प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति चुने गए.
25 जुलाई को प्रतिभा पाटील के इस्तीफे के बाद प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी.
चुनाव से पहले पी.ए. संगमा ने चमत्कार की उम्मीद जताई थी, लेकिन न तो उनका जादू चला न ही चमत्कार हुआ. जीत हुई प्रणब मुखर्जी की.
प्रणब दा को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता रहा है, अब प्रणब राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाएंगे.
प्रणब मुखर्जी का 13 से अनोखा नाता रहा है. वे 13 वें राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे. 13 नंबर का बंगला है दिल्ली में. 13 तारीख को आती है शादी की सालगिरह. इतना ही नहीं 13 जून को ही ममता ने प्रणब का नाम उछाला था.
जब 1969 में प्रणब राज्यसभा के सदस्य बने तो उनका आधिकारिक घर राष्ट्रपति संपदा के पास ही था. राष्ट्रपति भवन के ठाठ को प्रणब खूब निहारा करते थे.
एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्गी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे. लेकिन तब उनकी बहन ने उन्हें कहा था - 'इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में तुम्हें इसमें रहने रहने का मौका मिलेगा.'
प्रणब मुखर्जी के जो तेवर आज दिखते हैं वही तेवर आज बचपन में भी दिखते थे. अपनी जिद्द के चलते उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान डबल प्रोमोशन पाया.
प्रणब के राष्ट्रपति बनने पर वीरभूम का नाम ऐसे जिलों में शुमार हो जाएगा जहां से दो देशों के राष्ट्रपति संबंध रखते हैं. प्रणब से पहले इसी जिले में जन्मे अब्दुल सत्तर (दकर गांव में जन्मे) 1981 से 1982 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे. असल में वह विभाजन के बाद ढाका चले गए थे.
प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वो 10 वर्ष से भी अधिक जेल में रहे. उन्होंने 1920 से लेकर सभी कांग्रेसी आंदोलनों में हिस्सा लिया. वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति और पश्चिम बंगाल विधानपरिषद (1952- 64) के सदस्य व जिला कांग्रेस समिति, वीरभूम (पश्चिम बंगाल) के अध्यक्ष रहे. शुभ्रा मुखर्जी उनकी पत्नी हैं.
प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक हैं. उनकी बेटी शर्मिष्ठा एक नृत्यांगना हैं. उनके भाई शांति निकेतन विश्व भारती यूनिवर्सिटी के इंदिरा गांधी सेंटर फॉर नेशनल इंटीग्रशन के डायरेक्टर पद से रिटायर हुए है.
इसके अलावा रवीन्द्र संगीत भी वो काफी पसंद करते हैं.
सुकांत भट्टाचार्य का लिखा और हेमंता मुखर्जी का गाया 'अबक पृथ्बी' उनका पसंदीदा गीत है.
इसके अलावा प्रणब दा चॉकलेट खाना खूब पसंद करते हैं. चाचा चौधरी की कॉमिक्स के फैन रहे हैं.
प्रणब दा को कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता रहा है, अब प्रणब राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ाएंगे.
विदेश मंत्री रह चुके प्रणब मुखर्जी कांग्रेस पार्टी के सांसद थे, जो पश्चिम बंगाल के जंगीपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे.
मृदुभाषी, गंभीर और कम बोलने वाले प्रणब दा की ताकत विद्वान, कांग्रेस से निष्ठा और वफादारी, पार्टी का विश्वास है.
केंद्रीय कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण पदों को संभालने वाले प्रणब मुखर्जी जनवरी, 1982 से दिसंबर, 1984 तक देश के वित्तमंत्री रहे.
प्रणब मुखर्जी को 1984 में दुनिया के शीर्ष पांच वित्तमंत्रियों की सूची में स्थान दिया गया था.
मुखर्जी इंदिरा गाँधी की सरकार में 1982 से लेकर 1984 तक वित्तमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं.
प्रणब मुखर्जी जुलाई, 1969 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए.
पी. वी. नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्वकाल में 1995-96 के दौरान इन्होंने पहली बार विदेश मंत्रालय का दायित्व संभाला.
कांग्रेस पार्टी की सर्वाधिक शक्तिशाली इकाई कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य, कोषाध्यक्ष, महासचिव, केन्द्रीय चुनाव समिति के सदस्य के रूप में भी पार्टी में अपना अमूल्य योगदान दिया है.
किसी जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें 1984 में कांग्रेस से निकाल दिया था, लेकिन 1989 में उन्हें पुन: पार्टी में शामिल किया गया.
मुखर्जी इंदिरा गाँधी की सरकार में 1982 से लेकर 1984 तक वित्तमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं.
वर्ष 2004 के आम चुनाव के बाद से प्रणब लोकसभा में सदन के नेता हैं. ये अनेक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं.
हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अस्वस्थ होने के बाद उनका कामकाज संभालने का महती दायित्व प्रणब मुखर्जी को ही सौंपा गया.
प्रणब मुखर्जी योजना आयोग के उपाध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक तथा अफ्रीकी विकास बैंक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य भी रहे.
पश्चिम बंगाल के विद्यासागर कॉलेज से शिक्षित मुखर्जी ने बतौर अध्यापक और पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की थी तथा वे देशेर डाक जैसे प्रकाशनों से भी जुड़े रहे.
भारत के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ.
वर्तमान में 15वीं लोकसभा और कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य.
प्रणब मुखर्जी के पिता राजलक्ष्मी मुखर्जी कांग्रेस पार्टी के 1920 से सक्रिय सदस्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे.
कमजोरी की बात करें तो कम बोलना और मृदुभाषी होना इनकी कभी-कभी कमजोरी रही है.
प्रणब मुखर्जी को बागवानी, किताबें पढ़ना और संगीत पसंद है.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उन्हीं की रणनीति के बूते तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन वामदलों को धूल चटाने में कामयाब हो सका.
मुंबई पर आतंकवादी हमलों के उपरांत विश्व जनमत को पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय करने में भी प्रणब मुखर्जी ने गजब के रणनीतिक कौशल का परिचय दिया.
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री के तौर पर मुखर्जी ने विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
प्रणब मुखर्जी को 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.
मुखर्जी पहली बार 1973 में केन्द्र में औद्योगिक विकास उपमंत्री बनाए गए और उसके बाद वे राज्य और कैबिनेट मंत्री के स्तर तक पहुंचे.
आंकड़ों के मामले में गजब की स्मरण शक्ति के स्वामी राजनीतिज्ञों की ऐसी जमात के प्रतिनिधि कहलाते हैं जिसे भारतीय राजनीति में विरला कहा जाता है.
1969 से अधिकतर समय राज्यसभा में बिताने वाले मुखर्जी पहली बार 2004 में मुर्शीदाबाद जिले की जांगीपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ चुनावी गठजोड़ में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और उनकी दूरदृष्टि सही साबित हुई.
केन्द्र में सत्ता के शीर्ष से वे दूसरा स्थान हासिल कर चुके थे जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देता था.
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखने वाले मुखर्जी राजनीति और सत्ता के गलियारों के पुराने मुसाफिर रहे हैं.