चीन और पाकिस्तान सीमा पर अब भारत की ताकत बढ़ जाएगी. दरअसल, मनाली से लेह लद्दाख और लाहौल-स्पीति से जोड़ने वाली सुरंग अब बनकर तैयार हो चुकी है. और माना जा रहा है कि अगले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देश को समर्पित करेंगे.
बता दें कि बेहद आधुनिक और एडवांस टेक्नोलॉजी से बनी ये सुरंग अपने आप में इस तरह की पहली सुरंग होगी. चीन और पाकिस्तान की सरहद पर तैनात सेना तक आसानी से रसद पहुंचाने और लाहौल घाटी को 12 महीने खुला रखने के मकसद से बनाई जा रही मनाली-रोहतांग सुरंग अब बनकर तैयार हो चुकी है. इसके साथ ही दिल्ली से लेह और लद्दाख और लाहौल स्पीति के बीच सफर करना अब आसान हो जाएगा.
इस सुरंग के शुरू होने के बाद भारतीय सेना आसानी से चीन और पाकिस्तान की सीमा तक पहुंच सकेगी. हिमालय पीरपंजाल पहाड़ों में 8 किमी लंबी, जमीन से लगभग तीन किलीमीटर यानी कि लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनने वाली ये पहली सुरंग है.
सुरंग के बनने के बाद मनाली से लाहौल स्पीति और लेह लद्दाख पहुंचने का सफर 5 से 6 घंटे तक कम हो जाएगा. इतना ही नहीं इस सुरंग के बनने के बाद भारतीय फौजियों को अपनी रसद और सीमा पर हथियार पहुंचाने के लिए रोहतांग पास दर्रे का रास्ता पार नहीं करना होगा, जो हर साल भारी बर्फबारी के चलते नवंबर से अप्रैल तक बंद रहता है.
सीमा सड़क संगठन भी मानता है कि यह सुरंग बनने के बाद भारतीय सीमा की चौकसी और भारतीय सेना की मुस्तैदी और उनकी ताकत काफी बढ़ जाएगी.
बता दें कि भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर तनाव की स्थिति के मद्देनजर रोहतांग सुरंग सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. जून 2010 में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मनाली के सोलंगनाला में इस सुरंग का शिलान्यास किया था.
तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे 2015 में तैयार कर लेने का दावा किया था. विषम परिस्थितियों के चलते इसके ना सिर्फ इस सुरंग के निर्माण में देरी हुई बल्कि इसको निर्माण की कुल लागत प्रस्तावित बजट 1500 करोड़ रुपये से बढ़कर 4000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गई. (Photo Credit- संजय कुमार)