26/11 के बाद इंडिया टुडे के 'आतंक के खिलाफ जंग' अभियान के हिस्से के तौर पर बोर्ड ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन सिक्योरिटी ऐंड टेरर (बेस्ट) का गठन मार्च 2009 में किया गया था और तभी इसकी पहली बैठक हुई थी. 26/11 के बाद क्या भारत सुरक्षित है? इस पर बेस्ट का आकलन है कि सरकार की रणनीति काफी हद तक कारगर रही है लेकिन मुगालते में रहने की गुंजाइश नहीं है. इसके लिए गृह मंत्री पी चिदंबरम बधाई के पात्र हैं, लेकिन खतरा बना हुआ है और बड़े व्यवस्थागत बदलाव करने की जरूरत है. सरकार ने पिछले साल नवंबर में हुए मुंबई हमलों के बाद क्या किया और क्या नहीं किया है. पेश है इंडिया टुडे बोर्ड का आकलन.
वेद मारवाह का कहना है कि 26/11 के बाद कोई भी बड़ी घटना न होने के पीछे कई कारकों ने काम किया. इसका कुछ श्रेय सरकार को जाता है और कुछ पाकिस्तान की घटनाओं को जाता है, जहां जिहादी अपना वजूद बचाए रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
किरण बेदी का कहना है कि हमारे पास दस लाख से ज्यादा पुलिस वाले हैं. सरकार को हमारे पैदल सिपाहियों तक पहुंच बनाने की जरुरत है जो अभी नहीं हुआ है.
अमिताभ मट्टू का कहना है कि 26/11 के बाद से कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है और यह सब पाकिस्तान की हालात की वजह से है. हालांकि सरकार भी बेहतर कोशिश कर रही है.
वी.के.दत्ता का कहना है चूंकि 26/11 के बाद कुछ भी नहीं हुआ, सो हमें मुगालते में नहीं रहना चाहिए. हम खुशकिस्मत रहे हैं और हमारी खुशकिस्मती पाकिस्तान के हालात की वजह से है.
अजय साहनी का कहना है कि पिछले 11 महीने में कोई आतंकी हमला न होने का सरोकार हमारी तैयारियों से कतई नहीं है. हम अब भी उतने ही संवेदनशील हैं.
कपिल काक का कहना है कि पिछले 11 महीनों में अपने देश में कोई आतंकी वारदात न होने के पीछे कारण यह है कि पाकिस्तान अपनी पश्चिमी सीमा पर उलझा हुआ है.
जी. पार्थसारथी का कहना है कि पाकिस्तान के असली नीति नियंताओं को प्रभावित करने की भारत की क्षमता सीमित है. हमें इसमें इजाफा करने की जरुरत है.
अजीत कुमार डोभाल का कहना है कि आतंकी खतरों को दो क्षेत्रों में देखने की जरुरत होती है. पहला, पाकिस्तान और आतंकी समूहों का वजूद है, और दूसरा, वह प्रतिक्रिया है जो भारत सरकार उन्हें रोकने और दंडित करने की एहतियाती कार्रवाई की अपनी क्षमता के मुताबिक देती है.
ब्रह्म चेलानी का कहना है कि संस्थागत पर नहीं बल्कि सरकार की प्रतिक्रिया के स्तर पर हमारी तैयारी बेहतर है. चिदंबरम ने सबके ऊपर दबाव बना रखा है. पहली बार वरिष्ठतम स्तर पर समन्वय है.
सतीश नांबियार का कहना है कि पिछले एक साल से हमारे यहां कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लिहाजा, हमें इसका श्रेय सरकार को देना चाहिए.