मुंबई में मानसून के आगमन से पहले ही बारिश ने मौसम को बदल दिया और करीब 1 घंटे तक हुई बारिश ने तापमान और उमस से लोगों को राहत दिलाई.
हालांकि, बारिश के दौरान और इसके बाद लोगों को ट्रैफिक की समस्या से दो चार होना पड़ा.
लोगों को अंदाजा नहीं था कि बारिश होगी, इसलिए किसी ने भी छाता लेकर आना मुनासिब नहीं समझा.
देर शाम लोगों ने छतरियों का इस्तेमाल करना शुरू किया.
छतरियों में खुद को भींगने से बचाता एक शख्स, बारिश ने मुंबई वासियों को राहत दी.
एक युगल ने बारिश के पानी से बचने के लिए एक छतरी का सहारा लिया.
लोगों ने बारिश का भरपूर मजा लिया. युवकों ने तो इस बारिश में बिना रेन कोट के ही बाइक राइडिंग करने का मजा लिया.
अचानक हुई बारिश के कारण लोगों को दफ्तर से घर लौटने के लिए टैक्सी का सहारा भी लेना पड़ा.
देर शाम सड़कों पर गाड़ियों की कतार नजर आई.
मौसम विभाग के अनुसार, ‘दक्षिण पश्चिम मानसून दक्षिणी अरब सागर, केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से और दक्षिणी अंडमान सागर पहुंच गया. अगले 2-3 दिनों में मानसून के अरब सागर, केरल के शेष भागों, तमिलनाडु के कुछ और हिस्सों, बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर एवं कर्नाटक के कुछ भागों में बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं.’ इस साल देश में पिछले 50 वर्ष की औसत बारिश का 98 फीसदी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गयी है.
मानसूनी बारिश के काल, प्रसार तथा मात्रा को कृषि आधारित (भारतीय) अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. धान, दालों और तेलों जैसे फसलों की बुवाई पहली बारिश के आगमन के साथ शुरू हो गयी. भारतीय मौसम विभाग ने चार महीने के मानसून सीजन के दौरान लंबी दीर्घावधि औसत का 98 फीसदी बारिश होने की संभावना व्यक्त की और उसमें पांच फीसदी के उतार चढ़ाव की बात भी कही है. हालांकि यह अनुमान अंतिम नहीं है और विभाग जून में तब तक उपलब्ध आकंड़ों के आधार पर अपने अनुमान की समीक्षा करेगा. विभाग ने कहा है कि वह अल नीनो और ला नीना की प्रक्रिया पर नजर रख रहा है ताकि देश को किसी भी बड़े बदलाव के लिए तैयार किया जा सके.