सरकार को तब मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा जब अन्ना हज़ारे ने उन्हें हिरासत में लिये जाने और अनशन करने से रोके जाने के 15 घंटे बाद तिहाड़ जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया.
जेल के अंदर ही अनशन कर रहे 73 वर्षीय हज़ारे ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें जयप्रकाश नारायण पार्क पर बैठने की बिना शर्त अनुमति दी जाये, जहां उनकी मंगलवार की सुबह से ही अनशन पर बैठने की योजना थी.
हज़ारे और उनके साथी कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में ही हैं और वहीं अनशन कर रहे हैं.
बहरहाल, उनके अन्य साथी किरण बेदी, शांति भूषण के बाद मनीष सिसौदिया भी जेल से रिहा कर दिये गये.
सिसौदिया ने कहा, ‘हज़ारे ने अधिकारियों को बता दिया है कि वह जेल से तभी बाहर आयेंगे जब उन्हें जयप्रकाश नारायण पार्क पर अनशन करने की बिना शर्त अनुमति मिल जायेगी.’
तिहाड़ जेल के महानिदेशक नीरज कुमार ने कहा कि हज़ारे अपने कमरे में हैं और उनकी रिहाई के लिये सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी थीं लेकिन उन्होंने जेल से बाहर जाने से इनकार कर दिया है क्योंकि वह बेशर्त रिहाई चाहते हैं.
जेल के सूत्रों ने कहा कि हज़ारे की शर्तों के बारे में संबंधित अधिकारियों को अंतिम निर्णय के लिये अवगत करा दिया गया है.
नाटकीय घटनाक्रम के तहत दिल्ली पुलिस मयूर विहार स्थित एक फ्लैट में सुबह साढ़े सात बजे पहुंची जहां 73 वर्षीय हज़ारे रह रहे थे और अनशन के लिये जयप्रकाश नारायण पार्क जाने वाले थे.
अन्ना को उनके फ्लैट से ही हिरासत में लिया गया. बाद में उनके साथी अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, शांति भूषण, मनीषा सिसौदिया सहित सात अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया.
दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों में भी हज़ारे के कई समर्थकों ने गिरफ्तारियां दीं.
इन सभी को पुलिस ने गिरफ्तार किया और उनके द्वारा निजी मुचलका देने से इनकार किये जाने के बाद विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया. शाम को दनलोगों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया.
रात करीब आठ बजे दिल्ली पुलिस ने उनके लिये रिहाई वॉरंट जारी कर दिया.
हज़ारे और उनके साथी कार्यकर्ताओं को आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 और 151 के तहत एहतियातन गिरफ्तार किया गया क्योंकि पुलिस को यह लगा कि वे निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर संज्ञेय अपराध करेंगे.
हज़ारे को कुछ देर सिविल लाइंस स्थित ऑफिसर्स मेस में रखा गया.
गांधीवादी कार्यकर्ता तिहाड़ केंद्रीय कारागार की जेल क्रमांक चार में और पूर्व आईआरएस अधिकारी केजरीवाल को जेल क्रमांक-1 में रखा गया.
दिल्ली में हज़ारे के 1,500 से अधिक, जबकि मुंबई में 1,000 से अधिक समर्थक हिरासत में लिये गये.
हज़ारे की साथी कार्यकर्ता किरण बेदी ने कहा, ‘अन्ना ने जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया है. अगर प्रस्तावित अनशन के लिये शर्तें नहीं हटायी गयीं तो वह बाहर नहीं आयेंगे. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह शर्तो के साथ रिहाई स्वीकार नहीं करेंगे.’
गांधीवादी कार्यकर्ता के समर्थकों ने दिन भर छत्रसाल स्टेडियम, सिविल लाइंस, राजघाट, इंडिया गेट पर प्रदर्शन किया और देर रात तिहाड़ जेल के बाहर बड़ी तादाद में जमा हो गये.
अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), वामदल जैसे विपक्षी दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे कुछ अन्य दलों ने अप्रत्याशित रूप से एकजुट होते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस मुद्दे पर बयान देने और उस पर बहस कराने की मांग की तथा ऐसा नहीं होने पर संसद नहीं चलने देने का संकेत दिया.
हजारे की गिरफ्तारी और उन्हें तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद भाजपा नीत राजग, वाम दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा तथा राजद सहित कुछ अन्य दलों ने हजारे मामले से उत्पन्न स्थिति पर साझा रणनीति बनाने के लिए एक बैठक की. इसमें फैसला किया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे संसद में अपना विरोध जारी रखेंगे.
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ‘हज़ारे की रिहाई के ये मायने कतई नहीं हैं कि सरकार अपने गैर-कानूनी कृत्य की जिम्मेदारी लेने से मुक्त हो जायेगी. यह अन्ना को रियायत या माफ कर देने वाला कदम नहीं है, जिसके लिये संप्रग अपनी पीठ थपथपाये.’ उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सरकार ने मुंह की खाई है.
उधर, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हज़ारे को धारा 144 के तहत गिरफ्तार किया गया. कोई भी यह नहीं कह रहा है कि वह अपराधी हैं या कोई गंभीर अपराध करने के दोषी हैं. इस धारा के तहत एक ही दिन गिरफ्तार होना और रिहा होना कोई असामान्य बात नहीं है.
इससे पहले, उन्होंने कांग्रेस के नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि हज़ारे को विपक्ष का समर्थन उनकी ‘राजनीतिक जरूरत’ है. उन्होंने आगाह किया था कि इसके लोकतंत्र और राजनीतिक प्रक्रिया पर गंभीर परिणाम होंगे.
‘मजबूत’ लोकपाल की मांग को लेकर अनशन करने जा रहे समाजसेवी अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों को हिरासत में लिये जाने के विरोध में आज इंडिया अगेंस्ट करप्शन तथा अनेक अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर केन्द्र सरकार के पुतले जलाए, ज्ञापन सौंपे और गिरफ्तारियां दीं.
सूबे में लोकपाल को लेकर चलाई जा रही मुहिम की अगुवाई कर रहे आईएसी की राष्ट्रीय शेर समिति के सदस्य संजय सिंह ने बताया कि दिल्ली में अनशन करने जा रहे हजारे और उनके साथियों को हिरासत में लिये जाने के खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं ने अमेठी, छत्रपति शाहूजी महाराज नगर और सुलतानपुर समेत विभिन्न जिलों में केन्द्र सरकार के पुतले फूंके और गिरफ्तारियां दीं.
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार रोकने में सक्षम जन लोकपाल पेश किये जाने की मांग के समर्थन और हजारे को हिरासत में लिये जाने के विरोध में लखनऊ, फैजाबाद, गोरखपुर, वाराणसी तथा मउ समेत राज्य के सभी जिलों में प्रदर्शन और अनशन किया गया. इस आंदोलन को विभिन्न अधिवक्ता संगठनों का समर्थन भी मिला.
सिंह ने बताया कि इसके अलावा देवरिया, बलिया, मुजफ्फरनगर, सुलतानपुर और प्रतापगढ़ समेत अनेक स्थानों पर वकील न्यायिक कार्यो से विरत रहे.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) बृजलाल ने बताया कि हजारे के समर्थन में आज प्रदेश के विभिन्न जिलों में शांतिपूर्ण ढंग से धरना-प्रदर्शन किया गया. इस दौरान 219 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
समाजसेवी अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के समर्थन और आज सुबह दिल्ली पुलिस द्वारा एहतियात के तौर पर की गई उनकी गिरफ्तारी के विरोध में मध्यप्रदेश में भी हजारों लोग तिरंगा थामे सड़कों पर उतरे और जगह-जगह पर धरना, रैलियां एवं प्रदर्शन आयोजित किए गए.
भोपाल में ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के कार्यकर्ताओं ने शाहजहानी पार्क में धरना दिया और बोट क्लब पर एक रैली निकाली, जिसमें सैकड़ों युवा हाथों में तिरंगा, बैनर और पोस्टर लेकर अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
इससे पहले इन कार्यकर्ताओं ने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ की मध्यप्रदेश की प्रमुख कार्यकर्ता एवं समाजसेवी शेहला मसूद की आज सुबह उनके घर के सामने गोली मारकर की गई हत्या की कड़ी निंदा की तथा आरोपियों को जल्द पकड़ने की मांग करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
शेहला मसूद धरना प्रदर्शन में भाग लेने के लिए अपनी घर से निकल रहीं थीं, तब अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी और फरार हो गए.
मध्य प्रदेश के इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, विदिशा, छिन्दवाड़ा, उज्जैन, मुरैना, शाजापुर, सतना आदि शहरों में भी धरना, रैलियों एवं प्रदर्शन के जरिए लोगों ने अन्ना हजारे के आंदोलन के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की तथा दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें उनके फ्लैट से गिरफ्तार करने की आलोचना की.
अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के विरोध में विपक्ष और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे कुछ दलों ने एकजुट होते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मांग की कि वह इस घटनाक्रम के बारे में संसद के दोनों सदनों में बयान दें.
भाजपा नीत राजग, वाम दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा तथा राजद सहित कुछ अन्य दलों ने हजारे मामले से उत्पन्न स्थिति पर साझा रणनीति बनाने के लिए एक बैठक की. इसमें फैसला किया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे संसद में अपना विरोध जारी रखेंगे.
सुषमा ने कहा कि हजारे की गिरफ्तारी में ‘सरकार की घबराहट’ झलकती है. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष की एकता जन लोकपाल विधेयक पर नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर है.’
सुषमा ने कहा कि हजारे की गिरफ्तारी में ‘सरकार की घबराहट’ झलकती है. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष की एकता जन लोकपाल विधेयक पर नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर है.’
राष्ट्रीय राजधानी में अन्ना हजारे और उनके समर्थकों की गिरफ्तारी के विरोध में समाज के विभिन्न तबके के लोगों ने देश भर में प्रदर्शन कर उनकी फौरन रिहाई की मांग की तथा एक मजबूत लोकपाल की मांग का समर्थन किया.
अन्ना के गृह राज्य महाराष्ट्र सहित देश के पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में विभिन्न स्थानों पर लोगों ने प्रदर्शन किया और धरना दिया.
हजारे के गांव रालेगण सिद्धि (महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला स्थित) में विरोध प्रदर्शन हुआ. लोग सड़कों पर अपने मवेशियों के साथ उतर आए और यातायात व्यवस्था बाधित कर दी.
हजारे के सहयोगी दत्ता अवाड़ी (73) ने बताया, ‘समूचे गांव में बंद का आयोजन किया गया है.’ उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने एक दिन का उपवास रखने का फैसला किया है.
एक मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग और भ्रष्टाचार के खिलाफ हजारे के ‘जेल भरो अभियान’ के आह्वान पर उनके समर्थकों ने मुंबई में अपनी गिरफ्तारियां दी. हजारे की गिरफ्तारी के विरोध में समूचे महाराष्ट्र में सरगर्मी बढ़ गई है.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया.
राष्ट्रीय महिला ब्रिगेड और दुर्गा वाहिनी नामक संगठन के तत्वावधान में महिलाओं ने अन्ना हजारे को हिरासत में लिये जाने के विरोध में पटना जंक्शन रोड से एक रैली निकाली.
पटना में कई महिलाएं हनुमान का मुखौटा लगाए हुए और हाथों में गदा, झंडा पोस्टर तथा बैनर लेकर इस मार्च में शामिल हुई.
पटना में भाजपा ने भी इस कार्रवाई के विरोध में पार्टी के प्रदेश कार्यालय से फ्रेजर रोड तक विरोध मार्च निकाला, जिसमें पार्टी के विधायक अरुण कुमार सिन्हा तथा नीतिन नवीन सहित कई अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए.
अन्ना हजारे और उनके समर्थकों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के विरोध में वाम दल और उनके संगठन बुधवार से देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेंगे.
माकपा और भाकपा ने अलग-अलग वक्तव्य जारी करते हुए देश भर की अपनी इकाइयों को बुधवार से विरोध-प्रदर्शन करने के निर्देश दिए हैं.
माकपा पोलितब्यूरो ने एक वक्तव्य में कहा है, ‘मनमोहन सिंह सरकार ने अन्ना हजारे और उनके समर्थकों को गिरफ्तार करते हुए और अनशन पर प्रतिबंध लगाते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला किया है.’
वहीं भाकपा ने हजारे की गिरफ्तारी को ‘अवैध और अलोकतांत्रिक’ बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा हजारे पर हमले ‘कांग्रेस की राजनीति में अफरा-तफरी और उनका दिवालयापन’ प्रदर्शित करती है.
देश की राजधानी दिल्ली में अन्ना हजारे की गिरफ्तारी को लेकर उठे तूफान की हलचल सुबह से ही झारखंड में भी महसूस की जा रही है और यहां राजधानी रांची जमशेदपुर बोकारो हजारीबाग आदि प्रमुख शहरों में हजारे के समर्थन में अनेक रैलियां निकाली गयीं और धरने आयोजित किए गए हैं.
राजधानी रांची में अन्ना हजारे के समर्थन में भाजपा झारखंड विकास मोर्चा जेपी आंदोलन से जुड़े 1974 चेतना मंच अनेक छात्र संगठनों और हजारे से जुड़ी सिविल सोसायटी के लोगों ने सुबह अन्ना की गिराफ्तारी के बाद से ही धरना प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया.
रांची के शहीद चौक पर अनेक धरने आयोजित किये गये. दिल्ली में अन्ना की सुबह लगभग साढे सात बजे गिरफ्तारी की खबर मिलते ही लोग सुबह आठ बजे शहीद चौक बिरसा चौक और अन्य इलाकों में तिरंगा फहराते हुए विरोध करने निकल पड़े.