लोकसभा में विपक्ष ने अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के प्रकरण पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिये गये बयान को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे ‘असत्य का पुलिंदा’ बताया और कहा कि गांधीवादी नेता की गिरफ्तारी ने देशभर में लोगों को सड़कों पर ला दिया है.
भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता कहा कि संसद सर्वोच्च है लेकिन सवाल यह है कि आखिर संसद की भूमिका को हल्का किसने बनाया विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए संयुक्त समिति का गठन किसने किया.
भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता ने अन्ना प्रकरण पर प्रधानमंत्री के बयान को परस्पर विरोधी और सच को ढकने का प्रयास बताया और कहा कि इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त को बली का बकरा बनाया जा रहा है.
द्रमुक के टी एस इलानगोवन ने कहा कि अगर कोई शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रकट करता है तो उसे इसकी अनुमति मिलनी चाहिए. लेकिन साथ ही संविधान की मर्यादा का भी पालन होना चाहिए.
बीजू जनता दल के भ्रतुहरि मेहताब ने कल की कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए इसे अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि उनका दल एक सुदृढ लोकपाल के पक्ष में है.
बासुदेव आचार्य कहा कि सरकार ने पहले अन्ना हजारे टीम से बात की और जब बात विफल हो गयी तो उसे विपक्षी दलों की याद आयी और उसने सर्वदलीय बैठक की. आखिर यह बैठक उसने पहले क्यों नहीं की.
माकपा के बासुदेव आचार्य ने अन्ना हजारे और उनके साथियों के खिलाफ कल हुई कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया और कहा कि यह हमें आपातकाल की याद दिलाता है. सरकार विरोध करने के जनता के अधिकार को छीन नहीं सकती.
शरद यादव ने कहा कि सरकार बदलाव की बयार को नहीं समझ रही है. उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार को राजनीतिक मामले से राजनीतिक तरीके से निपटना चाहिए. उन्होंने इस मसले से सरकार से लोकतांत्रिक और मानवीय तरीके से निपटने की अपील की और साथ ही अन्ना के निस्वार्थ संघर्ष का अपमान करने से परहेज करने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के लोकपाल से मतभेद हो सकते हैं लेकिन यूपीए का लोकपाल विधेयक तो पूरी तरह बांझ है. उन्होंने अन्ना को भ्रष्ट कहे जाने के लिए कांग्रेसी सदस्य मनीष तिवारी को भी आड़े हाथ लिया.
जनता दल यू के शरद यादव ने देश में पहले भी अनशन होने की परंपरा का जिक्र करते हुए कटाक्ष किया कि यदि आजादी के संघर्ष के दिनों में यूपीए की सरकार होती तो महात्मा गांधी पैदा नहीं होते.
कांग्रेस के संजय निरूपम ने विपक्षी भाजपा सदस्यों की भारी टोका टाकी के बीच अन्ना हजारे और उनके टीम के सदस्यों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मदारी पुलिस की है और अनशन के लिए शर्ते पुलिस ने ही रखी है सरकार ने नहीं.
अन्ना के आंदोलन को आरएसएस का समर्थन मिलने के मुद्दे पर सुषमा ने कहा कि किसी आंदोलन को संघ का समर्थन मिल जाये तो सरकार उत्तेजित हो जाती है. उन्होंने सवाल किया, ‘आपको आरएसएस से चिढ क्यों है.’
सरकार पर संसदीय प्रक्रियाओं को खत्म करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष की नेता ने कहा कि सरकार संसद की सर्वोच्चता और प्रक्रियाओं की महत्ता की बात करती है लेकिन में पूछना चाहती हूं कि इस प्रक्रिया को दरकिनार करने का काम किसने किया. विपक्ष को दरकिनार कर अन्ना हजारे और उनकी टीम से बात किसने की. उन्होंने कहा कि जब बात बिगड़ गयी तो सरकार के सुर बदल गये और उन्हें संसद की सर्वोच्चता याद आयी.
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार भ्रष्टाचारी भी है और अत्याचारी भी है. उन्होंने कहा ‘सवाल नागरिक अधिकारों का है.. नागरिक अधिकार सबसे उपर हैं और अगर सरकार नागरिक अधिकारों का हनन करेगी तो इसका पुरजोर विरोध किया जायेगा.’
उन्होंने कहा कि अन्ना और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी सरकार के कंधों से उतारकर दिल्ली पुलिस पर डाल दी गयी है. उन्होंने कहा कि क्या देश इस बात को स्वीकारेगा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पता नहीं और सारे फैसले दिल्ली पुलिस कर रही है.
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री के बयान पर सदन में विशेष चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का लंबा बयान सचाई को उजागर कम करता है और उसे दबाता ज्यादा है.
विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज कहा कि अन्ना और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी सरकार के कंधों से उतारकर दिल्ली पुलिस पर डाल दी गयी है. उन्होंने कहा कि क्या देश इस बात को स्वीकारेगा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पता नहीं और सारे फैसले दिल्ली पुलिस कर रही है.