मॉरिशस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गंगा मैया भी मिल गईं और महादेव भी. आस्था की चौखट पर मोदी ने मत्था टेका और देवी-देवताओं को गंगा जल का अर्घ्य भी दिया. गुरुवार 12 मार्च 2015 को मोदी मॉरिशस में 1800 फीट की ऊंचाई चढ़कर भगवान शिव की आराधना करने पहुंचे.
मॉरिशस में भारतीय परंपराओं की झलक मिलती है. यहां अविरल, निर्मल बहती पतित पावनी गंगा और उसके घाट तो नहीं हैं, लेकिन मॉरिशस में हिंदुओं की सबसे पवित्र जगह गंगा तालाब जरूर है. आस्था में यहां शीष झुकते हैं, पूजा के कमल खिलते हैं, शंख की ध्वनि में, देवी-देवताओं के सम्मान में अर्घ्य दिए जाते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी गंगा तालाब जाकर अर्घ्य दिया और पूजा अर्चना की. मोदी भगवान शिव के परम भक्त हैं. देश में हो या विदेश में, अगर वहां भगवान शिव का मंदिर है तो मोदी की आस्था भोले बाबा की चौखट तक जरूर पहुंचती है.
बताया जाता है कि मॉरिशस की कुल जनसंख्या में आधी आबादी से ज्यादा भारतीय मूल के लोग हैं. भाषा के तौर पर हिंदी को भारत के बाद अगर सबसे अधिक प्यार और दुलार कहीं मिला है तो वो मॉरिशस ही है.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने विजिटर्स बुक में एक संदेश भी लिखा. प्रधानमंत्री ने लिखा मैं यहां आकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं.
मॉरिशस में ज्यादातर लोग बिहार में छपरा, आरा, और यूपी के गाजीपुर, बलिया और गोंडा जिलों के थे. उन्होंने मॉरिशस में भारतीय संस्कृति और भाषा का परित्याग नहीं होने दिया. अपने प्रवास काल में महात्मा गांधी जब 1901 में मॉरिशस आए थे तो उन्होंने भारतीयों को शिक्षा और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित किया था.