प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीयों में बढ़ रही असहिष्णुता के खिलाफ आगाह करते हुए शनिवार को कहा, 'मैं देख रहा हूं कि हाल के दिनों में वैचारिक मतभेद रखने वाले हमारे लोगों में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है, जो प्रचलित मान्यता के विपरीत है.'
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये बातें, इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) का महाअध्यक्ष नामित होने के बाद कहीं.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मुझे कभी-कभी डर लगता है कि संकीर्णता की बढ़ती संस्कृति हमारे युवाओं की रचनात्मक, उन्नति और काल्पनिक सूझ-बूझ को प्रभावित कर सकती है.'
मनमोहन सिंह ने कहा, 'मैं वैज्ञानिक समुदाय के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे मुखर हों और देश के सामने खड़े मुद्दों पर एक सूचनापरक और तर्कसंगत बहस खड़ी करने में अधिक प्रभावी योगदान करें. हमारे वैज्ञानिकों की आवाज महत्वपूर्ण है और उसे सुना जाना चाहिए.'
मनमोहन सिंह ने विज्ञान को देश के विकास को गति देने के साधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'भविष्य में विज्ञान पर बोझ बढ़ेगा. हमारी समस्याएं व्यापक हैं और उन्हें वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता है.'
भारतीय विज्ञान कांग्रेस संगठन (आईएससीए) के अध्यक्ष के तौर पर मनमोहन ने कहा कि अगले वर्ष कांग्रेस का विषय ‘साइंस फॉर शेपिंग फ्यूचर ऑफ इंडिया’ होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विषय सौ वर्ष पहले भी उतना ही उपयुक्त होता जब संगठन बना था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के नए रास्ते तलाशने के लिए हमें अपने प्रचुर बौद्धिक संसाधनों का प्रयोग करना होगा, जिससे हमारे दुर्लभ संसाधनों का उचित उपयोग हो सके. मनमोहन सिंह ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में हमने अपने विज्ञान और तकनीक का उतना प्रयोग नहीं किया, जितना हमें करना चाहिए था.