दिल्ली के हैदराबाद हाउस में रूस के राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में देनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस भारत का ऐसा दोस्त है जिसने हर अच्छे-बुरे समय में भारत का साथ दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के शेष देशों से बढ़ते संबंधों के बावजूद रूस के साथ रिश्ता आगे बढ़ता रहेगा.
भारत और रुस के बीच कुल मिलाकर 30 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं. दोनों देशों के मध्य जिन समझौतों पर सहमति बनी है उसमें सबसे प्रमुख समझौता है असैनिक परमाणु सहयोग.
भारत और रूस ने तमिलनाडु के कुदनकुलम में अतिरिक्त न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने पर भी बातचीत की.
रूस के राष्ट्रपति ने न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप में भारत की सदस्यता की वकालत की है. उन्होंने पाकिस्तान से अपील की है कि वो 26/ 11 मुंबई हमलों के गुनहगारों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करे.
दोनों देशों के बीच जो समझौते हुए हैं उनमें 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर किया जाना भी शामिल है.
रुस ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों को भी जल्दी लागू करवाने का प्रयास करेगा. भारत और रूस ने तमिलनाडु के कुदनकुलम में अतिरिक्त न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने के बारे में भी चर्चा की.
आपसी संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से दोनों देशों ने विज्ञान, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल, संस्कृति और दवाइयों के क्षेत्र में समझौतों पर हस्ताक्षर किये.
मेदवेदेव ने मुलाकात के बाद संयुक्त पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होता है तो भारत स्थाई सदस्य बनने का हकदार है.
भारत और रुस के बीच कुल मिलाकर 30 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं. दोनों देशों के मध्य जिन समझौतों पर सहमति बनी है उसमें सबसे प्रमुख समझौता है असैनिक परमाणु सहयोग.
मिसाइल टेक्नॉलॉजी कंट्रोल रिजिम (एमटीसीआर) की सदस्यता के लिए भी रूस ने भारत को समर्थन देने का फैसला किया है.
दोनों देशों ने कहा कि ईरान को परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल का अधिकार है. ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर चल रहे विवाद को बातचीत के जरिए ही सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए.
आतंकवाद के मुद्दे पर मेदवेदेव का कहना था कि आतंकवादियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए. कोई भी आतंकवादियों को अपने यहां आम नागरिक की तरह जगह नहीं दे सकता और उन्हें सौंपना ही चाहिए.
दोनों देशों के बीच जो समझौते हुए हैं उनमें 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर किया जाना भी शामिल है.