अपने अनशन के आठवें दिन अन्ना हजारे एक बार फिर अपने समर्थकों से रूबरू हुए और कहा कि आजादी की दूसरी लड़ाई जारी है.
उन्होंने कहा कि 1857 में आजादी की लड़ाई शुरू हुई और 1947 में हमें आजादी मिली लेकिन वो आजादी सही नहीं थी.
उन्होंने कहा कि आजादी से यही फर्क आया कि गोरे गए और काले आ गए. हजारे ने कहा कि लोगों को सही आजादी मिलनी चाहिए.
अन्ना ने कहा कि डॉक्टर त्रेहान की टीम बहुत ही अच्छे तरीके से उनकी देखभाल कर रही हैं और वो उन्हें मरने नहीं देंगे.
उन्होंने कहा, 'लाखों लोगों ने कुर्बानी देकर हमें आजादी दिलाई लेकिन अपने स्वार्थ के कारण कई गद्दारों ने इसे मिट्टी में मिला दिया.'
उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि चिंता की बात नहीं ठीक हूं.
गौरतबल है कि सोमवार को कमजोरी की वजह से अन्ना अपने समर्थकों से संबोधित नहीं कर सके थो जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें धूप में नहीं जाने तथा कम बोलने की सलाह दी है.
अन्ना ने बताया कि अबतक उनका साढ़े पांच किलो वजन घटा है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पीछे भगवान खड़े हैं और उनका पूरा जीवन देश के लिए है.
अन्ना ने चुटकी लेते हुए कहा कि आदमी चाहे लखपति या करोड़पति बन जाए लेकिन लोग उसे याद नहीं करते. उन्होंने कहा कि औरों के लिए मरने वाले लोग हमेशा जीते हैं और करोड़पति की जयंति कोई नहीं मनाता.
अन्ना ने कहा कि बहुत से लोग हार्ट अटैक से मरते हैं लेकिन ऐसी मौत आने की बजाय अगर देश के लिए जान चली जाए तो मैं इसे अपना सौभाग्य समझूंगा.
गांधीवादी समाजसेवी हजारे ने कहा कि देश के सामने किसानों, आदिवासियों के साथ कई अन्य सवाल भी खड़े हैं लेकिन भ्रष्टाचार का सवाल सबसे महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि गांव बदलने से देश बदलेगा.
अन्ना ने लोगों से अपील की कि अगर 30 अगस्त तक जनलोकपाल बिल नहीं आया तो लोग अपने अपने सांसदों के घरों के आगे धरने पर बैठें.
अन्ना ने अपने समर्थकों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर बने रहने को कहा.