अयोध्या भारत के तीर्थ स्थानों में अपना बेहद अहम स्थान रखता है. मान्यता के अनुसार, अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है. यह नगर बहुत ही प्राचीन है और सरयू नदी के तट पर बसा है. यह यूपी के फैजाबाद जिले में है. वैसे तो अयोध्या में दर्शनीय स्थानों की भरमार हैं, पर यहां कुछ स्थानों को दिखाया गया है...
हनुमानगढ़ी
अयोध्या के बीचोंबीच हनुमानगढ़ी में रामभक्त हनुमानजी का विशाल मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि अयोध्या में सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में बजरंगबली के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, फिर अन्य मंदिर जान चाहिए. इसके पीछे 'राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे...' वाली मान्यता दिखती है. यानी हनुमानजी की कृपा के बिना किसी को रामजी का आशीर्वाद नहीं मिलता है.
कनक भवन
अयोध्या का कनक भवन बेहद विशाल व भव्य मंदिर है. राम-जानकी की मूर्ति भी श्रद्धालुओं को मोहित कर देती है.
श्रीराम-जानकी की प्रतिमा हर किसी का संताप हर लेती है.
राजा दशरथजी का महल
राजा दशरथ का महल भी बहुत प्राचीन और भव्य है. इसके परिसर में काफी संख्या में जमा होकर श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते रहते हैं.
श्रीराम जन्मस्थान (श्रीरामलला)
श्रीराम के जन्मस्थान पर अभी
रामलला की मूर्ति विराजमान है. भक्तगण लंबी-लंबी कतारों में कड़ी
सुरक्षा-व्यवस्था से गुजरकर रामलला के दर्शन करते हैं.
दन्तधावन कुंड
अयोध्या नगरी के बीचोंबीच हनुमानगढ़ी इलाके में ही एक बड़ा-सा कुंड है, जो दन्तधावन कुंड नाम से जाना जाता है. इसे ही राम दतौन भी कहते हैं. कहा जाता है कि श्रीराम इसी कुंड के जल से सुबह अपने दांतों की सफाई करते थे.
श्रीराम मंदिर कार्यशाला
अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए एक कार्यशाला बनाई गई है. यहां विशाल पत्थरों के स्तंभों को बेहद खूबसूरती के साथ तराशा गया है, जिस पर सुंदर नक्काशी की गई है. लोग इस स्थान को भी देखने आते हैं.
सरयू नदी
सरयू नदी का जल एकदम साफ दिखाई पड़ता है. नदी में स्नान कर रहा कोई व्यक्ति इसकी तलहटी को एकदम साफ निहार सकता है. पर्यटक इस नदी को नौका से पार भी करते हैं. मान्यता के अनुसार, सरयू नदी को पार करके ही श्रीराम जंगल गए थे. नदी के तट पर केवट प्रसंग का स्मरण हो आना अत्यंत स्वाभाविक है.
दिगंबर जैन मंदिर
अयोध्या जैन मतावलंबियों के लिए भी पवित्र तीर्थ है. मान्यता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) का जन्म यहीं हुआ था.
ऋषभदेव की भव्य प्रतिमा
दिगंबर जैन मंदिर में स्वामी ऋषभदेव की भव्य प्रतिमा विराजमान है. आसपास का वातावरण बेहद शांतिमय है, जो हर किसी को सुकून देता है.
ऐसा था ऐतिहासिक बाबरी ढांचा
इस ऐतिहासिक इमारत की जगह अब विशाल टीले नजर आते हैं. भारत के प्रथम मुगल बादशाह बाबर के आदेश पर 1527 में इसका निर्माण किया गया था. मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा.