योग को 'फेम और ग्लैमर' से जोड़ने वाले स्वामी रामदेव किसी परिचय के मोहताज नहीं है. आध्यात्मिक गुरु के तौर पर पहचान बनाने वाले रामदेव आयुर्वेद, राजनीति और कृषि में भी हस्तक्षेप रखते हैं.
योगा कैंपों और टेलीविजन के जरिए रामदेव ने योग को साधुओं और योगियों की झोली से निकालकर आम जनता के बीच पॉपुलर बनाया. इसके साथ ही उन्होंने पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट की स्थापना की.
पतंजलि योग समिति की ओर से लगाए गए एक योग कैंप में योगासन करते स्वामी रामदेव
बिक्रम योगा परंपरागत हठ योग मुद्राओं से बनाई गई पद्धति है. इसे बिक्रम चौधरी ने विकसित किया और 1970 के दशक में इसे पॉपुलर बनाया. बिक्रम योगा सीरीज की कक्षाएं 90 मिनट तक चलती हैं और इसमें 26 मुद्राएं होती हैं. बिक्रम योगा की कक्षाओं में कमरे का तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेट होता है और 40 प्रतिशत आर्द्रता होती है. बिक्रम योगा की सभी कक्षाओं को बिक्रम चौधरी द्वारा प्रशिक्षित शिक्षक चलाते हैं.
बीकेएस आयंगर को दुनिया गुरुजी के नाम से जानती है. 'आयंगर योगा' के जरिए दुनिया भर में पहचान बनाने वाले बीकेएस आयंगर ने दुनिया को योग के बारे में बतलाया.
बीकेएस आयंगर का जन्म कर्नाटक के कोलार जिले के बेल्लूर गांव में हुआ था. उन्होंने आयंगरयोग की स्थापना कर इसे दुनिया भर में मशहूर बनाया.
योग गुरु बीकेएस आयंगर ने लाइट ऑन योग, लाइट ऑन प्राणायाम और लाइट ऑन योग सूत्र ऑफ पतंजलि जैसी किताबें भी लिखी हैं.
आयंगर को भारत सरकार ने पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 95 वर्ष की आयु में हृदयाघात के चलते 20 अगस्त 2014 को पुणे में उनका निधन हो गया.
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने 1956 में स्वामी शिवानंद से कहा कि 'सत्यानंद जाओ और दुनिया को योग सिखाओ.'
श्री शिवानंद आश्रम जाने माने शिवानंद आश्रम की स्थापना वर्ष 1932 में स्वामी शिवानंद द्वारा की गई. शहर के बीचोबीच स्थित शिवानंद आश्रम
आध्यात्मिक ज्ञान का श्रोत एवं वेदांत तथा योग के केन्द्र के रुप में जाना जाता है.
अरबिंदो घोष का जन्म कोलकाता में एक संपन्न परिवार में 15 अगस्त, 1872 को हुआ. उनके पिता का नाम डॉक्टर कृष्ण धन घोष और मां का नाम स्वर्णलता देवी था. इनके पिता पश्चिमी सभ्यता में रंगे हुए थे, इसलिए उन्होंने अरबिंदो को दो बड़े भाइयों के साथ दार्जिलिंग के एक अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने के लिए भेज दिया. दो वर्ष बाद सात वर्ष की अवस्था में उनके पिता उन्हें इंग्लैण्ड ले गए. अरविंद को भारतीय और यूरोपीय दर्शन और संस्कृति का अच्छा ज्ञान था. यही कारण है कि उन्होंने इन दोनों के समन्वय की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किया. कुछ लोग उन्हें भारत की ऋषि परम्परा (संत परम्परा) की नवीन कड़ी मानते हैं. श्री अरविंद का दावा है कि इस युग में भारत विश्व में एक रचनात्मक भूमिका निभा रहा है और भविष्य में भी निभायेगा. उनके दर्शन में जीवन के सभी पहलुओं का समावेश है. उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर भी अपने विचार व्यक्त किए हैं, यथा संस्कृति, राष्ट्रवाद, राजनीति, समाजवाद आदि साहित्य, विशेषकर काव्य के क्षेत्र में उनकी कृतियां बहुचर्चित हुई हैं.
पतंजलि योगपीठ सर्विस का प्रतीक चिन्ह
पतंजलि योग की मूर्ति, जिसमें भगवान विष्णु की आभा दिखती है. एक हाथ में चक्र और दूसरे हाथ में शंख के साथ शेषनाग की उपस्थिति भगवान विष्णु की आभा को बलवती बनाती है.
भारतीय दर्शन साहित्य में पतंजलि के लिखे हुए 3 प्रमुख ग्रंथ मिलते हैं- योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रंथ. विद्वानों में इन ग्रंथों के लेखक को लेकर मतभेद हैं. कुछ मानते हैं कि तीनों ग्रंथ एक ही व्यक्ति ने लिखे, अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियां हैं. पतंजलि ने पाणिनी के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी, जिसे महाभाष्य कहा जाता है. यह भी माना जाता है कि वे व्याकरणाचार्य पाणिनी के शिष्य थे.
कृष्णा पट्टाभि जॉयस ने 1948 में अष्टांग योग को विकसित किया और इसे पॉपुलर बनाया. इसके अलावा उन्होंने मैसूर में अष्टांग योग रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की.
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था. उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की. महर्षि ने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की. महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम् में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी. हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होंने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की. सन् 1957 में उन्होंने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिए विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया. महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप 'बीटल्स' ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया. इसके बाद गुरुजी का 'ट्रेसडेंशल मेडिटेशन' अर्थात् भावातीत ध्यान पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ. उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से लेकर आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे.
योग सूत्रों के संकलनकर्ता पतंजलि ने कई संस्कृत ग्रंथों की स्थापना की. विकीपीडिया के मुताबिक पतंजलि का संबंध कश्मीर से था. महान चिकित्सक पतंजलि को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है. पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ईपू) के शासनकाल में थे. राजा भोज ने इन्हें तन के साथ मन का भी चिकित्सक कहा है. पतंजलि का जन्म गोनारद्य (गोनिया) में हुआ था, लेकिन कहते हैं कि ये काशी में नागकूप में बस गए थे.