवि बेहद साफ और ईमानदार अधिकारी की रही है.
यही कारण है कि रिटायर होने से पहले ही उनके भविष्य को लेकर कयास लगाये जाने लगे थे, और टीम अन्ना की तरफ से भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का हिस्सा बनने का निमंत्रण भी उन्हें मिल चुका है.
जन्मतिथि के बारे में उनके पक्ष को मान्यता मिलने की स्थिति में उन्हें सेना प्रमुख के रूप में 10 महीने और मिल सकते थे. उनका पैतृक निवास हरियाणा के रोहतक जिले के बापोरा गांव में है.
कोर्ट ने यह माना कि सिंह के जन्मतिथि में कोई विवाद नहीं है, लेकिन उसने इस बात की तहकीकात करनी चाही कि आखिर कैसे इस तारीख को दर्ज किया गया. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि सिंह ने तीन अवसरों पर गलत जन्मतिथि को स्वीकार किया.
इस विषय पर उनके और सरकार के बीच विवाद का पटाक्षेप अंतत: उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था के बाद हुआ जब शीर्ष अदालत ने उनकी दलील को मानने से इंकार कर दिया कि 1951 उनकी जन्मतिथि है. सेना प्रमुख के उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद भी सेना प्रमुख के पद पर बने रहे.
जनरल सिंह की सेना के रिकॉर्ड में दो अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज है. सेना के सैन्य सचिव शाखा में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 दर्ज है जबकि सहायक जनरल शाखा में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 दर्ज है.