भगवान भास्कर की उपासना का चार दिवसीय महापर्व 'छठ' नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है.
चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के लिए पटना सहित पूरे राज्य में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं.
छठ पर्व के पहले दिन छठ व्रती स्त्रान कर शुद्ध भोजन करते हैं, इसके बाद सूर्य की उपासना शुरू हो जाती है.
स्त्रान के बाद परम्परा के अनुसार अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी खाई जाती है.
सूर्य को अर्ध्य देती महिला.
नहाय-खाय के बाद से घर की शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है.
छठ पर्व में शुद्धता रखने के कारण पटना में हर तरफ साफ-सफाई का दौर प्रारम्भ हो गया है. गली-मोहल्लों के साथ-साथ नदियों के घाटों पर भी साफ-सफाई का अभियान जारी है.
पटना में गंगा नदी के तट पर 78 घाटों को छठ व्रतियों के लिए सूर्य को अर्ध्य देने की व्यवस्था की गई है.
नहाय-खाय के दूसरे दिन छठ व्रती उपवास रखती हैं और संध्या में पूजा के बाद "खरना" करती हैं.
खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारम्भ हो जाता है, जो तीसरे दिन सुबह सूर्य को अर्ध्य देने के बाद सम्पन्न होता है.
खरना में व्रती रोटी और खीर ग्रहण करती हैं.
सूर्य आराधना का सबसे ब़ड़ा पर्व है छठ महोत्सव.
दीपावली बीतते के साथ ही लोगों ने छठ पर्व की तैयारी शुरू कर दी थी.
सूर्य को अर्ध्य देने जाते संजय निरूपम.
छठ पर्व के दौरान सूर्य को नमस्कार करने कांग्रेस सांसद संजय निरूपम भी नदी किनारे पहुंचे.
भक्त जन की सुरक्षा का ध्यान रखते जवान.
छठ पर्व के दौरान घाटों पर लोगों को सुरक्षा के मद्देनज़र प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतेजाम कराए जाते हैं.
छठ पर्व के दौरान गंगा के किनारे लोगों की भारी भीड़ होती है.
छठ पर्व के दौरान सूर्य को अर्ध्य देती महिलाएं.
छठ पर्व में पहले अस्त होते सूर्य की और फिर दूसरे दिन सुबह उगते सूर्य की पूजा के साथ चार दिन का कठिन तप पूरा होता है. इस व्रत को महिलाएं व पुरूष दोनों करते हैं.