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आज का दिन: चुनाव में कमजोर हुए नीतीश अब अपना कुनबा कर रहे हैं मजबूत

ख़बर ये आई कि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जदयू में कराया जा सकता है. तो अब सवाल ये है कि क्या वाकई जेडीयू को इस कदम से कोई फ़ायदा होगा?

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

चाय बागान और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स वाला असम इन दिनों राजनीतिक हलचल का केंद्र बना हुआ है. वजह  तीन चरण में होने जा रहे एसेंबली इलेक्शन जिसकी शुरुआत 27 मार्च से हो रही है. सारे दलों ने कमर कस ली है लेकिन मीडिया को सबसे ज़्यादा खींच रही है कांग्रेस. वो इसलिए क्योंकि असम में पार्टी की तरफ़ से प्रचार का ज़िम्मा सँभाला है प्रियंका गांधी ने. फ़िलहाल वो दो दिनों के असम दौरे पर हैं. यहाँ वो मन्दिर गयीं, चाय-बागान पहुँचीं, फिर तेजपुर में रैली की. रैली में, उन्होंने सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून का मसला पुरजोर तरीके से उठाया और आजतक से बात करते हुए कहा कि पूरे देश में गृहमंत्री सीएए की बात करते हैं, असम में क्यों नहीं. तो सवाल ये है कि सीएए के इर्द-गिर्द कांग्रेस क्यों अपनी राजनीतिक बिसात बिछाना चाह रही है? बता रहे हैं हमारे सहयोगी आनंद पटेल. 

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पिछले साल बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बने लेकिन इस बार माहौल पहले जैसा नहीं है. वजह है उनका घटता सियासी क़द. कभी 115 सीटें जीतने में कामयाब रही उनकी पार्टी इस बार 43 पर थम गई. ऐसे में अब उनके सरकार में दखल और बयान दोनों पर सवाल उठते रहते हैं. दूसरी तरफ ये बात शायद नीतीश को भी समझ आई है. यही वजह है कि वो अब जेडीयू को मज़बूत करने में जुटे हैं. इसी कड़ी में ख़बर ये आई कि उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय जदयू में कराया जा सकता है. तो अब सवाल ये है कि क्या वाकई जेडीयू को इस कदम से कोई फ़ायदा होगा? बिहार में पॉलिटिक्स कितना बदलेगी? नीतीश को कुशवाहा की ज़रूरत ज़्यादा है या फिर इसका उलटा है.. इन सवालों के जवाब तलाश रहे हैं हमारे सहयोगी रितुराज.. सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह से.

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कोरोना के बाद से इकोनॉमी की हालत पस्त है. आर.बी.आई ने भी माना है कि बड़ी कम्पनियां के कर्ज़ देने-लेने में कमी दिख रही है. बैंकर्स भी बड़ी कम्पनियों को कर्ज़ देने से हिचक रहे हैं. तो कौन सी बातें हैं जो आर.बी.आई की चिंता का कारण हैं. क़र्ज़ देने में हिचकिचाहट का कारण क्या है.. ये सब जानने के लिए हमने फोन मिलाया इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका के एसोसिएट एडिटर शुभम शंखधार से और पूछा कि आरबीआई ने और क्या क्या कहा.

कोरोना के बाद कई जगह अब स्कूल पूरी तरह खुल गए हैं. प्राइमरी स्कूलों में भी बच्चे जाने लगे हैं. 1 मार्च को जब पहला दिन था स्कूलों का तो हमने देखा सरकारी स्कूलों में तो बच्चों का मालाएं पहनाकर स्वागत किया गया. मास्क बांटे गए. सरकार के आदेशों के हिसाब से सभी स्कूलों में व्यवस्थाएं  बनाने की कोशिश की जा रही हैं, तो किस तरह की तैयारियां स्कूल कर रहे हैं इसकी पड़ताल हमारे सहयोगी अमन गुप्ता ने की. 

साथ ही आज की तारीख का इतिहास और अख़बार का हाल तो है ही. ये सब कुछ सिर्फ आधे घंटे के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ.

आज का दिन सुनने के लिए यहां क्लिक करें

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