भारत के स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) मिलने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जो युद्धक विमान का निर्माण करते हैं. इसके साथ ही तेजस के भारतीय वायु सेना में शामिल किये जाने के मार्ग की एक और बाधा दूर हो गई.
हल्के लड़ाकू विमान की परियोजना शुरू किये जाने के 27 वर्ष बाद यह सफलता हासिल हुई. रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान तेजस के संबंध में आईओसी प्रमाण पत्र वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल पी वी नाइक को एचएएल हवाई अड्डे पर सौंपा.
रक्षामंत्री ने कहा, ‘यह केवल सेमीफाइनल है.’ उन्होंने कहा कि एलसीए राष्ट्रीय सुरक्षा क्षमता को बढ़ायेगा और देश का अपना स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता का विकास करेगा.
एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के नेतृत्व में पिछले तीन दशक तक चले एलसीए के विकास और शोध के बाद यह आईओसी प्रमाण पत्र मिला है. एलसीए में इस समय अमेरिका का जीई एफ 404 इंजन लगा है. इस लड़ाकू विमान के विकास के साथ ही भारत इस क्षमता वाले अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन सहित चुनींदा देशों के समूह में शामिल हो गया है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों के सफलतापूर्वक पूरा होने पर देश को इस महत्वपूर्ण तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा अब समय आ गया है कि हमारे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां मिलकर विश्व स्तरीय सैन्य प्रणालियां बनायें.