गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ बहुत मुमकिन है कि आम आदमी पार्टी के रूप में देश को एक नया राष्ट्रीय राजनीतिक दल मिल जाए. दरअसल इन राज्यों के चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी निर्वाचन आयोग की ओर से राष्ट्रीय पार्टी होने की पात्रता पूरा करने में सक्षम हो सकती है. वह चुनाव परिणाम घोषिण होने के साथ ही वह 8 दिसंबर को पात्र हो जाएगी.
ऐसे में पूरी संभावना है कि 2022 में ही वो इसका दावा करे और इसी साल उसे यह मान्यता मिल भी जाए. दिल्ली, पंजाब में सत्ता हासिल करने और गोवा विधान सभा में दो विधायक जीतने के बाद अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में मिले मत प्रतिशत AAP को राष्ट्रीय दल का दर्जा दिला सकते हैं. अब तक देश में केवल कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और टीएमसी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल है.
इस आधार पर दावा ठोक सकती है AAP
- संविधान विशेषज्ञ डॉक्टर सुभाष कश्यप के मुताबिक राष्ट्रीय दल होने की तीन मुख्य शर्तों या पात्रता में से एक शर्त यह है कि कोई भी राजनीतिक दल चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा में 6 फीसदी वोट हासिल करे या फिर विधानसभा चुनावों में चार या इससे अधिक राज्यों में कुल 6 फीसदी या ज्यादा वोट शेयर जुटाए.
- चुनाव के राजनीतिक नियमों के जानकार केजे राव के मुताबिक कोई राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के दौरान तीन राज्यों में लोकसभा की 2 फीसदी यानी 11 सीटें जीते या कोई पार्टी चार या इससे ज्यादा राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता रखती हो. कोई राजनीतिक दल चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा में 6 फीसदी वोट हासिल करे या फिर विधानसभा चुनावों में चार या इससे अधिक राज्यों में कुल 6 फीसदी या ज्यादा वोट शेयर जुटा ले.
गोवा में AAP ने 6.77 फीसदी वोट शेयर के साथ दो सीटें हासिल की हैं. कुछ अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी की हिस्सेदारी और वोट शेयर हैं, इसलिए अब यह चर्चा होने लगी है कि AAP राष्ट्रीय पार्टी (National Party) बनने जा रही है.
राष्ट्रीय पार्टी होने पर ये मिलेंगे फायदे
- किसी भी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता मिलने के कई फायदे होते हैं. सबसे पहला फायदा तो जाहिर है- मान्यता यानी स्तर को लेकर ही है.
- राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होने के बाद अखिल भारतीय स्तर पर एक आरक्षित चुनाव चिह्न मिल जाता है.
- निर्वाचन सूची मुफ्त और अनिवार्य तौर पर प्राप्त करने की सुविधा.
- चुनाव के कुछ समय पहले उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टेलीविजन और रेडियो प्रसारण के लिए समय दिए जाने की अनुमति होगा ताकि वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकें.
- नेशनल मीडिया पर फ्री एयरटाइम मिल जाता है. इससे पार्टी की पहुंच बढ़ने में आसानी होती है. हालांकि नामजदगी के पर्चे यानी नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए उम्मीदवारों के प्रस्तावकों की संख्या बढ़ सकती है.
अभी देश में हैं 400 पार्टियां
किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए कुछ शर्तें, नियम और पात्रता होती हैं. लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन, वोट शेयर, कई राज्यों में मान्यता, विधानसभा चुनावों में ज्यादा राज्यों में वोट शेयर से संबंधित नियमों के आधार पर राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता दी जाती है. जो भी पार्टी इन शर्तों में से कोई एक कसौटी पर खरा उतर जाती है, उसे राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी जाती है.
निर्वाचन आयोग के सफाई अभियान के बाद अब देश में करीब 400 राजनीतिक पार्टियां हैं, लेकिन इनमें से महज 7 को ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है. हमारे देश में तीन स्तर की पॉलिटिकल पार्टियां हैं- राष्ट्रीय पार्टी, राज्य स्तरीय पार्टी और क्षेत्रीय पार्टी. देश में 7 राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा राज्य स्तर के 35 राजनीतिक दल हैं. अभी 250 से ज्यादा क्षेत्रीय दल मौजूद हैं.