संप्रग सरकार की बहुप्रतिष्ठित योजना, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने बुधवार को पांच साल पूरे कर लिए.
मनरेगा योजना के अमल के तौर तरीके में सुधार कर आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जरूरत बतायी.
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने योजना के कार्यान्वयन में कमियों पर चिंता जताते हुए खामियों का ठीकरा राज्य सरकारों पर फोड़ा.
प्रधानमंत्री ने मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों का बायोमीट्रिक डाटाबेस तैयार करने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल कार्य स्थल पर हाजिरी दर्ज करने और मजदूरी के भुगतान जैसे कार्यों के लिए किया जायेगा.
उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे काम देने में भेदभाव, भुगतान में विलंब और फर्जी मस्टर रोल के मामलों में काफी कमी आ सकेगी.
प्रधानमंत्री ने मनरेगा के पांच वर्ष पूरे होने पर कहा कि आने वाले समय में इस कानून को जमीनी स्तर पर लागू करने की चुनौतियां हमारे सामने हैं. हमें इस कार्यक्रम के डिलिवरी तंत्र में सुधार लाना है ताकि रोजगार का फायदा सभी ऐसे लोगों तक पहुंच जाये जो इसके सही मायनों में हकदार हैं.
सोनिया ने कहा, ऐसी खबरें भी हैं कि मनरेगा का पैसा दूसरे कार्यों में खर्च हो रहा है. फर्जी जाब कार्ड, फर्जी मस्टर रौल और मजदूरों के फर्जी नाम होने की सूचना सामने आयी है.