इलाहाबाद में आस्था के महाकुंभ की शुरुआत हो गई है. मकर संक्रांति के खास मौके पर शुरू हुए इस महाआयोजन के पहले दिन संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. 54 दिनों तक चलने वाले इस महामेले के पहले दिन ही शाही स्नान का खासा उत्साह है.
हर-हर गंगे, हर-हर महादेव जैसे जयकारों के बीच लोग कर रहे हैं शाही स्नान, साधु-संत से लेकर आम लोग तक लगा रहे हैं आस्था की डुबकी, इलाहाबाद में महाकुंभ में भक्ति के सागर में नहाए लोग.
सुबह चार बजे से ही संगम के तट पर शुरू हो गया स्नान का सिलसिला, आम लोगों ने सूर्योदय से पहले ही संगम पर पहुंचकर लगा ली आस्था की महाडुबकी, दिन चढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जा रही है भीड़.
पूरे लाव-लश्कर के साथ नाचते-गाते साधु-संतों की मंडली संगम तट तक पहुंची, प्रयागनगरी में भक्ति, शक्ति और आस्था का ये अनूठा संगम है, उत्साह से भरे साधुओं का जोश देखने लायक है.
ढोल-नगाड़ों के साथ साधु-संतों की टोली पहुंच रही है संगम तट पर, अलग-अलग अखाड़े, अलग-अलग अंदाज में पहुंच रहे हैं.
आस्था के मेले में साधुओं ने दिखाया अपना अनोखा रंग, हाथों में तलवार और त्रिशूल लेकर संगम की तरफ किया कूच, हर अखाड़े को शाही स्नान के लिए मिला 40 मिनट का वक्त.
सुबह करीब 6 बजे निरंजनी अखाड़े ने निकाली अपनी शाही सवारी, नाचते-झूमते साधु आए संगम पर, रास्तों पर भक्तों ने किया जोरदार स्वागत.
सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने किया शाही स्नान, संगम तट पर ये अखाड़ा पुहंचा तो बस हर ओर नागा साधुओं की भीड़ ही नजर आ रही थी, महानिर्वाणी अखाड़े के साथ अटल अखाड़ा भी था.
महानिर्वाणी अखाड़े का जूलुस भी देखने लायक था, अखाड़े के महामंडलेश्वर रथ पर सवार थे, जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे, साथ में भारी तादाद में श्रद्धालु भी निकले थे.
महानिर्वाणी अखाड़े के बाद निकली निरंजनी अखाड़े की शाही सवारी, इस अखाड़े के साथ ही आनन्द अखाड़े के साधु सन्त भी थे. संगम पर साधुओं का मेला लगा रहा.
संगम के तट पर साधुओं ने की ट्रैक्टर की सवारी, शाही स्नान के लिए पहुंचने के लिए अपनाए गए अलग-अलग तरीके.
ये है अखाड़ों की शाही सवारी का सबसे अद्भुत नजारा.
पीछे-पीछे चलती शाही सवारी में साधुओं के साथ चलते गजराज.
आगे-आगे घोड़े पर बजती डुगडुगी.
सुबह मुहूर्त के लिए पहले से ही तैयार थे साधु-संत.
संगम में डूबकी लगाने से पहले रात भर साधु संन्यासियों ने पूजा पाठ और हवन किया.
संगम पर साधुओं ने शंखनाद कर शाही स्नान का किया आगाज, शंख की आवाज सुनकर श्रद्धालुओं में जोश का संचार.
पवित्र डूबकी के लिए लोग इतने बेताब थे कि सूरज उगने का भी इंतजार नहीं किया. ठंड को मात देते हुए लोगों ने पवित्र डुबकी लगाई.
महाकुंभ के महास्नान के लिए महिलाएं भी खासी उत्साहित हैं. भारी तादाद में वो भी पहुंची हैं संगम तट पर.
पवित्र स्नान के लिए संगम पर पहुंचीं महिलाओं में भी भक्ति सिर चढ़-कर बोल रही हैं. महिलाएं इस कदर आनंद में हैं कि नाच-गाकर स्नान के लिए पहुंच रही हैं.
शाही स्नान के लिए महिला साधु संतों की भी बड़ी तादाद पहुंची है संगम के घाटों पर, कोई रथ पर बैठकर आई हैं, तो कोई पैदल ही पहुंची हैं स्नान के लिए.
संगम पर स्नान के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें हैं. लोग एक-दूसरे के पीछे खुद ही लंबी-लंबी कतारों में आ रहे हैं. ये कतारें ऐसी हैं जो खत्म ही नहीं हो रही हैं मानो भक्ति का रेला है.
उदासीन अखाड़े की शाही सवारी यानि पेशवाई बड़े ही शान के साथ कुंभ क्षेत्र में प्रवेश हुई. 12 सालों के इंतजार के बाद ये घड़ी आई तो इसमें किसी तरह की कोई कमी ना रह जाये. हाथी, घोड़े, ऊंट से सजी ये सवारी में सबसे आगे थी भगवान राम का रथ और उसके पीछे अखाड़े के आचार्य.
अटल अखाड़ा भी पूरे शानो शौकत के साथ कुंभ नगरी में प्रवेश किया. उनका जूलुस देखने लायक था. इनकी पेशवाई की भव्यता भी देखने लायक थी.
वैष्णव अखाड़े की पेशवाई में दिखा साधु संतों का पराक्रम. हथियारों से लैस और उससे तरह तरह के करतब करते साधु. ये खेल था पराक्रम का. इस खेल में संदेश छिपा था कि केवल वैराग नहीं बल्कि पराक्रम में भी किसी से पीछे नहीं हैं भारतीय संत.
इस बार संगम पर साधु संतों ने लगाई है संगम पर इको-फ्रेंडली टेंट, साधुओं का मानना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि गंगा और यमुना को प्रदूषित होने से बचाया जा सके.
सुबह 4 बजे से ही स्नान शुरू हो गया, फिर भी स्नान करने वालों की भीड़ कम नहीं हुई. सैकड़ों लोग संगम में डुबकी लगाते तो हजारों घाट पर अपनी बारी का इंतजार करते. पहले दिन करीब सवा करोड़ लोग कर रहे हैं शाही स्नान.
इन्होंने चार किलो की सोने की चेन पहन रखी है. उसे न तो चोर उचक्कों का खौफ है, ना ही झपटमारों का.
ये है इस साल के महाकुंभ का गोल्ड मैन. प्रयाग के महाकुंभ में शाही स्नान के लिए जब ये पहुंचे तो लोगों के आकर्षण का खास केंद्र बन गए.
महाकुंभ के स्नान के लिए एक शख्सियत ऐसी भी पहुंची जो ऊपर से नीचे तक सोने से लदी थी.
पायलट बाबा की टोली में देशी श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशों से आए भक्त भी शामिल थे.
अपने समर्थकों के साथ पायलट बाबा ने भी किया शाही स्नान.
महाकुंभ में साधुओं का एक ऐसा संप्रदाय भी पहुंचा है, जो जंगम के नाम से मशहूर है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने इन्हें अपनी जांघ से बनाया था. ये साधु सांसारिक जीवन बिताते हैं और कुंभ मेले में रीति रिवाजों के पालन में दूसरे साधुओं की मदद के लिए आते हैं. इनकी वेशभूषा भी अलग होती है. मेले में ये शिव के भजन गाते रहते हैं.
उदासीन अखाड़े में कृष्ण लीला देखने के लिए उमड़ पड़ी श्रद्धालुओं की भीड़.
ठंड पर भारी पड़ गया आस्था का उफान.
संगम में डुबकी से पहले श्रीकृष्ण लीला के दर्शन.
महाकुंभ में पहुंचे कुछ साधु अपने हठयोग से लोगों को हैरान कर रहे हैं. बाबा भोला गिरि पिछले 37 सालों से अपना एक हाथ ऊपर किए हुए हैं. इस दौरान उन्होंने इस हाथ की अंगुलियों के नाखून भी नहीं काटे हैं. उनके शिष्य का हठयोग भी अनोखा है. स्वामी कृष्णा पिछले 5 सालों से खड़े हैं. खडे खड़े ही वो झूले पर सो जाते हैं.
अब देखिए कैसे भगवान शिव बनकर ये बच्चा दे रहा है आशीर्वाद.
साधु संन्यासी इलाहाबाद महाकुंभ के मुख्य आकर्षण बने हुए हैं. साधुओं की अलग-अलग वेशभूषा भी लोगों को अपनी ओर खींच रही है. मेले में साधुओं सा स्वांग रचा कर घूमते बच्चे भी मिल जाएंगे.
आस्था के रंग में लबालब डूबा हुआ है तीर्थ राज प्रयाग. इलाहाबाद में सिर्फ तीन नदियों या कई संस्कृतियों का संगम ही नहीं दिख रहा बल्कि आस्था और आधुनिकता का भी अनोखा संगम देखने को मिल रहा है. साधु संन्यासियों के हाथों में मोबाइल-टैबलेट इसके सबूत हैं.
संगम में अगले 54 दिनों तक ऐसी ही रौनक बनी रहेगी. उम्मीद की जा रही है कि इस साल के महाकुंभ में पिछले सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. कुल 10 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है.
महाकुंभ में जुटे साधु संन्यासी पर्यावरण और गंगा की सेहत के लेकर भी चिंतित नजर आए. उन्होंने लगातार ये संदेश देने की कोशिश की है कि भले ही लोगों का स्नान करना जरूरी है. लेकिन इसके लिए गंगा और यमुना को किसी भी कीमत पर प्रदूषित नहीं किया जा सकता.
महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाते लोगों को भी आम और खास में बांटा गया है. एक तस्वीरें बताती हैं कि इलाहाबाद में खास लोगों के लिए खास घाट तैयार किए गए हैं जबकि हजारों लोग घेरे के बाहर इंतजार कर रहे हैं.
पूरे इंतजाम की सुरक्षा में कुल 50 हजार सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं. यूपी पुलिस के अलावा सीआरपीएफ और सीआईएसएफ की 37 कंपनियां भी सुरक्षा के लिए तैनात की गई हैं.
महाकुंभ के महाआयोजन के लिए सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं.
महाकुंभ की सुरक्षा के लिए पूरे इलाहाबाद को ही छावनी में तब्दील कर दिया गया है. जिले में घुसने के लिए 8 पुलिस चेक पोस्ट बनाए गए हैं. शहर के अंदर 24 चेक पोस्ट लगे हैं. इतना ही नहीं, शहर भर में 50 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.
महाकुंभ में स्नान के लिए दाती महाराज भी आए हुए हैं. उनका कहना है कि कुंभ में स्नान का खास महत्व है और प्रयाग के इस महाकुंभ का तो अलग ही आनंद है.
अवधेशानंद गिरि भी कुंभ में पूरे शान के साथ पहुंचे. उनकी शाही सवारी और भक्तों का लंबा जत्था लोगों के खास आकर्षण का केंद्र बना.
रोशनी से सराबोर हुआ संगम तट. महाकुंभ के मौके पर इलाहाबाद में सजावट के खास इंतजाम, रोशनी की छटा में नहाया शहर.
10 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में फैले घाटों पर हजारों बत्तियां लगाई गई हैं. रात को जब ये बत्तियां जलती हैं तो नदी और घाट रोशनी में नहा उठा सकते हैं. खूबसूरती की ये छटा देखते ही बनती
है.
महाकुंभ के पहले दिन से ही विदेशी सैलानी भी पहुंचने लगे हैं संगम पर, अलग-अलग देशों से पहुंच रहे हैं विदेशी श्रद्धालु.
भले ही वो हिंदी बोल ना पाते हों या समझ पाते हों, पर भक्ति का रंग उनपर भी उतना ही चढ़ा है.
साधु संत के अखाड़ों के साथ कई विदेशी भक्त भी दिख रहे हैं.