जंतर मंतर पर अन्ना हजारे के अनशन पर ‘अन्ना तुम संघर्ष करो, देश तुम्हारे साथ है’ कि गूंज देश के अलग-अलग कोनों से गूंजने लगी है.
अन्ना का आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है. अन्ना हजारे की छेड़ी मुहिम पूरे देश का आंदोलन बन चुका है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की आवाज पूरे देश में गूंज रही है.
पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, आरटीआई मुहिम के प्रणेता अरविंद केजरीवाल और स्वामी अग्निवेश के साथ अन्ना हजारे.
जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे हैं सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे.
लोग मोमबत्ती लेकर सड़कों पर उतर रहे हैं और भ्रष्टाचार को मार भगाने का प्रण ले रहे हैं.
अन्ना गांधीवादी नेता हैं. वो पूर्व सैनिक हैं और अविवाहित भी हैं.
अन्ना लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति गठित किए जाने पर जोर दे रहे हैं जिसमें 50 प्रतिशत सदस्य अधिकारी हों और शेष सदस्य आम नागरिक और बुद्धिजीवी हों.
72 वर्षीय हजारे लोकपाल को व्यापक अधिकार दिए जाने के लिए सख्त भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक की मांग के साथ आमरण अनशन पर हैं.
अन्ना के आमरण अनशन के कारण पैदा हुई स्थितियों को शांत करने के लिए सरकार सजह हो गई है क्योंकि इस अभियान को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिल रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अपनी भूख हड़ताल जारी रखते हुए कांग्रेस की इस बात को लेकर आलोचना की कि उनके आंदोलन को अनावश्यक और समय पूर्व करार देकर वह लोगों को गुमराह कर रही है.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा भी भ्रष्टाचार निरोधक अभियान में शामिल होने जा रही है, इस पर हजारे ने कहा कि हमने जो राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है उसका पार्टी लाभ उठा रही है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने कृषि मंत्री शरद पवार पर हमला बोलते हुए कहा कि उनके द्वारा भ्रष्टाचार पर बने मंत्री समूह से इस्तीफा देने से कुछ हल नहीं निकलना और पवार को केन्द्रीय मंत्री परिषद से भी हट जाना चाहिए.
जनलोकपाल विधेयक मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आमरण अनशन शुरू करने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे को लेकर कैबिनेट के कुछ सदस्यों के साथ चर्चा की. अब संकेत मिल रहे हैं कि हजारे से बात करने के लिए एक या दो मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
अन्ना के आमरण अनशन के कारण पैदा हुई स्थितियों को शांत करने के लिए सरकार सजह हो गई है क्योंकि इस अभियान को बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन मिल रहा है.
अन्ना से जब यह सवाल पूछा गया कि आरक्षण व्यवस्था पर पुनर्विचार की मांग को लेकर उन्होंने अम्बेडकर जयंती का ही दिन क्यों चुना, डा. सिंह ने दावा किया कि डा. अम्बेडकर ने भी संविधान सभा में आरक्षण नीति को लम्बे समय तक चलाने का विरोध किया था और अन्य सदस्यों के आग्रह पर इसे दस साल के लिए लागू करना स्वीकार किया था. उन्होंने कहा कि डा. अम्बेडकर के विचारो के विरुद्ध संसद में हर बार बिना किसी बहस के आरक्षण अवधि दस दस साल के लिए बढ़ायी जाती रही.
अन्ना की अन्य मांगो में विदेशी बैंको में काला धन जमा करने वाले आर्थिक अपराधियों के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोके जाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने की मांग शामिल है.
जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनशन के समर्थन में महाराष्ट्र के विपक्षी दल शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी आ खड़े हो गए.
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने कहा, ‘हम जनता और देश के हित में हजारे के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं.’ हालांकि एक निराशावादी सोच के तहत उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ‘भूख हड़ताल के इस कीटनाशक के छिड़काव से भ्रष्टाचार के कितने कीटाणु मर पायेंगे.’ उधर भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष मुंगतिवार ने प्रदेश कार्यालय में पार्टी की 32 वीं जयंती पर कहा कि उनकी पार्टी समाज को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के कृतसंकल्प है और वह हजारे का ठोस समर्थन करेगी.
लोकपाल को व्यापक शक्तियां देने वाले भ्रष्टाचार निरोधक कानून लागू करने की मांग कर रहे हजारे ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी का बयान लोगों को गुमराह कर रहा है. यह आंदोलन अनावश्यक कैसे है और यह समय से पहले कैसे है? राष्ट्र को 42 साल से इस तरह के कानून की जरूरत है. सरकार इसे लागू क्यों नहीं कर रही है.’
अन्ना ने कहा कि वह तब तक अपनी भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार इस विधेयक का मसौदा तैयार करने में नागरिकों की भागीदारी पर रजामंद नहीं हो जाती है.
हजारे का आंदोलन गति पकड़ने लगा है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी तथा देश के अन्य हिस्सों में नागरिक समाज बड़ी संख्या में उनसे जुड़ने लगा.
देश भर के युवा अन्ना के साथ हैं और अन्ना यही चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस युद्ध में युवा उनके साथ रहे. अन्ना का कहना है कि अगर देश की तकदीर बदलनी है तो युवाओं को मोर्चा लेना होगा.
अन्ना अनशन पर हैं, क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार से लिपटी राजनीति कतई पसंद नहीं है. उन्होंने राजनेताओं से साफ-साफ कहा है कि वो इस आंदोलन से दूर रहे. वो देश के लोगों के साथ राजनीति नहीं चाहते. क्योंकि राजनेताओं को सबसे ज्यादा भ्रष्ट मानते हैं.
अन्ना तुम संघर्ष करो, देश तुम्हारे साथ है. ये आवाज देश के अलग-अलग कोनों से गूंजने लगी है.
अन्ना हजारे के मुताबिक कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि अनशन पर जाकर उन्होंने गलत रास्ता चुना है. उन्होंने कहा कि वह इस प्रवक्ता को यह बताना चाहते हैं कि उनके (प्रवक्ता) पैदा होने से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी असहयोग आंदोलन किया था.
हजारे ने कहा, ‘मैं लंबे अरसे से समाज के लिए काम कर रहा हूं. 35 वर्षों से अपने घर नहीं गया. मेरे तीन भाई हैं, लेकिन मैं उनके बच्चों का नाम नहीं जानता. मेरे पास कोई बैंक बैंलेस नहीं हैं.’
अन्ना ने कहा, ‘मैं जनता के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं. मुझे कांग्रेस या भाजपा से क्या मतलब? एक संपन्न देश आज दयनीय स्थिति में है और यह सिर्फ देश में शासन करने वालों की वजह से है.’
हजारे ने उस आरोप को खारिज कर दिया कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं.
मंत्री समूह के बारे में हजारे ने कहा कि वे बड़े निर्णय नहीं ले सकते. उनका मानना है कि ऐसी समिति का कोई मतलब नहीं है, जो बड़े फैसले नहीं ले सके.
हजारे के सहयोगियों ने बताया कि उनकी हालत ठीक है, हालांकि उनका रक्तचाप बढ़ गया है और वह कमजोरी भी महसूस कर रहे हैं.
भूख हड़ताल की वजह से अनशन के तीसरे दिन अन्ना हजारे बेहोश हो गए.
बीते तीन दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन कर रहे 72 वर्षीय हजारे का डेढ़ किलो वजन घट गया है.
अन्ना से यह पूछने पर कि उनकी मुहिम का भाजपा फायदा उठा रही है तो उन्होंने कहा कि पूर्व में भी विपक्ष उनके भ्रष्टाचार मुहिम का फायदा उठा चुकी है.
अन्ना के समर्थन में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी पहुंची लेकिन लोगों के भारी विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा.
इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला भी अन्ना के समर्थन में पहुंचे.
लोगों ने मोमबत्ती जुलूस निकाला और सरकार से मांग की कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल विधेयक को जल्द से जल्द लाया जाये.
कई सामाजिक संगठनों ने भी अन्ना के इस मुहिम का समर्थन किया है.
भ्रष्टाचार पर तुरंत रोक लगाने के लिए लोगों ने जम कर प्रदर्शन किया और जन लोकपाल विधेयक को पारित करने की मांग की.
अन्ना के समर्थन में देश भर में लोग मोमबत्ती जुलूस निकाल रहे हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की आवाज पूरे देश में गूंज रही है.
अन्ना के समर्थन में ओमप्रकाश चौटाला भी आये लेकिन उन्हें भारी विरोध के कारण बैरंग वापस लौटना पड़ा.
अन्ना के समर्थन में दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.