मुंबई में हजारों लोगों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ‘गोविन्दा आला रे’ की धुन के साथ दही हांडी उत्सव मनाया जिसमें बालीवुड की कई हस्तियां भी शामिल हुयीं.
इस मौके पर सड़कों में टंगी हांडियों को तोडने के लिए लोगों में विशेष उत्साह था और लोग ट्रकों और मोटरसाइकिल के काफिलों में सड़कों पर घूम रहे थे.
भगवान कृष्ण के जन्म पर मनाये जाने वाले इस पर्व को मनाने के लिये लोग मंदिरों में पहुंचे.
भगवान कृष्ण की रंगबिरंगी झांकियां निकाली गयीं.
गोविन्दा बने लोगों ने ‘पिरामिड’ का आकार बनाया जिसमें लोगों ने एक दूसरों के कंधों पर खड़े होकर हांड़ी तक पहुंचने का प्रयास किया और मटकियां फोड़ी.
हालांकि वहां आसपास के लोगों ने उन पर पानी फेंक कर उनके प्रयास को विफल करने का प्रयास किया. रस्सियों से बंधी मटकियों में दही भरा जाता है.
महानगर में विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में इसका आयोजन किया गया जहां गोविन्दा मंडलों ने भाग लिया और दही से भरे मटके तक पहुंच कर इनाम जीते.
उल्लेखनीय है कि लगभग सभी बड़े दही हांडी आयोजनों को राजनीतिक दलों ने प्रायोजित किया है.
हजारों मुंबईवासियों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोविन्दा आला रे की धुनों के साथ ‘दही हांडी’ उत्सव मनाया जिसमें उंचाई पर टंगे दही या मक्खन से भरे मटके को तोड़ने के लिये युवकों ने हिस्सा लिया.
भगवान कृष्ण के जन्मस्थल की पावन नगरी मथुरा के साथ साथ वृंदावन, नंदगांव, महाबन और बलदेव में भी लाखों श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन किये.
हजारों मुंबईवासियों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोविन्दा आला रे की धुनों के साथ ‘दही हांडी’ उत्सव मनाया जिसमें उंचाई पर टंगे दही या मक्खन से भरे मटके को तोड़ने के लिये युवकों ने हिस्सा लिया.
यह पंरपरा भगवान कृष्ण के बचपन में मटके से मक्खन चुराने की कथा से प्रेरित है. इस मौके पर नकद इनाम देने की भी परंपरा है.
इस साल इस प्रतियोगिता में कई बॉलीवुड हस्तियों ने शिरकत की और नकद इनाम की राशि को बढ़ाया गया.
सैकड़ों गोविंदा ट्रकों और मोटरसाइकिल के काफिलों में सड़कों पर घूम रहे थे.
गोविन्दा बने लोगों ने ‘पिरामिड’ का आकार बनाया जिसमें लोगों ने एक दूसरों के कंधों पर खड़े होकर हांड़ी तक पहुंचने का प्रयास किया और मटकियां फोड़ी.
कई भक्तों ने पूरे दिन उपवास रखा. मध्यरात्रि के समय पर्व का जश्न अधिकतम हो जाता है.
मान्यता है कि कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में ही हुआ था. भक्तगण उसके बाद ही अपना उपवास तोड कर खुशियां मनाते हैं.
हजारों मुंबईवासियों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोविन्दा आला रे की धुनों के साथ ‘दही हांडी’ उत्सव मनाया जिसमें उंचाई पर टंगे दही या मक्खन से भरे मटके को तोड़ने के लिये युवकों ने हिस्सा लिया.
हजारों मुंबईवासियों ने भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोविन्दा आला रे की धुनों के साथ ‘दही हांडी’ उत्सव मनाया जिसमें उंचाई पर टंगे दही या मक्खन से भरे मटके को तोड़ने के लिये युवकों ने हिस्सा लिया.
यह पंरपरा भगवान कृष्ण के बचपन में मटके से मक्खन चुराने की कथा से प्रेरित है. इस मौके पर नकद इनाम देने की भी परंपरा है.
देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है.
कई जगहों पर भव्य झाकियों का आयोजन किया गया है.
जन्माष्टमी के मौके पर गृहस्थों के साथ ही साधु संत व्रत रखेंगे.
मंदिरों के साथ शहर में कई जगह कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.
अष्टमी और नवमी तिथि पर संशय के चलते अधिकांश गृहस्थों ने गुरुवार को ही जन्माष्टमी मनायी.
हिंदू धर्म ग्रथों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की बड़ी महिमा बतायी गई है.
अष्टमी व्रत रखने से समाज में खुशहाली आती है और व्रती को गोलोक की प्राप्ति होती है.
इस दिन भक्त रात-दिन उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण, यशोदा और वासुदेव की पूजा करते हैं.
मुंबई और आसपास के इलाकों में गोविंदाओं की सैंकड़ों टोलियां जन्माष्टमी में खास रंग भर देती हैं.
ठाणे में मटका तक पहुंचने का प्रयास करती गोविंदाओं की टोली.
बाल गोविंदा की हिम्मत की तो तारीफ करनी ही पड़ेगी.
गोविंदा जिस मटके को फोड़ते हैं, उसमें दूध-दही, मेवे आदि भरे होते हैं.
मटका फोड़ने पर कई जगह ईनाम दिए जाते हैं.
चोट से बचने के लिए इस बाल गोविंदा ने सिर पर हेलमेट पहन रखी है.
गोविंदाओं को देखने के लिए हर जगह लोगों की भारी भीड़ जमा रहती है.
आसपास जमा लोग गोविंदाओं का खूब उत्साह बढ़ाते हैं.
मटका फोड़ने के क्रम में टोलियों को कई-कई बार प्रयास करने पड़ते हैं.
भगवान कृष्ण की मनोहारी छवि का स्मरण करने से लोगों के सारे पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं.
मुरली मनोहर की हर लीला मनोहारी है.
लोग इन गोविंदाओं को देखकर श्रीकृष्ण की लीला का स्मरण करते हैं.
मटका जबतक फूट नहीं जाता, गोविंदाओं का प्रयास लगातार जारी रहता है.
मुंबई और आसपास इस तरह की कई टोलियां जन्माष्टमी पर खूब धूम मचाती हैं.
इस बार गृहस्थों और वैष्णवों को शुक्रवार रात को रोहिणी नक्षत्र नहीं मिलेगा. रोहिणी नक्षत्र शनिवार 11 अगस्त को सुबह 9.57 बजे के बाद शुरू होगा और यह रविवार 12 अगस्त को 12.31 बजे तक रहेगा.
राधे-कृष्ण की मनोहारी छवि से भक्तगण मुग्ध हुए बिना नहीं रह पाते हैं.
इस मौके पर कई जगह नृत्य-संगीत का आयोजन किया जाता है.
ठाणे और वर्ली में गोविंदाओं की टोली.
हर कोई यह देखना चाहता है कि आखिर कैसे फूटेगा मटका....
'गोविंदा आला रे....' गीत गाता जनसमुदाय.
हर कोई कृष्ण की भक्ति में रंगा हुआ है.
ऐसा कई वर्ष के बाद ऐसा हुआ है कि जब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं है.
राजधानी लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, आगरा और कई अन्य शहरों में जन्माष्टमी मनायी जा रही है.
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर अधिकांश मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है.
लोगों का उत्साह देखकर गोविंदाओं में भी जोश आ जाता है.
मंदिरों की सजावट देखकर कोई भी मुग्ध हुए बिना नहीं रह सकता है.
दही-हांडी फोड़ने वाले गोविंदाओं की टोली खास रंग के कपड़े पहनती है.
ऐसे उत्सव में भला किसका मन कृष्णमय न हो जाए....
गोविंदाओं को लक्ष्य पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
एक बेहद मनोहारी रूप में भगवान श्रीकृष्ण.
मान्यता है कि भक्त जब-जब भगवान को पुकारता है, वे दौड़े चले आते हैं.