कश्मीर में अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के बाद एक बार फिर पब्लिक सेफ्टी एक्ट को लेकर बहस तेज हो गई है. आप भी जानिए आखिर क्या है ये एक्ट?
कानून
जन सुरक्षा अधिनियम, जम्मू-कश्मीर प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी को भी गिरफ्तार करने की इजाजत देता है.
1978 में ये कानून पहली बार पारित किया गया और 8 अप्रैल को राज्यपाल ने इसे अमल में लाने की मंजूरी दी.
2012 में राज्य कैबिनेट ने इस एक्ट में संशोधन किया.
इस कानून के तहत अगर कोई निर्धारित प्रतिबंधित इलाके में पाया जाता है तो 1 महीने की कैद की सजा का प्रावधान है.
प्रतिबंधित इलाके में घुसने की कोशिश करने पर 2 महीने की कैद होती है.
गार्ड से लड़कर या चोरी से प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने पर 3 महीने की कैद होती है.
3 महीने की कैद का प्रावधान है, ऐसे दस्तावेजों के बांटे जाने पर, जिन्हें सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है.
1 साल की कैद है कानून व्यवस्था बिगाड़ने या लकड़ी की तस्करी पर, इस सजा को एक साल और बढ़ाया जा सकता है.
2 साल की कैद होती है उसे जो राज्य की कानून व्यवस्था के लिए खतरा दिखता है.
18 साल उम्र न्यूनतम पैमाना है किसी को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने का.
अधिनियम की धारा 22, कानून लागू करने वाले अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से रोकती है.