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भारत

रंगभरी एकादशी से काशी में शुरू हुई होली, भक्तों ने बाबा विश्वनाथ को लगाया गुलाल

रंगभरी एकादशी से काशी में शुरू हुई होली, भक्तों ने बाबा विश्वनाथ को लगाया गुलाल
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पूरे देश और दुनिया भर में हिंदू धर्म को मानने वाले फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाते हैं. काशी में होली का पांच दिवसीय पर्व रंगभरी एकादशी से शुरू हो गया है. भक्तों ने बाबा काशी विश्वनाथ और मां पार्वती को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की.

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मान्यता है कि बाबा काशी विश्वनाथ होली खेलते हुए रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का हिमालय से गौना करा कर अपनी नगरी काशी पहुंचे थे. परंपरा के अनुसार इस बार भी मां पार्वती की पालकी पर विदाई और शोभा यात्रा निकाली गई.

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ये शोभा यात्रा प्राचीन महंत आवास से न होकर टेढी नीम इलाके में अस्थाई महंत आवास से निकली, क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के हिस्से में चला गया है. हालांकि इससे भक्तों के उत्साह में जरा सी भी कमी नजर नहीं आई.

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संगीत और डमरूओं की गूंज के बीच पर कलाकार शिव-पार्वती के रूप में नाच रहे थे. मान्यता है कि जब बाबा काशी विश्वनाथ रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती को काशी लेकर आए थे तो वहां के लोगों ने उनके साथ होली खेली थी.

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भक्त इसी मान्यता का 356 वर्षों से जीवंत चित्रण करते आ रहे हैं. जब भगवान विश्वनाथ और मां पार्वती की रजत प्रतिमा महंत आवास से निकलकर काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र से गुजरती है तो हजारों भक्त उनके साथ अबीर-गुलाल खेलते हैं.

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इस बार भी भक्तों के बीच वैसा ही उत्साह था. टेढी नीम इलाके से मां पार्वती और भोले बाबा की पालकी शोभायात्रा निकलकर भक्तों के साथ अबीर गुलाल खेलते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची.

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विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी इस परंपरा को कई वर्षों से निभाते चले आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिस तरह से आम विवाह में सभी रस्म हफ्तों पहले शुरू हो जाते हैं ठीक उसी तरह बाबा के विवाह की भी तैयारी होती है.



रिपोर्ट- रौशन जायसवाल
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