मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में अपने बयान में कहा, 'दिल्ली पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि श्री अन्ना हजारे और उनके समर्थक संज्ञेय अपराध करने वाले हैं और वहां शांति भंग की आशंका थी. इसलिए श्री अन्ना हजारे और छह अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया.'
अन्ना हजारे के आंदोलन से उपजी परिस्थिति के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर उन्हें अफसोस है, पर हालात को ध्यान में रखकर वैसा करना पड़ा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकपाल बिल अभी संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास है. अन्ना हजारे जिस तरह से जनलोकपाल बिल थोपना चाह रहे थे, वह गलत था. मनमोहन सिंह ने सदन में कहा कि संसद को वह काम करने देना चाहिए, जिसके लिए वह बनी है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आखिर कानून कौन बनाएगा और बिल का मसौदा कौन तैयार करेगा?
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री के बयान पर सदन में विशेष चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का लंबा बयान सच्चाई को उजागर कम करता है और उसे दबाता ज्यादा है.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के संसद में दिए बयान को निराशाजनक बताया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जेटली ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री के बयान को खारिज कर दिया और मांग की कि प्रधानमंत्री सामाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा कर उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए कोई जगह मुहैया कराएं.
आडवाणी ने कहा, ‘मैंने कल आपसे निवेदन किया था कि कल की घटना हमारे मन चिंता पैदा करती है. यह 1975 की याद दिलाती है. मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री ने अध्यक्ष की व्यवस्था को चुनौती देने का काम किया. आपातकाल को छोड़कर ऐसा कभी देखने को नहीं मिला जब अध्यक्ष की व्यवस्था को चुनौती दी गई हो.
आडवाणी ने कहा, आपातकाल को छोड़कर ऐसा कभी देखने को नहीं मिला जब अध्यक्ष की व्यवस्था को चुनौती दी गई हो.’ इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में गरमा गरम बहस शुरू हो गई और संसदीय कार्य मंत्री ने कुछ टिप्पणी की. इसका भाजपा सदस्यों ने कड़ा विरोध किया.
अन्ना हजारे प्रकरण पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान के बाद लोकसभा में भारी हंगामे की स्थिति देखने को मिली, जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार पर ‘ आपातकाल जैसी स्थिति’ पैदा करने का आरोप लगाया. इस पर संसदीय कार्य मंत्री की कुछ टिप्पणियों के बाद शोरशाराबे के कारण सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई.
मनमोहन सिंह ने कहा कि अन्ना हजारे के सामने अनशन के लिए प्रशासन ने कुछ शर्तें रखी थीं, जिनमें से 6 शर्तें मानने से अन्ना ने इनकार कर दिया था. इसके बाद ऐसे हालात बन गए, जिससे अन्ना हजारे की गिरफ्तारी की गई. उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्ना हजारे को रिहा किया जा चुका है, पर वे खुद ही बाहर आने से इनकार कर रहे हैं.