Hijab Verdict: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा. अदालत के इस फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने असहमति जताई है. उन्होंने सवाल उठाया है कि स्कूल-कॉलेजों में जब दीवाली की पूजा हो सकती है और तिलक लगाकर बच्चे स्कूल जा सकते हैं तो हिजाब को लेकर इतनी परेशानी क्यों है?
दरअसल, हाईकोर्ट ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में जरूरी धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. इसको लेकर एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने कहा कि धर्म में क्या जरूरी है और क्या नहीं? यह कोर्ट को तय करने का अधिकार है या फिर धर्म गुरुओं का.
ओवैसी ने सवाल उठाया कि पुलिस थानों में दशहरे पर शस्त्रों की पूजा क्यों होती है, कोर्ट के कई जज भी माथे पर तिलक लगाकर क्यों आते हैं और बॉम्बे स्टॉक ऑफ एक्सचेंज में दीवाली पर पूजा क्यों होती है? आखिर हिजाब पहनने से क्या नुकसान हो रहा है? इस देश में कपड़ों की अहमियत क्यों है? जबकि काबिलियत होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियां यूनिफॉर्म के विरोध में कोर्ट नहीं गई थीं, छात्राएं स्कूली यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनने देने की अनुमति के लिए पहुंची थीं.
इससे पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा था, ''मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं. फैसले से असहमत होना मेरा हक है. मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.''
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, मुझे उम्मीद है कि AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) के साथ बाकी संगठन भी इस फैसले के खिलाफ अपील करें.
बता दें कि अदालत ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए मुस्लिम छात्राओं की याचिकाएं खारिज कर दी. अदालत ने इसके साथ ही राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा है.
हिजाब विवाद में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. कर्नाटक में उडुपी के कॉलेज की 6 मुस्लिम लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. विशेष अनुमति याचिका यानी स्पेशल लीव पिटीशन में हिजाब बैन पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है.