संसद पर आतंकवादी हमले को पूरे दस साल हो गए. 13 दिसंबर 2001 को सुबह करीब 11:30 बजे हैंड ग्रेनेड और एके-47 बंदूक से लैस आतंकियों ने जब बाहर हमला किया उस वक्त भीतर संसद का सत्र चल रहा था लेकिन सुरक्षा में शुरुआती चूक के बाद भी जवानों ने आतंकियों की एक न चलने दी.
संसद के सुरक्षा स्टाफ ने मुख्य इमारत को फौरन चारों तरफ से बंद कर दिया.
सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों, बम निरोधक दस्ते और पुलिस ने मोर्चे संभाल लिए, ताकि एक भी आतंकी मनमानी न कर सके और भाग कर जाने भी न पाए.
हमला नाकाम कर दिया गया और पांच आतंकवादी मारे गए, जबकि नौ जाबांज जवान शहीद हो गए.
इस हमले की साज़िश रचने वाले अफजल गुरु सहित चार आतंकवादियों को पकड़ा गया था.
उस दिन सुबह करीब 11:30 बजे हैंड ग्रेनेड और एके-47 बंदूक से लैस आतंकियों ने जब बाहर हमला किया उस वक्त भीतर संसद का सत्र चल रहा था लेकिन सुरक्षा में
शुरुआती चूक के बाद भी जवानों ने आतंकियों की एक न चलने दी.
संसद के सुरक्षा स्टाफ ने मुख्य इमारत को फौरन चारों तरफ से बंद कर दिया.
सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों, बम निरोधक दस्ते और पुलिस ने मोर्चे संभाल लिए, ताकि एक भी आतंकी मनमानी न कर सके और भाग कर जाने भी न पाए.
शहीद हुए जवानों के परिजन इस हमले के जिम्मेदार अफजल गुरु पर जल्दी फैसला चाहते हैं.
खुद अफजल फांसी पर लटकना चाहता है लेकिन अभी तक उसको फांसी पर नहीं लटकाया जा सका है. सरकार के इस रवैये से जनता में भी आक्रोश है.
बीजेपी के कार्यकाल में हुए संसद पर हमले की पूरे विश्व समुदाय ने निंदा की थी.
आतंकी हमले के दस साल बाद भी शहीदों के परिवारों को पूरा इंसाफ नहीं मिला. सरकार ने मुआवाजा देने में बहुत समय लगाया.
संसद पर हुए हमले की 10वीं बरसी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ-साथ कई सांसदों ने संसद को बचाने वाले वीरों को याद किया.