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आज का दिन: जितिन के बाद क्या सचिन पायलट भी छोड़ सकते हैं कांग्रेस? कैसे होगा डैमेज कंट्रोल?

जितिन प्रसाद के बाद कांग्रेस के एक और युवा और जुझारू नेता के पार्टी छोड़ जाने की अटकलें लगाई जाने लगी, ये नेता हैं- सचिन पायलट. खबर है कि पायलट खेमे के 3 से 4 विधायकों को मंत्री बनाकर समायोजित किया जा सकता है, इस तरह का डैमेज कंट्रोल कितना कारगर नज़र आता है?

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सचिन पायलट
सचिन पायलट

कभी देश की दिग्गज पार्टी रही कांग्रेस अब अपने अस्तित्व की लड़ाई तो लड़ ही रही है दूसरी तरफ़ पार्टी भविष्य के संभावित चेहरों और राहुल टीम के साथी रहे यंग टर्क्स को भी दिन-ब-दिन खोती चली जा रही है, ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का साथ पकड़ चुके थे, कल रही सही कसर जितिन प्रसाद ने भी बीजेपी का दामन थाम पूरा कर दी, उनके जाने के साथ ही कांग्रेस के एक और युवा और जुझारू नेता के पार्टी छोड़ जाने की अटकलें लगाई जाने लगी, ये नेता हैं- सचिन पायलट. अभी दो दिन पहले उनकी नाराज़गी की वजहों पर हमने विस्तार से बात की थी, राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच खींचातानी की खबरें लंबे समय से चली आ रही हैं , लेकिन जानकार कहते हैं की राजस्थान की परिस्थितियां , उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से काफी अलग हैं , कितना अंतर है इन राजनीतिक परिस्थितियों और दृश्यों में ? और अगले महीने मन्त्रिमण्डल विस्तार कर और उसमें पायलट खेमे के 3 से 4 विधायकों को मंत्री बनाकर समायोजित किया जा सकता है, इस तरह का डैमेज कंट्रोल कितना कारगर नज़र आता है? क्या इससे सचिन के एसपिरेशन्स/महत्वकांक्षाओं पर विराम लगेगा ?

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भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट की शुरुआत की गई. इसके शुरुआती नतीजे काफी राहत देने वाले आए हैं. गंगाराम हॉस्पिटल में कोरोना के दो मरीज़ों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी दी गयी थी. इसपर बात करते हुए एसजीआरएच के मेडिसिन विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ पूजा खोसला ने कहा कि जिन दो मरीजों को एंटीबॉडी दी गई, वे 36 साल के हेल्थकेयर वर्कर थे, जो हाई ग्रेड बुखार, खांसी, गंभीर कमजोरी और लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे. जबकि दूसरे के डायबिटीज़ और हाई ब्लडप्रेशर था. उसकी उम्र 80 साल थी. इस ट्रीटमेंट के नतीजे काफी शानदार आये। तो ये मोनोक्लोनल एंटीबाडी ट्रीटमेंट किस तरह काम करता है ? और ये किनको दिया जा सकता है?

भारत में कोरोना वायरस के मामलों में पिछले दो दिनों से भले ही थोड़ी कमी देखी जा रही है. लेकिन कोरोना से मौत के आंकड़ें अभी भी चिंता का विषय है.  हालांकि, इसके बाद भी कुछ लोगों के मन में कोरोना वैक्‍सीन को लेकर उथल-पुथल मची हुई है. लोग वैक्सीन लगवाने से कतरा रहें हैं. और वो भी इस समय में जब सरकार और विशेषज्ञ लगातार इस बात को कह रहे हैं कि अपनी बारी आने पर वैक्‍सीन जरूर लें, इससे ही कोरोना संक्रमण की बढ़ती हुई चेन को तोड़ा जा सकता है. अब लोगों के मन में वैक्सीन न लगवाने को लेकर अजीबोगरीब कारण है. ताज़ा मामला गुजरात का है जहां अहमदाबाद के जुहापुर इलाके़ में 7 से 10 फीसद लोगों ने ही वैक्सीन लगवाई है. और बाक़ी लोग वैक्सीन लगवाने को लेकर आनाकानी कर रहे हैं. आखिर इसकी वजह क्या है? और क्या इस इलाके में सरकारी व्यवस्था पर्याप्त है वैक्सीनेशन प्रोसेस को लेकर?

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दिल्ली में एक बार फिर से आगे आने वाले 20 सालों को लेकर DDA यानी की Delhi Development Authority की ओर से दिल्ली मास्टर प्लान 2041 को लेकर मंत्रालय को लगभग पांच सौ पन्नों का ड्राफ्ट भेजा गया था, जिसे शुक्रवार को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को डीडीए कार्यालय को सौंप दिया गया। डीडीए अधिकारियों के मुताबिक नए मास्टर प्लान में दिल्ली के अविकसित और अनाधिकृत इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए मास्टर प्लान के पूर्व नियमों में भी कुछ बदलाव किया जाएगा। तो क्या है दिल्ली मास्टर प्लान 2041 और किन-किन चीज़ों को इसमें प्राथमिकता दी गई है और दिल्ली मास्टर प्लान 2041 को लेकर DDA की क्या तैयारियां हैं?


इन ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा बिहार के मुंगेर से कोरोना से जुड़ी ग्राउंड रिपोर्ट, हेडलाइंस और आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

10 जून का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें...

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