सीमाओं पर इस तरह के युद्ध अभ्यास की वजह से दुश्मन में खौफ बना रहता है. इसलिए उत्तराखंड के औली में भारतीय और अमेरिकी सेना के जवान एकदूसरे के साथ युद्धाभ्यास कर रहे हैं. एक दूसरे की तकनीकों, तरीकों और हथियारों से वाकिफ हो रहे हैं. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)
भारत-अमेरिका का यह 18वां संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास हैं. यह सालाना आयोजन है, जो हर साल सिर्फ इस मकसद से किया जाता है, कि दोनों सेनाओं के जवान एक दूसरे की बेहतरीन प्रैक्टिस को सीख सकें. इससे पहले जो युद्धाभ्यास हुआ था, उसे अक्टूबर 2021 में अमेरिका के अलास्का में किया गया था. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)
अमेरिकी सेना के 11वें एयरबॉर्न डिविजन की सेकेंड ब्रिगेड के सैनिक भारत आए हैं. जबकि, भारतीय सेना के असम रेजिमेंट के जवान इस मिलिट्री ड्रिल में भाग ले रहे हैं. इस ड्रिल का फोकस यूएन मैनडेट के सातवें चैप्टर के मुताबिक इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप की तैनाती की परीक्षण करना है. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)
इस तरह के युद्धाभ्यास में सेनाएं सर्विलांस ग्रिड्स, ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स, माउंटेन वॉरफेयर स्किल, आपदा प्रबंधन, रेसक्यू मिशन, कॉम्बैट मेडिकल एड, एडवर्स टेरेन और क्लाइमेटिक कंडिशन वॉरफेयर की तैयारी करती हैं. यह युद्धाभ्यास 15 दिनों तक चलेगा. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)
इस युद्धाभ्यास में हथियारों के साथ-साथ दोनों सेनाओं के जवान एक दूसरे के मार्शल आर्ट्स टेकनीक, क्लोज कॉम्बैट टेक्नीक्स, शारीरिक क्षमताओं आदि का भी प्रदर्शन करेंगे. साथ ही एकदूसरे को टिप्स भी देंगे. यह ड्रिल अत्यधिक सर्दी वाले इलाके में जानबूझकर की जाती है, ताकि ऐसे मौसम वाले इलाकों में युद्ध के दौरान दिक्कत न हो. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)
भारतीय सेना ने इस दौरान अपने कमांडो चील अर्जुन की क्षमताओं का प्रदर्शन किया. उसने दुश्मन के ड्रोन को मार गिराया. (फोटोः नसीर अज़ीज खान/इंडिया टुडे)