इंदिरा एक अत्यधिक जटिल व्यक्तित्व और अंतर्विरोध से भरी हुई थीं, जो उन्हें विवादास्पद व्यक्तित्व बनाता था.
इंदिरा ने अपने 16 वर्ष के प्रधानमंत्रित्व काल में अनेक ऐसे कार्यो को अंजाम दिया जिससे भारत की स्थिति विश्व स्तर पर सशक्त हुई.
चाहे बांग्लादेश की मुक्ति हो या फिर हरित क्रांति को बढ़ावा देकर खाद्यान्न उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाना.इंदिरा ने सभी में देश को सफल बनाया.
वर्ष 1982 में एशियाई खेलों का सफल और भ्रष्टाचार मुक्त आयोजन उनकी प्रशासनिक और प्रबंधकीय क्षमता को दर्शाता है.
बेटे राजीव और संजय के साथ इंदिरा गांधी.
अपने पिता और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ इंदिरा गांधी.
राजनीतिक विशेषज्ञ कहते है कि इंदिरा में कुशल प्रशासनिक क्षमता थी.
इंदिरा के दौर में 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के विरूद्ध मिली जीत से भारत की स्थिति विश्व में मजबूत हुई.
इंदिरा ने अपने 16 वर्ष के प्रधानमंत्रित्व काल में अनेक ऐसे कार्यों को अंजाम दिया जिससे भारत की स्थिति विश्व स्तर पर सशक्त हुई.
इंदिरा जी की नेतृत्व क्षमता और विरोधियों से निपटने की रणनीति बनाने की क्षमता दिखाई देने लगी थी.
एक समय आया कि जब इंदिरा जी ने 'लीडरी' करने का रास्ता पकड़ा. तब उन्होंने गाँवों में जनसभाएँ करना शुरू किया.
इंदिरा गांधी आज भी लोगों में बेहद लोकप्रिय हैं. बुद्धिजीवियों की नज़र से देखें तो वे इंदिरा गांधी के बारे में बहुत ज़हरीले तरीक़े से लिखते हैं, उसमें बौद्धिक गहराई नहीं होती.
इंदिरा गांधी ने अपने पिता जवाहरलाल नेहरु की तरह खुले तौर पर यह तय कर रखा था कि भारत गुटनिरपेक्ष रहेगा.
अपने बेटे संजय गांधी की समांधि पर पुष्प चढ़ाने के लिए जाती इंदिरा गांधी.
ऑपरेशन ब्लू-स्टार हो चुका था इसलिए हो सकता था कि वे चुनाव हार जातीं, लेकिन अगर नहीं हारतीं तो वे सत्ता से चिपक कर नहीं रहतीं.
इंदिरा गांधी के मन में संस्कृति को लेकर सम्मान और चिंता के भाव लगभग स्वाभाविक थे.
इंदिरा गांधी ने इस बात की अनदेखी की, कि केन्द्रीकृत योजना, उससे उपजी नौकरशाही और उससे निजी पहल के क्षेत्र में जो बाधाएं आती हैं, दूसरे देश इन सब को नकार चुके हैं.
सत्तर के दशक में इंदिरा की वामपंथी आर्थिक नीतियों ने देश को लाल फीताशाही में बांध दिया.
इंदिरा गांधी ने दिखाया कि ज़रूरी नहीं कि सत्ता और सुशासन हमेशा साथ साथ चलें.
इंदिरा ने समय से पहले चुनाव की घोषणा की और उन्हे बुरी तरह हराया जिन्होने उन्हे आंकने में भूल की थी.
इंदिरा गांधी ने कॉंग्रेस के मुखियाओं को चुनौती देकर और पार्टी का विभाजन करके वो साहस दिखाया जो उनके कार्यकाल के दौरान उनकी पहचान बन गया.
इंदिरा गांधी को अपनी सत्ता मज़बूत करने में वक़्त लगा.
इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व कैसा था और इंदिरा गांधी के बिना भारत कैसा है, यह एक अहम सवाल है.
कांग्रेस की सरकार को विश्वास था कि इंदिरा गांधी के कार्य कालातीत हैं.
इंदिरा गाँधी को 1975 में आपातकाल लगाने के लिए तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन उससे पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने के लिए तारीफ़ भी हुई.
बीके बरुआ ने उनके बारे में कहा था, ‘इंदिरा इज़ इंडिया’ यानी ‘इंदिरा ही भारत है’.
अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी की तुलना देवी दुर्गा से की थी.
इंदिरा गांधी की हत्या ने एक ऐसे असाधारण नेता के जीवन का अंत कर दिया जिसका न केवल भारतीय राजनीति में दबदबा था बल्कि जिसे एक महापुरुष के रुप में भी देखा गया.
देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की 31 अक्तूबर 1984 को उनके ही सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी थी.
इंदिरा गांधी अद्वितीय थी, उनकी तरह कोई भी नहीं हो सकता.
इंदिरा गांधी सिल्क साड़ियों बनाने वाले शिल्पकारों को बढ़ावा देना चाहती थी.
इंदिरा पर पहनावे में साड़ी अच्छी लगती थी, जिनके साथ उनका यूरोपीय हेयर स्टाइल खूब जमता था.
इंदिरा गांधी बेहद साधारण खाना खाती थी. आप उसे उबला हुआ भोजन भी कह सकते है.
इंदिरा गांधी को वे सारी चीजें बेहद पसंद थीं जो साधारण हो और जिनसे भारत का नाम जुड़ा हो.
इंदिरा गांधी को उनको सादगी बेहद पसंद थी.
एक बार तो इंदिरा ने पोता-पोती के साथ समय गुजारने के लिए विदेश दौरा तक रद्द कर दिया.
इंदिरा गांधी को जो दो चीजें बेहद पसंद थीं, वह उनका देश और उनके पोते.
'लौह महिला' कहलाने वाली इंदिरा का हृदय बेहद कोमल था.
इंदिरा ने अपनी हत्या के कुछ दिन पूर्व कहा था कि मुझे लगता है मैंने अपने सारे कर्जो को चुका दिया है.
इंदिरा एक ऐसी दिग्गज नेता थीं कि उन्हें आज भी भारत की राजनीति का अहम हिस्सा माना जाता है.
क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद भारतीय खिलाडि़यों को बधाई देतीं इंदिरा गांधी.
इंदिरा ने 1974 में परमाणु परीक्षण करने की अनुमति प्रदान की.
इंदिरा की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वह देश की मजबूती और उसमें अंतर्निहित शक्ति को महत्वपूर्ण मानती थीं.
इंदिरा ने गरीबी हटाओ नारा और बीस सूत्रीय कार्यक्रम के जरिए गरीबी पर प्रहार किया.
इंदिरा ने गरीबी, अलगाववाद और सांप्रदायिकता जैसी चुनौतियों से भी निपटने का प्रयास किया.
इंदिरा ने अपनी भूलों को सुधारा और उन्होंने एक बार फिर 1980 में धमाकेदार वापसी कीं.
इंदिरा द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल के लिए बिपिन चंद्र ने आर्थिक, समाजिक और राजनीति जैसे कारणों पर बल दिया.
1971 की जीत सही अर्थो में इंदिरा की व्यक्तिगत जीत थी.
दक्षिण एशिया की राजनीतिक शख़्सियतों और राजनीतिक परिवारों का ज़िक्र होता है तो भारत के नेहरू गांधी परिवार की बात ज़रूर होती है.
इंदिरा कभी भी साथ-साथ सत्ता में नहीं रहीं, लेकिन इनके क़रीब रहने वाले लोगों का कहना है कि दोनो का व्यक्तित्व काफ़ी प्रभावशाली और करिश्माई था.
लगभग दो दशक तक अपने पिता जवाहर लाल नेहरू के साथ थीं.
राजनीतिक समझ इंदिरा को अपने पिता से से हासिल हुई और प्रधानमंत्री बनने तक सियासत के दांव-पेंच से वो वाकिफ़ थीं.
इंदिरा के काम करने के तरीके में उनके पिता की झलक दिखती है.
इंदिरा ने भारत में 19 महीने के लिए आपातकाल लगाकर ज़बर्दस्त आलोचनाएँ झेली.
1975 की आपातकाल की घोषणा भारत के हज़ारों वर्षों के इतिहास और भारतीय मानस पर ही मानों एक आघात था.
इंदिरा गांधी एक बहुत बड़ा व्यक्तित्व हैं. मात्र राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय भी.
19 नवंबर, 1984. ये शब्द कहे थे तत्कालीन प्रधानमंत्री और इंदिरा गाँधी के उत्तराधिकारी उनके पुत्र राजीव गाँधी ने बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों के हुजूम के सामने.
जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी़, तो हमारे देश में कुछ दंगे-फ़साद हुए थे. हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना ग़ुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है. जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है.
अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर 5 नवंबर, 1971 को ओवल कार्यालय में मिले थे. इस बातचीत में किसिंगर ने निक्सन की एक दिन पहले इंदिरा गाँधी के साथ हुई बातचीत पर चर्चा की थी.
इस बातचीत के ब्यौरे के अनुसार निक्सन ने इंदिरा गाँधी को 'बूढ़ी डायन' बताते हुए कहा था, ''हमने .... उनके (इंदिरा गाँधी) साथ भावुकतापूर्ण बातचीत की.''
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का कहना है कि राजनीति के शिखर पर जो चेहरे दिख रहे हैं, उनसे वे हज़ार गुना अच्छी थीं. लेकिन सत्ता उनकी कमज़ोरी थी.
इंदिरा जी को गिरता देख पंडित जी ने चिल्लाकर कहा "टंडन, गिरने दो, इट इज़ पार्ट ऑफ द गेम". लेकिन मैंने उन्हें गिरने नहीं दिया.
इंदिरा गांधी ने भारत में लोकप्रियता की राजनीति की शुरुआत की. वे ही थी जिन्होंने भारतीय राजनीति में ‘आदर्शवाद’ को ख़त्म किया
उन्हें यह महसूस हुआ कि नेहरु के ज़माने में बनाई गई मौलिक नीतियाँ लाभकारी नहीं हैं और उन्होंने राजनीतिक आदर्शों को छोड़ दिया और परिणाम पाने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया.
उदाहरण के लिए जब भूमि सुधार विफल रहा तो उन्होंने कृषि को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति का सहारा लिया. जब नीतियों के आधार पर वोट जुटाना असंभव दिखने लगा तो उन्होंने ‘लोकलुभावन’ राजनीति को अपना लिया
यह मानना पड़ेगा कि गाँवों में रहने वाले आम आदमी के लिए, विशेषकर महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी एक महान नेता थीं लेकिन एक शहरों में बसने वाले भारत के लिए वे सत्ता की राजनीति की एक विवादास्पद नेता थीं.
महात्मा गांधी के बिना भारत ने अपने आपको अनाथ महसूस किया. नेहरु के बिना उसे लगा कि वह असहाय है. इंदिरा गांधी के बिना भारत सदमे में था, उदास था.
अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी तुलना देवी दुर्गा से की थी. बीके बरुआ ने उनके बारे में कहा था, ‘इंदिरा इज़ इंडिया’ यानी ‘इंदिरा ही भारत है’.
इंदिरा गांधी की सबसे बड़ी ग़लती ये थी कि वो भूल गईं कि तानाशाह शासकों की तानाशाही उनके नीचे काम करने वालों तक पहुंचती है.
इंदिरा की देश की ग़रीब जनता पर गहरी पकड़ थी.
इंदिरा ने उन्होने कॉंग्रेस पार्टी पर अपनी पकड़ और कस ली और मनमाने ढंग से राज्य सरकारों को बरख़ास्त करके विपक्ष को कमज़ोर करने के प्रयास किए
मुम्बई में मज़दूरों का विद्रोह, असम में जातिवादी तनाव, नक्सलवाद का पुनरुत्थान और पंजाब में उथल पुथल जिसका अंत ऑपरेशन ब्लू स्टार और उनकी हत्या के साथ हुआ.
इंदिरा जब फिर से सत्ता में आईं तो उन्हे दोबारा उथल पुथल का सामना करना पड़ा.
1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी की ज़बरदस्त हार के बाद आपात काल का अंत हुआ.
इंदिरा गांधी ने कॉंग्रेस के मुखियाओं को चुनौती देकर और पार्टी का विभाजन करके वो साहस दिखाया जो उनके कार्यकाल के दौरान उनकी पहचान बन गया.
क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडि़यों के साथ इंदिरा गांधी.
समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुड़िया’ कहा करते थे.
इंदिरा गांधी किसी की नज़र में एक सफल नेता थीं, तो किसी के लिए तानाशाह.
अपने पोतों से बहुत प्यार करती थी इंदिरा गांधी.
बेटे संजय गांधी के साथ इंदिर गांधी.
दिल्ली में इंदिरा गांधी के संग्राहलय में उनके बारे में काफी जानकारी मिलती हैं.
इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के सुरक्षाकर्मीयों ने कर दी.
संजय गांधी की मौत के बाद टूट गई थी इंदिरा. पहली बार भारतीयों ने उनकी आंखों में आंसू देखें.
रूसी क्रांति [1917] के वर्ष पैदा हुई इंदिरा गांधी एक विलक्षण इच्छाशक्ति की प्रतिमूर्ति और एक मजबूत कठोर, निर्णायक और जरुरत पड़ने पर निष्ठुर योद्धा थीं.
देश में 25 जून 2015 को इमरजेंसी के 40 साल पूरे हो गए हैं. 25 जून 1975 को ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी थी. यह वह दौर था जिसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा. एक दौर जब लोकतंत्र फल-फूल ही रहा था और देश के सर्वोच्च नेता ने उसके पर कतर दिए थे.
इस तस्वीर में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी बेटे राजीव और संजय व अपनी बहुओं सोनिया और मेनका के साथ नजर आ रही हैं.