30 मई को मोदी सरकार 2.0 अपना एक साल पूरा करने जा रही है. मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. इन उपलब्धियों में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा और तीन तलाक को खत्म करने जैसे कड़े कदम उठाने के अलावा नागरिकता संशोधन कानून और बैंकों के विलय से जुड़े फैसले भी शामिल हैं. इसके अलावा कोरोना काल में तमाम कड़े निर्णय लेने और उसके प्रभावी तरीके से लागू करवाने में सफलता हासिल करने की वजह से मोदी सरकार की विश्व भर में काफी प्रशंसा हुई. विश्व के कई बड़े नेता मोदी सरकार के साथ-साथ पीएम मोदी की भी तारीफ कर चुके हैं. लोगों का मानना है कि कोरोना संकट से निपटने में मोदी सरकार काफी हद तक सफल रही. मोदी सरकार के एक साल पूरे होने जा रहे हैं. ऐसे समय में हम आपको इस सरकार के सबसे अहम 10 चेहरों से रूबरू करवा रहे हैं.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पार्टी को देश भर में मजबूत करने का श्रेय हासिल करने वाले अमित शाह को इस बार सरकार में सबसे अहम जिम्मेदारी मिली है. अमित शाह देश का गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि अमित शाह की सरकार में यह एंट्री एक बड़ी प्लानिंग का हिस्सा थी. सरकार ने अपनी शुरुआत में ही बता दिया था कि इन पांच सालों में तमाम बड़े और अहम निर्णय लिए जाने हैं. इसलिए गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी भी बहुत खास थी. यही वजह है कि इसके लिए अमित शाह का चुनाव किया गया. पिछले एक साल में उन्होंने अपने फैसलों से यह साबित भी कर दिया है मोदी सरकार में सबसे अहम चेहरे वे ही हैं. जिस तरह उन्होंने धारा 370, तीन तलाक, सीएए और एसपीजी अमेंडमेंट एक्ट को लेकर संसद में और संसद के बाहर सरकार का पक्ष रखा वैसा कोई और दूसरा नहीं कर सकता था.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पिछली सरकार में गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुके राजनाथ सिंह को इस बार रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. रक्षा मंत्रालय में खरीद-फरोख्त को सरकार ने काफी आसान बना दिया है. इस तरह देखें तो मोदी सरकार 2.0 में राजनाथ दूसरे अहम चेहरे हैं. बड़ी बैठकों के दौरान राजनाथ अकसर पीएम मोदी के साथ ही नजर आते हैं. यही नहीं कोरोना पर गठित मंत्रिमंडल समूह का नेतृत्व भी राजनाथ सिंह के हाथों में दिया गया. यही नहीं पीएम मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपयों के आर्थिक पैकेज पर गाइडलाइंस बनाने और उसका ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी भी राजनाथ सिंह के ही कंधों पर है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे अहम पद का जिम्मा संभाल रहे अजीत डोभाल का कद मोदी सरकार के किसी वरिष्ठ मंत्री से कमतर नहीं है. वह ऐसे शख्स हैं, जिसके पास हर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान मिल जाता है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कई ऐसे फैसले लिए गए जिनका व्यापक विरोध हुआ लेकिन उसे जिस चतुराई से अजीत डोभाल ने कंट्रोल किया वह किसी मंत्री के बस में नहीं था. धारा 370 हटने के बाद डोभाल ने जम्मू-कश्मीर को संभाला और प्रदेश की जनता से लगातार बातकर उनमें विश्वास जगाया, उसी तरह जब दिल्ली में हिंसा हुई तो उसे संभालने की जिम्मेदारी भी अंत में डोभाल को दी गई. कुल मिलाकर चाहे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की कमर तोड़ने की बात हो या जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली की, डोभाल हर मोर्चे पर खरे उतरे हैं. हम कह सकते हैं कि अजीत डोभाल के रूप में सरकार के पास एक ऐसा चेहरा है जो सुरक्षा, पुलिसिंग, इंटेलिजेंस हर क्षेत्र में महारत रखता है.
देश के सामने जब एक गंभीर आर्थिक संकट मुंह खोले खड़ा है, उस वक्त मोदी सरकार का एक चेहरा हर रोज इस कोशिश में लगा रहता है कि वह कारोबारियों, कामगारों और बैंको को यह यकीन दिला सके कि वे सुरक्षित हैं. जी हां हम देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बात कर रहे हैं. जेएनयू से अर्थशास्त्र की पढ़ाई कर चुकीं निर्मला सीतारमण की पदोन्नति बीजेपी में काफी तेजी से हुई है. निर्मला ने 2006 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी. 2010 में उन्हें बीजेपी प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई. उसके बाद जिस तरह उन्होंने पार्टी का पक्ष रखना शुरू किया, उससे लोगों को लगने लगा कि बीजेपी को दूसरी सुषमा स्वराज मिल गईं. यही वजह रही कि 2014 में उन्हें पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन सितंबर 2017 में रक्षा मंत्रालय जैसा अहम पद दे दिया गया. विपक्षियों ने राफेल सौदे को लेकर उन्हें कई बार घेरने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हर बार मुंह तोड़ जवाब दिया. उनकी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल करने के लिए मोदी सरकार के इस कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि इस बार सरकार की कोशिश थी कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाकर विश्व के सामने एक उदाहरण पेश किया जाए.
मोदी सरकार 2.0 में पीयूष गोयल की छवि भी काफी रसूख वाली है. यहां बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इन्होंने ऊर्जा, कोयला और नवीन ऊर्जा मंत्रालय जैसे अहम विभाग संभाले थे. इसके अलावा स्वर्गीय अरुण जेटली की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का प्रभार भी इन्हें ही दिया गया था. ऊर्जा और कोयला मंत्रालय में उठाए गए कुछ बड़े कदमों की वजह से दूसरे कार्यकाल में उन्हें भारत की लाइफलाइन मानी जाने वाली भारतीय रेल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भी पीयूष गोयल के ही खाते में हैं. रेल मंत्री के तौर पर भी उनकी मिसाल लंबे समय तक दी जाएगी. दरअसल जिस जिम्मेदारी से उन्होंने कोरोना काल में रेलवे के संसाधनों का इस्तेमाल किया, वह काबिले तारीफ रहा है. पहले उन्होंने रेलवे की बोगियों में आइसोलेशन वार्ड बनवाए. उसके बाद रेलवे के कई कारखानों में सैनिटाइजर, पीपीई किट और मास्क जैसी जरूरी चीजों के निर्माण की भी खबरें सामने आईं. इसके बाद रेलवे ने प्रवासी मजदूरों की समस्या दूर करने के लिए श्रमिक दिवस के मौके पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा कर दुनिया भर के सामने एक बड़ा उदाहरण पेश किया.
देश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है. जिस वक्त पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है, उस वक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में चेयरमैन बनना किसी भी भारतीय के लिए गर्व की बात होगी. यह मुकाम हासिल कर डॉ हर्षवर्धन ने हमें कोरोना काल में भी खुश होने का एक अच्छा मौका दिया है. मौजूदा वक्त में भी डब्ल्यूएचओ कोरोना से जंग में काफी अहम रोल निभा रहा है. ऐसे में देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का डब्ल्यूएचओ एक्जीक्यूटिव बोर्ड का अध्यक्ष चुना जाना काफी खास है. कोरोना से निपटने में भी स्वास्थ्य मंत्री की मेहनत अब रंग लाती दिख रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े दावा करते हैं कि कठिन परिस्थितियां होने के बावजूद भी मोदी सरकार देश में कोरोना के कहर को रोकने में काफी हद तक सफल रही है. भारत में कोरोना वायरस के मामले दुनिया में सबसे कम हैं. प्रति लाख जनसंख्या का वैश्विक औसत जहां 62 है वहीं भारत में यह औसत 7.9 है. यही नहीं भारत में कोरोना की वजह से होने वाली मृत्यु दर भी वैश्विक औसत 4.2 के मुकाबले 0.2 प्रति लाख व्यक्ति है. कोविड- 19 की रिकवरी दर भी सुधर कर अब 41 फीसदी तक हो चुकी है.
सुब्रमण्यम जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव के पद पर कार्यरत थे. 2017 में चीन के साथ डोकलाम में उभरे विवाद को सुलटाने में उनकी अहम भूमिका रही थी. शायद यही वजह थी कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री के तौर पर उनकी एंट्री ने सबको चौंका दिया था. विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद एस जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने बड़े मुद्दों पर दुनियाभर से समर्थन हासिल किया है. नए भारत के लिए विदेश नीति में कुछ बदलाव भी किए. इसके अलावा पाकिस्तान को अलग-थलग करने भी कामयाबी हासिल की. इसके अलावा कई पड़ोसी मुल्कों का दौरा भी किया ताकि पड़ोसी पहले की नीति को आगे बढ़ाया जा सके. कोरोना काल में विदेश मंत्री ने प्रवासी भारतीयों की मदद के लिए कई प्रयास किए. वंदे भारत मिशन चलाया जिसके जरिए कई देशों से भारतीय वापस लौट रहे हैं. इसके अलावा दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात कर वहां रह रहे भारतीय नागरिकों की हरसंभव मदद की कोशिशें भी कीं.
सड़क परिवहन और राजमार्ग के अलावा जहाजरानी मंत्रालय संभाल रहे नितिन गडकरी की भूमिका भी मोदी सरकार में काफी अहम है. कई सारे हाईवे और एक्सप्रेस-वे उनके कार्यकाल में बन रहे हैं. जिसकी मदद से नए भारत के निर्माण में काफी गति मिल रही है. इसके अलावा लघु, छोटे और मझोले उद्योगों की जिम्मेदारी भी नितिन गडकरी के कंधों पर ही है. कोरोना संकट में सबसे बड़ी दिक्कत ऐसे ही उद्योगों को उठानी पड़ रही है. इस वजह से आने वाले दिनों में गडकरी द्वारा लिए गए फैसले काफी अहम होने वाले हैं. क्योंकि एमसएमई सेक्टर से ही सबसे ज्यादा गरीब मजदूर जुड़े होते हैं. इन्हें इस समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. एमएसएमई सेक्टर को फिर से चमकाने के लिए कार्य योजना पर काम शुरू हो चुका है. गडकरी ने सड़क सुरक्षा को लेकर भी कई कदम उठाए हैं. इसके अलावा प्रदूषण की रोकथाम के लिए गाड़ियों के नए मानक तय करने का उनका फैसला भी काफी सराहनीय रहा है. अब उन्होंने संकेत दिए हैं कि भारत में जल्द ही वाहन कबाड़ नीति आने वाली है. जिसके तहत पुराने वाहनों को कबाड़ में तब्दील किया जाएगा.
हम हमेशा से पढ़ते आए हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. ऐसे में देश में कृषि मंत्री का पद भी काफी अहम होता है. इसी वजह से मोदी सरकार 2.0 में यह जिम्मेदारी बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र सिंह तोमर को दी गई है. तोमर के बारे में कहा जाता है कि वे बात करने की बजाए काम को तवज्जो देने वाले नेता हैं. शायद यही वजह है कि चकाचौंध से दूर वे कृषि कल्याण के कामों में लगे हुए हैं. मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और तोमर के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय इसे पूरा करने के लिए काफी मेहनत कर रहा है. इसके अलावा हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए तख्ता पलट में भी नरेन्द्र सिंह तोमर की भूमिका काफी अहम मानी जाती है. कहा जाता है कि पूरे तख्ता पलट की कहानी इन्होंने ही लिखी थी. सिंधिया की नाराजगी का अंदाजा लगते ही तोमर ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने के काम में जुट गए थे. ऐसा भी कहा जा रहा है कि कुछ दिनों से तोमर के दिल्ली के घर पर मध्य प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं का आना-जाना बढ़ गया था. इसके अलावा तोमर भी अपने क्षेत्र ग्वालियर का बार-बार दौरा कर रहे थे.
मोदी सरकार 2.0 में कानून और न्याय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के साथ-साथ संचार विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे रविशंकर प्रसाद के बारे में सबसे रोचक बात यह है कि उन्होंने पटना साहिब सीट से 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि राज्यसभा में वे 2000 के बाद 2018 तक लगातार चार बार (2000, 2006, 2012 और 2018) पहुंचे. पेशे से वकील रहे रविशंकर प्रसाद अटल सरकार के साथ ही साथ मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. रविशंकर प्रसाद सरकार का पक्ष रखना बखूबी जानते हैं. वकालत से ताल्लुक रखने की वजह से टीवी डिबेट इत्यादि में भी उनका ही पलड़ा भारी रहता है. 2022 तक देश के सभी गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लिए रविशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन की शुरूआत की थी. उनका यह कदम सभी के लिए किफायती और सर्वसुलभ ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराने में काफी मददगार साबित होगा.