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भारत

प्यार के लिए मिटे और हमेशा के लिए हो गए 'अमर'

प्यार के लिए मिटे और हमेशा के लिए हो गए 'अमर'
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अरब का प्रेमी जोड़ा था लैला-मजनूं. अरबपति शाह अमारी के बेटे कैस की किस्मत में इश्क की बीमारी शुरू से ही लिखी थी. दमिश्क के मदरसे में उसने नाज्द के शाह की बेटी लैला को देखा तो पहली नजर में उसका आशिक हो गया. कैस की मुहब्बत का असर लैला पर भी हुआ और दोनों ही प्यार के दीवाने हो गए. नतीजतन लैला को घर में कैद कर दिया गया और जुदाई का मारा कैस दीवानों की तरह मारा-मारा फिरने लगा. उसकी दीवानगी देखकर लोगों ने उसे 'मजनूं' नाम दिया.

लैला-मजनूं को अलग करने की लाख कोशिशें की गईं. लैला की किसी और से शादी कर दी गई. लैला बीमार पड़ गई और चल बसी. बाद में लैला की कब्र के पास ही मजनूं की लाश भी बरामद हुई. मजनू ने अपनी कविता के तीन चरण यहीं एक चट्टान पर उकेर रखे थे. लैला के नाम यह मजनू का आखिरी संदेश था.

उनकी मौत के बाद दुनिया ने जाना कि दोनों की मोहब्बत कितनी अजीज थी. दोनों को साथ-साथ दफनाया गया ताकि इस दुनिया में न मिलने वाले लैला-मजनूं जन्नत में जाकर मिल जाएं.

प्यार के लिए मिटे और हमेशा के लिए हो गए 'अमर'
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पंजाब के झंग शहर में एक अमीर परिवार में पैदा हुई थी हीर. बला की खूबसूरत. चिनाव नदी के किनारे एक गांव था तख्त हजारा. यहीं रहता था धीदो रांझा. हीर से हो गया उसे प्यार. हीर ने उसे अपने पिता की गाय-भैसें चराने का काम दिया. रांझे की बांसुरी की धुन पर वह लट्टू हो गई और उससे प्यार कर बैठी. दोनों एक-दूसरे से छिप-छिप कर मिलने लगे. फिर हीर की शादी जबरदस्ती सैदा खेड़ा नाम के एक आदमी से करा दी गई.

रांझे का दिल टूट गया और वह जोग लेने बाबा गोरखनाथ के प्रसिद्ध डेरे टिल्ला जोगियां चला गया. रांझा भी कान छिदाकर 'अलख निरंजन' का जाप करता पूरे पंजाब में घूमने लगा. आखिर एक दिन वह हीर के ससुराल वाले गांव पहुंच गया. फिर दोनों वापस हीर के गांव पहुंच गए, जहां हीर के मां-पिता ने उन्हें शादी की इजाजत दे दी, लेकिन हीर का चाचा कैदो उन्हें खुश देखकर जलने लगा. शादी के दिन कैदो ने हीर के खाने में जहर मिला दिया. हीर की मौत हो गई. नाकाबिल-ए-बर्दाश्त गम का मारे रांझा ने उसी जहरीले लड्डू को खाकर जान दे दी.

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पंजाब में एक कुम्हार के घर जन्मी सोहनी. इसी के साथ एक मुगल व्यापारी के यहां जन्म लिया इज्जत बेग ने जो आगे चलकर महिवाल कहलाया. सोहनी के इश्क में गिरफ्तार इज्जत बेग ने उसी के घर में जानवर चराने की नौकरी कर ली. पंजाब में भैंसों को माहियां कहा जाता है. इसलिए भैंसों को चराने वाला इज्जत बेग महिवाल कहलाने लगा. दोनों की मुलाकात मोहब्बत में बदल गई. जब सोहनी की मां को बात पता चली तो उन्होंने महिवाल को घर से निकाल दिया. सोहनी की शादी किसी और से कर दी गई. महिवाल ने अपने खूने-दिल से लिखा खत सोहनी को भिजवाया. सोहनी ने जवाब दिया कि मैं तुम्हारी थी और तुम्हारी रहूंगी. महिवाल ने साधु का वेश बनाया और सोहनी से मिलने पहुंच गया. दोनों फिर मिलने लगे. सोहनी मिट्टी के घड़े के सहारे तैरती हुई चिनाव नदी पार करती और महिवाल से मिलने आती. सोहनी की भाभी ने एक दिन पक्का घड़ा बदलकर मिट्टी का कच्चा घड़ा रख दिया. सोहनी को पता चल गया कि उसका घड़ा बदल गया है फिर भी वह कच्चा घड़ा लेकर नदी में कूद पड़ी. घड़ा टूट गया और वह पानी में डूब गई. उसका शव दूसरे किनारे पर बैठे महिवाल के पैरों से टकराया. वह पागल हो गया. उसने सोहनी के जिस्म को अपनी बांहों में थामा और चिनाव की लहरों में गुम हो गया. सुबह जब मछुआरों के जाल में दोनों के जिस्म मिले जो मर कर भी एक हो गए थे.
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पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी के साथ उनकी प्रेम कहानी भी काफी चर्चित है. वह कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता से बहुत प्रेम करते थे. दोनों का प्रेम परवान चढ़ रहा था लेकिन संयोगिता के पिता कन्नौज के महाराज जयचंद्र की पृथ्वीराज से दुश्मनी थी.

जयचंद्र ने संयोगिता के स्वयंवर में पृथ्वीराज को नहीं बुलाया, उल्टा उन्हें अपमानित करने के लिए उनका पुतला दरबान के रूप में दरवाजे पर रखवा दिया. लेकिन पृथ्वीराज बेधड़क स्वयंवर में आए और सबके सामने राजकुमारी को अगवा कर ले गए. राजधानी पहुंचकर दोनों ने शादी कर ली.

कहते हैं कि इसी अपमान का बदला लेने के लिए जयचंद्र ने मोहम्मद गौरी को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया. गौरी को 17 बार पृथ्वीराज ने हराया. 18वीं बार गौरी ने पृथ्वीराज को धोखे से बंदी बनाया और अपने देश ले गया, वहां उसने गर्म सलाखों से पृथ्वीराज की आंखे तक फोड़ दीं.

इससे पहले कि दुश्मन उन्हें मारते उन्होंने खुद ही अपनी जिंदगी खत्म कर ली, जब संयोगिता को इस बात की खबर मिली तो उन्होंने भी सती होकर जान दे दी.

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रोजलीन के मोहब्बत में टूट चुका रोमियो एक पार्टी में पहुंचा, जहां उसकी मुलाकात जूलियट से हुई और उन दोनों में प्यार हो गया. उन्होंने चुपचाप शादी करने का फैसला लिया. लेकिन दुर्भाग्य से दोनों परिवारों के बीच जंग छिड़ गई. लड़ाई में रोमियो के एक करीबी दोस्त की मौत हो गई. बदले में रोमियो ने भी जूलियट के चचेरे भाई की हत्या कर दी. रोमियो को देश से बाहर जाने की सजा मिली. जूलियट के परिवार वालों ने उसकी शादी का फैसला कर लिया. शादी से बचने के लिए वह नींद वाली दवाई पीकर सो गई, ताकि सबको लगे कि वह मर चुकी है. रोमियो को इस नाटक के बारे में कुछ पता नहीं था. जूलियट के मरने की खबर सुनकर वह वहां पहुंचा और उसने जहर पी लिया. जब जूलियट का नशा उतरा तो सामने अपने प्रेमी की लाश देखकर वह सन्न रह गई. उसने रोमियो के छुरे से ही खुद को मार डाला और दोनों ने एक साथ दुनिया को अलविदा कह दिया.
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शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी ने देश को ताज महल जैसी धरोहर दी है. शादी से पहले मुमताज अर्जुमंद बानो नाम से जानी जाती थीं. उनकी बेपनाह खूबसूरती से प्रभावित होकर शाहजहां ने उन्हें अपनी तीसरी बेगम बनाया था. निकाह के बाद उनका नाम मुमताज महल रखा गया, जिसका मतलब होता है महल का बेशकीमती नगीना.

अर्जुमंद बानो का 19 साल की उम्र में सन 1612 में शाहजहां से निकाल हुआ. अर्जुमंद शाहजहां की तीसरी पत्नी थी पर शीघ्र ही वह उनकी सबसे पसंदीदा पत्नी बन गईं. उनका निधन बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को 14वीं संतान, बेटी गौहारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ. उनको आगरा में ताज महल में दफनाया गया.

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