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भारत

जस्टिस मुरलीधर के फेयरवेल में उमड़ी वकीलों की भीड़

जस्टिस मुरलीधर के फेयरवेल में उमड़ी वकीलों की भीड़, आधी रात हुआ था ट्रांसफर
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दिल्ली हिंसा को लेकर पुलिस को फटकार लगाने वाले हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस.मुरलीधर गुरुवार को विदा हो गए. अपने फेयरवेल के दौरान उन्होंने अपने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में तबादले के घटनाक्रम के संबंध में जानकारी साझा की.असल में, दिल्ली हिंसा के दौरान बीजेपी नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों पर कार्रवाई न करने पर पुलिस को फटकार लगा कर सुर्खियों में आने वाले हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर को गुरुवार को विदाई दी गई. उनका पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला किया गया है.
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ट्रांसफर के बाद 5 मार्च 2020 को जस्टिस मुरलीधर को फेयरवेल दी गई. फेयरवेल का कार्यक्रम दिल्ली हाईकोर्ट में रखा गया. जस्टिस मुरलीधर को फेयरवेल देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में वकीलों की भीड़ उमड़ आई. जस्टिस मुरलीधर को अलविदा कहने के लिए इतने लोग पहुंचे कि वहां बैठने की जगह तक नहीं बची और लोग सीढ़ियों पर खड़े हो गए. इस फेयरवेल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि जस्टिल मुरलीधर के विदाई भाषण के दौरान किस तरह हॉल खचाखच भरा हुआ है.
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सच के साथ रहिए, न्याय जरूर मिलेगा: जस्टिस मुरलीधर

विदाई समारोह में जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि जब न्याय को जीतना होता है तो वह जीतता ही है. अपने तबादले के बाद संपर्क में रहने के लिए जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हाईकोर्ट के जजों और वकीलों की तारीफ की. उन्होंने ये भी कहा कि अपने तबादले पर उन्हें कोई परेशानी नहीं है.
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पदभार ग्रहण करने से पहले  से जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि जब न्याय को जीतना होता है तो वो जरूर जीतता है...सच के साथ रहिए, न्याय जरूर मिलेगा. जस्टिस मुरलीधर ने कहा, 'मुझे 17 फरवरी को कॉलेजियम का पत्र मिला. इसमें तबादले का प्रोपोजल था और उस पर मेरी राय मांगी गई थी. मैंने कहा कि अगर मेरा तबादला किया जाना है तो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ठीक रहेगा.'
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बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से 26 फरवरी की रात को जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आदेश जारी किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया था. उसी दिन उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने भड़काऊ बयान देने वाले तीन बीजेपी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज न करने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. जहां विपक्ष ने जस्टिस मुरलीधर के तबादले के समय को शर्मनाक बताया था, वहीं सरकार और बीजेपी ने विपक्षी नेताओं पर एक सामान्य तबादले पर राजनीति करने का आरोप लगाया था.
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चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 12 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर के अलावा जस्टिस रंजीत वी मोरे को बॉम्बे हाईकोर्ट से मेघालय हाईकोर्ट और जस्टिस रवि विजयशंकर मालीमठ को कर्नाटक हाईकोर्ट से उत्तराखंड हाईकोर्ट में तबादला किया था. हालांकि दिल्ली बार एसोसिएशन ने जस्टिस मुरलीधर  के तबादले को गैर जरूरी करार देते हुए उसकी निंदा की थी.
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बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, "हाईकोर्ट में आज जस्टिस मुरलीधर को विदाई दी गई, जिन्हें दिल्ली पुलिस को दंगा अधिनियम पढ़कर सुनाने के दिन रात 11 बजे ट्रांसफर कर दिया था. हाईकोर्ट ने कभी किसी जज की इतनी शान से विदाई नहीं देखी. उन्होंने दिखाया कि शपथ के प्रति ईमानदार एक न्यायाधीश संविधान को बनाए रखने और अधिकारों की रक्षा करने के लिए क्या कर सकता है."


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जस्टिस एस. मुरलीधर जब चंडीगढ़ पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ. रेलवे स्टेशन पर लोगों ने फूल मालाओं से उनका स्वागत किया.

(PTI के इनपुट के साथ)
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