सुखोई 30 एमकेआई उड़ाने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने एक बार फिर सैन्य वर्दी पहन कर टी 90 मुख्य युद्धक टैंक की सवारी की और यह साहसी कदम उठाने वाली पहली राष्ट्र प्रमुख बन गयी हैं.
टैंक रेजीमेंट के कर्मचारियों की तरह काले रंग की वर्दी पहने 76 वर्षीय राष्ट्रपति ने ‘सुदर्शन शक्ति’ में प्रवेश किया और सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह के साथ मुख्य युद्धक टैंक पर सवार हुईं.
सैन्य वाहन पर प्रतिभा पाटिल की यह दूसरी सवारी थी. इससे पहले उन्होंने पुणे में 2009 में लौहगांव सैन्य हवाई अड्डे पर सुखोई 30 एमकेआई विमान उड़ाया था.
रक्षा मंत्री ए के एंटनी भी इस व्यापक प्रदर्शन को देखने के लिए एक टैंक पर सवार होकर आए तथा उनके साथ दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए के सिंह भी थे.
इसमें सेना में नए शामिल किए गए संचार तथा युद्ध क्षेत्र निगरानी राडार का भी परीक्षण किया गया. इस प्रणाली को सेना और वायुसेना के सभी युद्धक उपकरणों पर लगाया जाएगा.
प्रतिभा पाटिल ने पैदल सेना तथा टैंक दस्ते, तोपखाने और वायुसेना के लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता को देखा.
सैन्य अभ्यास के अंतिम चरण का अवलोकन करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि यह सैन्य अभ्यास सेना के दक्षता उन्नयन और तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा और नेटवर्क केंद्रीय व्यवस्था बनाने में मदद करेगा.
राजस्थान में इस सैन्य अभ्यास में 50 हजार सैनिकों, 300 टैंकों, 250 तोपों ने हिस्सा लिया.
इस सैन्य अभ्यास में एसयू 30 एमकेआई, जगुआर, मिग 27 और मिग 21, अवाक्स प्रणाली और हेलीकाप्टरों ने हिस्सा लिया.
राष्ट्रपति ने 21वीं स्ट्राइक कोर को सबसे प्रभावी टुकड़ी करार दिया. यह दक्षिणी कमान का सबसे प्रभावी बल है.
सैनिकों के लिए आधुनिक हथियारों और प्रशिक्षण की जरूरत पर जोर देते हुए पाटिल ने कहा, ‘हमें अत्याधुनिक हथियारों से लैस होने और सतत प्रशिक्षण के जरिये अपनी दक्षता के बेहतर बनाने की जरूरत है ताकि जरूरत पड़ने पर इसका प्रदर्शन अपने प्रतिद्वन्द्वियों से खिलाफ किया जा सके.’
देश के सामने उत्पन्न बहुआयामी चुनौतियों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि सेना को इन खतरों को राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में देखना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘देश को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और सेना को इन चुनौतियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में देखना चाहिए.’
इसमें सेना में नए शामिल किए गए संचार तथा युद्ध क्षेत्र निगरानी राडार का भी परीक्षण किया जाएगा. इस प्रणाली को सेना और वायुसेना के सभी युद्धक उपकरणों पर लगाया जाएगा.