भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा 2009 के चुनावों को ‘नाजायज’ करार दिये जाने का सत्ता पक्ष के सदस्यों ने लोकसभा में कड़ा विरोध किया.
आडवाणी की टिप्पणी पर लोकसभा में हुए बवाल की कमान खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संभाली.
कड़े विरोध के बाद आडवाणी को अपनी टिप्पणी वापस लेनी पड़ी.
आडवाणी की टिप्पणी आते ही सोनिया ने सत्ता पक्ष के विरोधी तेवरों की कमान खुद संभाली और फिर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे पर हंगामा कर दिया.
सोनिया टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराती और संप्रग सदस्यों से आडवाणी की टिप्पणी वापस लिये जाने का दबाव बनाने के लिए कहती नजर आयीं.
सोनिया के कड़े तेवर देख शिन्दे और संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने भी आडवाणी से अपनी टिप्पणी वापस लेने को कहा.
आठ साल से संप्रग की कमान संभाल रहीं सोनिया को 2004 से कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से कभी ऐसे आक्रामक मूड में नहीं देखा गया.
लोकसभा में नेता सदन के रूप में सुशील कुमार शिन्दे का पहला दिन था. उन्होंने सोनिया गांधी के कहने पर अपना विरोध जताया.
सदन की बैठक भोजनावकाश के लिए स्थगित होने के बाद भी सोनिया संप्रग सांसदों और मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत करती दिखीं.
आडवाणी की टिप्पणी से निचले सदन में हंगामा हो गया और सत्ता पक्ष के कड़े प्रतिरोध के बाद भाजपा नेता को अपनी टिप्पणी वापस लेनी पड़ी.
आडवाणी ने हालांकि बाद में स्पष्टीकरण दिया कि वह 2008 में हुए विश्वास मत की बात कर रहे थे, जिसमें सरकार बचाने के लिए करोडों रूपये खर्च किये गये थे.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की टिप्पणी को अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. आडवाणी ने संप्रग-2 सरकार को नाजायज कहा था.
कांग्रेस सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर आडवाणी की टिप्पणी को पूरी तरह वापस लेने की मांग करने लगे.