मंत्रालय का कहना है कि 2,276 रूपये का होने के बावजूद यह सस्ता लैपटाप है जिसकी 50 प्रतिशत लागत केंद्र सरकार वहन करेगी. छात्रों को इसके लिए 1,100 रूपये का भुगतान करना पड़ेगा. प्रत्येक राज्य को प्रथम चरण के तहत ऐसे 3,300 लैपटाप प्रदान किये जायेंगे.
सिब्बल ने कहा कि साल 2020 तक 30 प्रतिशत सकल नामांकन दर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह पहल महत्वपूर्ण साबित होगी जिसके जरिये शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा सकेगा. इस सस्ते लैपटाप के नाम के बारे में कई सुझाव सामने आए और ‘आकाश’ पर आमसहमति बनी.
इस लैपटॉप के 29 प्रतिशत कलपुर्जे दक्षिण कोरिया से, 24 प्रतिशत चीन से, 16 प्रतिशत अमेरिका से एवं पांच प्रतिशत अन्य देशों से प्राप्त किए गए है. इसके 16 प्रतिशत कलपुर्जे भारतीय हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘इस टैबलेट लैपटाप की कीमत करीब 1,500 रूपये निर्धारित की गई थी लेकिन अभी इसकी कीमत 2,276 रूपये हो गई है. सरकार इस पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करेगी और अभी यह छात्रों को करीब 1,100 रूपये में उपलब्ध होगा.’ यह लैपटाप किसी स्टॉल पर उपलब्ध नहीं होगा बल्कि राज्य सरकारों और शैक्षणिक संस्थाओं के माध्यम से छात्रों को मिलेगा.
इस उपकरण को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी नीति (एनएसईआईसीटी) और आईआईटी राजस्थान के सहयोग से तैयार किया गया है जिसका निर्माण ‘डाटाविंड’ नामक कंपनी ने किया है.
तमाम मुश्किलों के बीच छात्रों के लिए सस्ता लैपटाप मुहैया कराने की सरकार की योजना, परिकल्पना के छह वर्ष बाद मुकाम तक पहुंच गई. सरकार ने ‘आकाश’ को औपचारिक रूप से पेश किया इसकी कीमत 2,276 रूपये रखी गई है.