कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वे वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जो हाल ही में 18 साल के हुए हैं और पहली बार मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इंडिया टुडे माइंड रॉक्स समिट-2013 में पहली बार के वोटरों की भूमिका और जिम्मेदारी पर बात की कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और बीजेपी प्रवक्ता संजय कौल ने. आइए जानते हैं तीनों की राय.
पॉलिटिक्स पर अरविंद केजरीवाल, दीपेंद्र हुड्डा और संजय कौल की गरमागरम बहस हुई.
केजरीवाल ने कहा, आजकल हम लोग कैंडिडेट खड़े कर रहे हैं. सब पूछते हैं कि अरविंद आप ईमानदार हैं. मगर 70 कैंडिडेट की क्या गारंटी देते हो. मैं दे रहा हूं गारंटी.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, दुनिया भर के युवाओं में सत्ता और तंत्र के प्रति असंतोष है. वे एक मजबूत, फैसला करने वाला नेतृत्व चाहते हैं. हमने क्या किया. सन 47 के बाद क्या हुआ. एक संविधान बना है. हर आदमी को वोट देने का हक मिला. आजादी के पांच साल के भीतर देश में पहले आम चुनाव हुए.
उन्होंने कहा, सन 47 में प्रति व्यक्ति आय 237 रुपये थी. आज 68 हजार है. जीवन दर, साक्षरता दर बढ़ी है. भारत जैसे विविधता भरे देश को बांधना, संभालना और एक सूत्र में बांधना, यह सब पंडित जी और सरदार पटेल के प्रयासों से हुआ. राजीव जी ने 21 साल की बजाय वोटर की उम्र घटाकर 18 साल कर दी. पंचायती राज लाया गया. ग्रीन रेवोल्यूशन लाया गया. व्हाइट रेवोल्य़ूशन लाया गया.
संजय कौल ने माइंड रॉक्स के मंच पर कहा, दीपेंदर साहब ने इतनी बातें कहीं. इतनी तारीफ की. कि कैसे कोई बुराई करे. इतना मीठा डाल दो कि फंस जाए. आदमी तो वह अच्छे हैं. मगर पार्टी के लिए यह सब नहीं कहा जा सकता. वह कहते हैं कि हम सब एक साथ हैं. तो फिर संसद में झगड़ा क्यों होता है. आप हमें कम्युनल क्यों बताते हैं. अगर सबकी नीयत ठीक है, तो वह होता क्यों नहीं जो होना चाहिए.