कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होते ही अब केरल में खाली हुई वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर मंथन शुरू हो गया है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक वायनाड लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव का कार्यक्रम अप्रैल में घोषित हो सकता है.
EC ने वायनाड में उपचुनाव को लेकर चर्चा शुरू कर दी है. बता दें कि सूरत कोर्ट से आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के साथ ही राहुल गांधी सांसदी से अयोग्य हो गए हैं.
राहुल गांधी की सांसदी जाने की अधिसूचना लोकसभा स्पीकर जारी कर चुके हैं. हालांकि, कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ ही राहुल गांधी को राहत की अपील दाखिल करने के लिए एक महीने की मोहलत दी है.
राहुल को सत्र न्यायालय में अपील दाखिल करनी है. वहां से राहत ना मिलने पर वो हाईकोर्ट में भी अपील दाखिल कर सकते हैं. अगर वहां भी राहत नहीं मिली तो वो सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल कर सकते हैं.
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राहुल की संसद सदस्यता शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने रद्द की है. यह फैसला कोर्ट के निर्णय के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत लिया गया है.
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है.
हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
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किस बयान को लेकर राहुल पर हुआ एक्शन?
दरअसल, राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था.
अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? पूर्णेश भूपेंद्र पटेल सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे. वे दिसंबर में सूरत से फिर विधायक चुने गए हैं.
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