अपने अनशन और मौन व्रत के बाद राष्ट्रीय राजधानी लौटे बाबा रामदेव ने केन्द्र सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि इस सरकार में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है.
बाबा रामदेव ने आरोप लगाया कि जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे सरकार कुचल देती है.
योगगुरु ने सरकार से सवाल किया कि अगर उनके मुद्दे गलत थे तो उनसे बातचीत करने चार मंत्रियों को हवाई अड्डे क्यों भेजा गया.
रामदेव ने यह गंभीर आरोप लगाया कि रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई के दौरान उनकी महिला समर्थकों से बलात्कार की कोशिश की गयी.
अपने और अपने समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के 21 दिन बाद राजधानी लौटे योगगुरु ने अपने तेवर बरकरार रखते हुए सरकार पर कई नये आरोप लगाये, लेकिन अपनी आगे की रणनीति का साफ तौर पर खुलासा नहीं किया.
रामदेव ने उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा का मुखौटा होने के आरोपों का साफ तौर पर खंडन कर दिया.
रामदेव ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ फोन पर चार जून को हुई उनकी बातचीत के विवरण सार्वजनिक करने की भी मांग की.
रामदेव ने कहा, ‘‘यह सरकार पहले भ्रष्टाचारी थी लेकिन अब यह अत्याचारी हो गयी है. हमने जनहित में मुद्दे उठाये थे जिन्हें दरकिनार कर दिया गया. इस सरकार में भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है. जो भी भ्रष्टाचार-कालेधन के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे सरकार कुचल देती है और षड्यंत्र करती है.’
दिल्ली लौटने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली आने के लिये मैंने आज का दिन इसलिये चुना क्योंकि इन्हीं दिनों आपातकाल लागू हुआ था.’’
रामदेव ने कहा, ‘‘अब मैं देश के हालात को अघोषित आपातकाल मानता हूं. चार जून की रात की घटना यह इशारा करती है कि कहीं सरकार और सरकार द्वारा पोषित लोगों का ही कालाधन विदेशों में जमा तो नहीं है. शायद यही कारण है कि हमारे आंदोलन को चार जून को कुचल दिया गया.’’
रामदेव ने कहा, ‘‘यदि कालेधन को वापस लाने का मुद्दा गलत था, यदि हमारा आंदोलन अलोकतांत्रिक था और यदि मैं साम्प्रदायिक हूं तो हमसे संवाद क्यों किया गया. प्रधानमंत्री ने मुझे पत्र क्यों लिखा.’’
योगगुरु ने कहा कि उनके और उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या थी.
रामदेव ने यह भी आरोप लगाया कि वहां अनशन के लिये आयीं उनकी महिला समर्थकों के साथ पुलिस कार्रवाई के दौरान शराब के नशे में धुत लोगों ने बदतमीजी की, उन्हें पकड़ा और उनसे बलात्कार की कोशिश की गयीं.
योगगुरु बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान पर हुई कार्रवाई के करीब तीन सप्ताह बाद राष्ट्रीय राजधानी में पहला संवाददाता सम्मेलन अपने पतंजलि योगपीठ के बैनर तले नहीं किया.
सम्मेलन कक्ष में रामदेव समर्थकों की संख्या ज्यादा नहीं थी, लेकिन कई पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे.
रामदेव इससे पहले संवाददाता सम्मेलन पतंजलि योगपीठ या भारत स्वाभिमान के बैनर तले करते आये थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपराह्न चार बजे कांस्टीट्यूशन क्लब में ‘ग्रामोद्योग और सशक्त भारत’ के बैनर तले संवाददाता सम्मेलन किया.
बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर करारा प्रहार करते हुए फिर से अपने गर्म तेवर का परिचय दे दिया है.
रामदेव के समर्थकों को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गयी.
रामदेव के जीबी अस्पताल आने के चलते दिल्ली पुलिस ने अस्पताल के बाहर और परिसर के अंदर कड़े सुरक्षा इंतजाम किये.
रामदेव ने पुलिस कार्रवाई में गंभीर तौर पर घायल एक महिला राजबाला से अस्पताल में मुलाकात की.
उन्होंने सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके पास से कालाधन मिले, तो उसे भी राष्ट्रीय संपत्ति घोषित की जाए.
बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे 120 करोड़ लोगों के 'मुखौटा' हैं.
रामदेव ने कहा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी से उनकी निकटता नहीं है.
अपना अनशन तोड़ने के बारे में बाबा रामदेव ने कहा कि उन्हें अपने प्राण की चिंता नहीं थी. उन्होंने संत समाज के अनुरोध पर अनशन तोड़ा.
रामदेव ने कहा कि 4 जून को संविधान की हत्या की गई.
रामदेव ने कहा कि वे रामलीला मैदान में अत्याचारी पुलिस के हाथों नहीं मरना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने वहां से बाहर निकलकर गिरफ्तारी दी.
दिल्ली लौटे बाबा रामदेव ने कहा, ‘‘यदि मैंने गलत मुद्दे उठाये थे, यदि मैं सांप्रदायिक हूं और अलोकतांत्रिक काम कर रहा था, तो सरकार के चार मंत्री मिलने हवाई अड्डे पर क्यों आये थे.’’
बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 4 जून को बर्बरता के साथ आंदोलन को दबाया गया, पर सच को कभी दबाया नहीं जा सकता है.
रामदेव ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचारी तो पहले से थी, अब वह अत्याचारी भी है.
रामलीला कांड के बाद पहली बार दिल्ली लौटे बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फिर से केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला है.
दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने कहा कि उनके बाद आचार्य बालकृष्ण को भी निशाना बनाया गया. उनकी नागरिकता पर बेवजह सवाल उठाए गए.
रामदेव ने चार जून को रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ अनशन शुरू किया था और आधी रात के बाद पुलिस ने उन पर तथा उनके समर्थकों पर कार्रवाई शुरू कर दी.
रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई के करीब 20 दिन बाद योगगुरु रामदेव हरिद्वार से राजधानी दिल्ली पहुंचे.