scorecardresearch
 
Advertisement
भारत

23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 1/13
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 23 बच्चों को बहादुरी सम्मान से सम्मानित करते हुये कहा कि हिम्मत की यह मिसाल सभी लिये प्रेरणा का स्रोत है. इनमें से दो बच्चों को मरणोपरांत सम्मानित किया गया.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 2/13
बहादुरी पुरस्कार देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देशवासियों को आप पर गर्व है और उन्हें आपसे बहुत उम्मीदें हैं. मुझे इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है कि ऐसे बहादुर बच्चों के साथ इस देश का भविष्य सुरक्षित है.’ दो बच्चों को मरणोपरांत सम्मान देते हुये उन्होंने इन बच्चों के परिजनों से कहा कि उनका योगदान व्यर्थ नहीं जायेगा.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 3/13
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, महिला और बाल कल्याण मंत्री कृष्णा तीरथ और प्रधानमंत्री की पत्नी गुरशरण कौर की मौजूदगी में बच्चों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, ‘इनका बलिदान और इनकी बहादुरी देश के लिये मिसाल बनेगी और दूसरों को ऐसा करने की शक्ति प्रदान करेगी.’
Advertisement
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 4/13
उत्तराखंड के 11 वर्षीय प्रियांशु जोशी को अपनी बहन को तेंदुए से बचाने के लिये ‘संजय चोपड़ा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. ये सभी बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेंगे.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 5/13
मनमोहन ने प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार प्रदान करते हुये केरल की 14 वर्षीय कुमारी जिस्मी पी एम के नाम का उल्लेख किया. कुमारी जिस्मी ने दो बच्चों को डूबने से बचाने के दौरान अदभुत साहस का परिचय दिया था.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 6/13
नवम्बर 2009 में राजस्थान के एक गांव में छह वर्षीय चम्पा कंवर ने अपनी झोपड़ी में लगी आग में घिरी अपनी बहन को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. हालांकि इस प्रयास के बावजूद वह अपनी सात वर्षीय बहन और स्वयं का जीवन नहीं बचा सकी. उस दिन चम्पा अपने भाइयों के साथ खेल रही थी. तभी अचानक उनकी झोपड़ी में आग लग गई. आग की लपटे देखकर सभी बच्चे बाहर भाग गए लेकिन सात महीने की एक बच्ची अंदर ही रह गई. चम्पा ने अपनी बहन को आग में घिरा देखकर उसे बचाने के लिए कूद पड़ी. हालांकि इस प्रयास के बावजूद वह स्वयं और अपनी बहन को नहीं बचा सकी. दोनों की आग में झुलसकर मौत हो गई. चम्पा को मरणोपरांत वर्ष 2010 का राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया गया.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 7/13
आयु मात्र छह वर्ष लेकिन काम ऐसा कि बड़े भी सुनकर दंग रह जाएं. राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए 23 वीर बच्चों में दो ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिनकी उम्र मात्र छह वर्ष है लेकिन इसके बावजूद दोनों ने अपनी जान की परवाह किये बिना अन्य बच्चों को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 8/13
छह वर्षीय श्रवण कुमार ने अपने प्राण संकट में डालकर आग से दो बच्चों की जान बचायी. घटना 26 अक्टूबर 2009 की है. राजस्थान के समेश्वर गांव निवासी झालाराम की झोपड़ी में अचानक आग लग गई. जिस समय आग लगी उस समय उनकी दो बेटियां और 10 बकरियां झोपड़ी में ही थीं. श्रवण झोपड़ी से करीब 200 मीटर दूर खेल रहा था. आग का धुआं उठते देखकर श्रवण झोपड़ी की ओर दौड़ा. झोपड़ी के पास आकर श्रवण ने देखा कि बकरियां आग में घिरी हुई हैं और दोनों बच्चियां चारपाई पर पड़ी सहायता के लिए चिल्ला रहीं हैं. श्रवण अपनी जान की परवाह किये बिना झोपड़ी में घुस गया और एक वर्षीय छोटी बच्ची को गोद में उठाया और ढाई वर्षीय दूसरी बच्ची का हाथ पकड़कर बाहर निकाल लाया. श्रवण उन्हें सुरक्षित अपने घर छोड़कर झालाराम को इसकी सूचना देने के लिए दौड़ा. आग लगने की सूचना पाकर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए लेकिन तब तक झोपड़ी में बंधी बकरियों की मौत हो चुकी थी और घर का सामान भी जलकर राख हो चुका था.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 9/13
तेरह वर्षीय श्रुति लोधी ने गत वर्ष उत्तराखंड में पलक झपकते ही अपने दो मित्रों की जान बचाने के लिए उन्हें दूर ढ़केल दिया लेकिन स्वयं को एक पेड़ के नीचे आने से नहीं बचा सकी. श्रुति देहरादून में भारतीय मधुमेह संस्थान और पर्यावरण निगरानी संस्था द्वारा आयोजित ‘रन टू लीव’ दौड़ में बड़ी संख्या में शामिल बच्चों के साथ हिस्सा ले रही थी. दौड़ के दौरान अचानक एक पेड़ श्रुति पर गिर पड़ा. लेकिन उसने इसके बावजूद चिल्लाकर अन्य बच्चों को बचने के लिए सावधान करने के साथ ही अपने सामने के दो बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें दूर धकेल दिया. पेड़ गिरने से हुई दुर्घटना में कई बच्चे घायल हो गए जिन्हें बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया. गंभीर रूप से घायल श्रुति की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. श्रुति को मरणोपरांत वर्ष 2010 का राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया गया.
Advertisement
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 10/13
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों को हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी होने तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें भी उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 11/13
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की शुरूआत भारतीय बाल कल्याण परिषद ने उन बच्चों को पहचान दिलाने के उद्देश्य से किया था जो उत्कृष्ट वीरता का परिचय देकर दूसरों का जीवन बचाते हैं.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 12/13
वर्ष 1957 में पहली बार दो बच्चों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया. इसके बाद से प्रतिवर्ष यह पुरस्कार दिये जाने लगे. वर्ष 1987-1988 में परिषद ने अदम्य साहस का परिचय देने वाले बच्चों को भरत पुरस्कार देने की शुरूआत की.
23 बच्चों को मिला राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
  • 13/13
अभी तक 800 बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान किये जा चुके हैं. पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों को पदक, प्रमाणपत्र और नगद राशि प्रदान की जाती है.
Advertisement
Advertisement