इतना बताने के बाद प्रोफेसर लोगों के सामने कुछ सवाल भी रखते हैं. क्या भविष्य के इन रोबोट को सोशल सिक्योरिटी नंबर की जरूरत होनी चाहिए? क्या रोबोट को पासपोर्ट इश्यू किए जाने चाहिए? जवाब भी प्रोफेसर ही देते हैं. कहते हैं, इन मशीनों को हमें प्रेरित ही करने दीजिए, ताकि हम और क्रिएटिव सोच सकें, क्योंकि हमारे पर कुदरत का जो सबसे अनमोल तोहफा है, वो है इंसान...
हेनरिक कहते हैं कि भविष्य के रोबोट के पास ज्यादा नेटवर्किंग क्षमता होगी. निश्चित तौर पर ये ज्यादा इंटेलिजेंट होंगे, अपनी पंसद के साथ ज्यादा सूचनाएं साझा कर सकेंगे. इनमें जीवित उत्तक (टिश्यूज) होंगे, ताकि ये खुद फैसले ले सकेंगे. यानी इनके पास अपना दिमाग भी होगा.
प्रोफेसर ने कहा कि आज के ज्यादातर रोबोट सीमित तौर पर घूम-फिर सकते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में ऐसे रोबोट आएंगे, जो ज्यादा 'एक्टिव' होंगे.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के छठे सेशन में अजीब-सा रोमांच दिखा. इस सेशन में प्रोफेसर हेनरिक ने 'ह्यूमनॉयड रोबोट' (Humanoid Robot) पेश किया.