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भारत

लेखकों का साहित्यिक रंग दिखा जयपुर में

लेखकों का साहित्यिक रंग दिखा जयपुर में
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एशिया के सबसे बड़े एवं दुनिया से प्रमुख पांच साहित्य महोत्सव में शामिल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज शुक्रवार से जयपुर के डिग्गी पैलेस में हो गया. इसी दौरान इंडिया टुडे के संपादक एमजे अकबर भी वहां मौजूद थे.
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सुबह सूरज की किरणों के बीच गुरुबानी के साथ टॉमक के अनु-घोष व शंखनाद से शब्दों की बातें शुरू हुई. नाटककार और लेकर गिरीश कर्नाड भी जयपुर पहुंचे.
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गुलजार से गुलजार होने वाले इस उत्सव की शुरूआत भूटान की महारानी ने दीप प्रज्जवलन कर की.
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इसके साक्षी बने शायर गुलजार, गायिका इला अरुण, सीडी देवल एवं साहित्य के बड़े हस्ताक्षर, बॉलीवुड व विविध क्षेत्रों की हस्तियां.
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गुरुबानी ने जहां महोत्सव में भक्ति को आधार दिया, वहीं राजस्थानी कलाकारों ने शंख एवं टॉमक के साथ शहनाई की मंगल धुनों ने शब्दों की कहानियों को संवाद के लिए तैयार किया.
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उद्घाटन समारोह में भक्ति गीत पर आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल एवं लेखक अरविंद कृष्ण मल्होत्रा के व्याख्यान हुए.
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गुलजार, पवन वर्मा, अशोक चक्रधर, इला अरुण, अमरीकी टॉक शो होस्ट ओपरा विनफ्रे, गिरीश कर्नाड, अशोक चक्रधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर, लेखिका हनान अल शयाख, एडमैन व सोशलाइट सुहेल सेठ, लेखक बेन ओक्री, ऑथर टिम ब्यूचर, ब्रिटिश फिलॉसफर ए.सी. ग्रेलिंग, अभिनेता कबीर बेदी, राहुल बोस, फिल्म अभिनेता अनुपम खेर, दिप्ती नवल, पत्रकार तरुण तेजपाल, लेखक चेतन भगत, सहित करीब 250 प्रमुख हस्तियां पांच दिन तक इस फेस्टीवल के साक्षी बनेंगे.
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अनेक हस्तियों की उपस्थिति में फेस्टिवल के पहले दिन 25 से अधिक सेशन हुए. इनमें साहित्य, साहित्य की आकांक्षा, साहित्य का दर्पण, उसके लिखे जाने की प्रासंगिकता, कहानी, फिल्म, सोशल इश्यूज आदि पर बातें हुई
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  • 9/24
केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी आज फेस्टिवल में पहुंचे.
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  • 10/24
सिब्बल ने अपनी कविताएं सुनाई वहीं सवाल-जवाब के सेशन में लोगों ने उनके अन्ना हजारे से संबंधित सवाल भी किए.
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इस आयोजन में चार महाद्वीपों के 250 से ज्यादा वक्ता 136 विभिन्न सत्रों में साहित्य चर्चा करेंगे.
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  • 12/24
इस बार साहित्य उत्सव का मुख्य आकर्षण किसी समय अमेरिका की सबसे ताकतवर महिला मानी गई और प्रसिद्घ टीवी टॉक शो द ओपरा विन्फ्रे की मेजबान ओपरा विन्फ्रे होंगी.
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उनके साथ फेस्टिवल में दक्षिण एशिया, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीपों से सृजनकर्मी शामिल होंगे.
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इसमें आने वाले वक्ताओं में लेखक, कवि, शायर, टीवी एंकर, राजनेता, पत्रकार, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी, सिनेकर्मी तथा वन्यजीव विशेषज्ञ शामिल हैं.
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इनमें अंग्रेजी के प्रसिद्घ नाटक लेखक टॉम स्टापउ, डेविड हरे और एरियल डॉर्फमैन प्रमुख है तो एन्नी प्रोलम्स, बेन ओकरी, किरन नागरकर,लियोनेल श्राइवर और माइकल ओनडाट्जे सरीखे अंग्रेजी साहित्य के बेहतरीन उपन्यासकार भी शामिल हैं.
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वहीं गुलजार, जावेद अख्तर और प्रसून जोशी सरीखे बॉलीवुड से जुड़े नामचीन सृजनकर्मी भी आकर्षण का केंद्र होंगे.
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  • 17/24
उत्सव में आने वाले अन्य प्रमुख नामों में फातिमा भुट्टो, असगर वजाहत, अमिताव कुमार, अशोक चक्रधर, अशोक वाजपेयी, चेतन भगत, गुरचरनदास, हरिकुंजरू, नमिता गोखले, पुरुषोत्तम अग्रवाल, मीता कपूर, रीता कोठारी आदि शामिल हैं तो अनुपम खेर, दीप्ति नवल, गिरीश कर्नाड, गोविंद निहलानी, प्रकाश झा और विशाल भारद्वाज सरीखी हिन्दी फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियां भी आ रही हैं.
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इनके साथ ही प्रसिद्ध पत्रकारों में इंडिया टुडे के संपादक एमजे अकबर, आउटलुक के संपादक, विनोद मेहता, तहलका के संपादक तरुण तेजपाल, मार्क टुली, कुलदीप नैयर, करण थापर, एनडीटीवी की बरखा दत्त और कपिल सिब्बल, शशि थरूर आदि राजनीति से जुड़े लोग भी इस आयोजन में शिरकत करेंगें.
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उत्सव में राजस्थान से हरिराम मीना, कविता श्रीवास्तव, अरुण रॉय, नंद भारद्वाज,नंदकिशोर आचार्य,रामकुमार सिंह आदि भी भाग लेंगे.
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हिंदी के एक बहुत महत्वपूर्ण लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि एक अन्य पांडाल में थे. 'एन इक्वल वर्ल्ड' विषय के अंतर्गत उन्होंने चर्चा की. साथ में तेलुगु की गोगु श्यामला हैं. दोनों ही दलित विश्व से संबंध रखते हैं. इस चर्चा के सूत्रधार थे एस आनंद, जिन्होंने वाल्मीकि के हिंदी वक्तव्य व श्यामला के तेलुगु वक्तव्य को अंग्रेजी में प्रस्तुत किया.
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  • 21/24
वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन' हिंदी में काफी सराही गई है. बेबाक वाल्मीकि दलित होने के अपने दर्द को, अपने साथ भेदभाव के किस्सों को बयान करते हुए कहते हैं कि जब हम लोगों के साथ मंडल का नाम लिया जाता है तो हम कोटे की श्रेणी में आ जाते हैं.
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  • 22/24
दरअसल हमें प्यार की जरूरत है, घृणा की नहीं. आंबेडकर हमारे दिलों में जीते थे, मगर दलित पैंथर ने भेदभाव के खिलाफ लड़ने का जज्बा हमारी रगों में डाल दिया.
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  • 23/24
एक अन्य मंच पर कराची के लेखक मोहम्मद हनीफ थे. वे अपने उपन्यास अंग्रेजी में लिखते हैं, मगर वे मूलतः बहुभाषी हैं.
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पंजाबी, सिंधी, उर्दू में भी लिखते हैं. पंजाबी उनकी मातृभाषा है. हनीफ चुटकी लेते हैं-जब गाली लिखना होती है तो पंजाबी का इस्तेमाल करता हूं. सिंधी दोस्तों की मदद से लिखता हूं. उर्दू में अखबारी लेखन और रिपोर्टिंग करता हूं, ताकि ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे. मगर उपन्यास अंग्रेजी में लिखता हूं, क्योंकि देशी-विदेशी लेखकों के उपन्यास इसी भाषा में पढ़े हैं.
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