कांग्रेस नेता अजय माकन AICC के नए कोषाध्यक्ष होंगे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस नियुक्ति पर मुहर लगा दी है. अजय माकन को यह जिम्मेदारी पवन कुमार बंसल की जगह सौंपी गई है. राहुल गांधी की मुहर और कई दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए अजय माकन कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने हैं. देश की सबसे पुरानी पार्टी में कोषाध्यक्ष का पद बेहद प्रतिष्ठित पद माना जाता है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि माकन की मदद के लिए जल्द ही सह-कोषाध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है.
अजय माकन पंडित उमा शंकर दीक्षित, प्रणब मुखर्जी, सीताराम केसरी, अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा जैसे प्रतिष्ठित कांग्रेस नेताओं की उस लीग में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने कभी कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के रूप में काम किया था. ऐसा माना जाता है कि कोषाध्यक्ष को कांग्रेस अध्यक्ष के बगल में और पार्टी संगठन के प्रभारी एआईसीसी महासचिव के बराबर बैठाया जाता है. ऐसे समय में जब अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा एआईसीसी कोषाध्यक्ष थे, तब संगठन के प्रभारी यानी AICC महासचिव का पद कोषाध्यक्ष के पास होता था.
राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चाओं ने भी अब जोर पकड़ लिया है कि राजनीतिक तौर पर राहुल गांधी की आंख और कान माने जाने वाले माकन जोरदार वापसी करेंगे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पद पर बने रहने के उनके विरोध और उसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के प्रति शत्रुता ने उन्हें संकट में डाल दिया था. एक समय पर माकन प्रशांत किशोर को चुनाव रणनीतिकार और चुनाव प्रबंधन प्रमुख के रूप में पार्टी में शामिल करने के भी प्रबल समर्थक थे.
नवंबर 2022 में कांग्रेस नेता माकन ने कांग्रेस नेता अजय माकन ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर राजस्थान के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी जारी रखने में असमर्थता और अनिच्छा जताई थी. लिहाजा उन्होंने राजस्थान प्रभार का पद छोड़ दिया था. अजय माकन ने इस कदम की वजह 25 सितंबर को हुए राजनीतिक घटनाक्रम को बताया था. दरअसल, माकन 25 सितंबर 2022 को खड़गे के साथ जयपुर गए थे (तब खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं थे). उस दौरान गहलोत खेमे ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने से इनकार कर दिया था. माकन तब राजस्थान कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे थे.
खड़गे को सौंपा था राजस्थान प्रभारी पद से इस्तीफा
लिहाजा माकन आग्रह करते रहे और लिखते रहे कि पर्यवेक्षकों का एक और समूह जयपुर भेजा जाना चाहिए. इस घटनाक्रम के बाद माकन ने अपना विरोध स्पष्ट करते हुए इस्तीफा दे दिया था. अपने इस्तीफे में माकन ने खड़गे को 25 सितंबर 2022 के घटनाक्रम के बारे में याद दिलाने के लिए एक भी शब्द नहीं कहा, लेकिन 137 साल पुरानी पार्टी के इतिहास में पहली बार एआईसीसी पर्यवेक्षक सीएलपी बैठक आयोजित करने में विफल रहे थे.
जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मिला था माकन को मैसेज लेकिन...
दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस के भीतर या बाहर बहुत कम लोगों को पता है कि माकन राहुल गांधी की अनौपचारिक पसंद थे, जब ठीक एक साल पहले गहलोत ने एआईसीसी अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, तब दिग्विजय सिंह आगे आ चुके थे और शशि थरूर भी मैदान में थे, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा भी उस दौरान पूरे जोर-शोर से चल रही थी. तब अजय माकन को एक विश्वसनीय संदेश मिला और उनसे अपना नामांकन तैयार करने के लिए कहा गया. हालांकि माकन इस पर गंभीरता से विचार कर पाते, इससे पहले सोनिया गांधी ने हस्तक्षेप किया और एके एंटनी से कहा कि वे दिग्विजय को अपनी उम्मीदवारी वापस लेने और खड़गे को आगे बढ़ाने के लिए मनाएं. इस संदर्भ में अजय माकन की नियुक्ति उनके राजनीतिक कद और कौशल की स्वीकार्यता है. जिसे राहुल गांधी महत्व देते हैं. अजय माकन कांग्रेस के दिवंगत नेता और ट्रेड यूनियन नेता ललित माकन के भतीजे हैं. ये वही ललित माकन हैं जिनकी हत्या खालिस्तानी उग्रवादियों ने कर दी थी. ऐसा माना जा रहा है कि कोषाध्यक्ष के रूप में अजय माकन की एंट्री पार्टी में टीम राहुल गांधी को मजबूत करने की तैयारी है, जिसमें के सी वेणुगोपाल, जितेंद्र सिंह और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे पदाधिकारी शामिल हैं.
कोषाध्यक्ष के लिए किन-किन नेताओं के नाम चर्चा में थे?
कांग्रेस नेता माकन ने पार्टी कोषाध्यक्ष के रूप में पवन बंसल की जगह ली है. बंसल को पूर्णकालिक सदस्य के रूप में कांग्रेस कार्य समिति में शामिल नहीं किया गया था, जिससे बदलाव का संकेत मिल रहा था. इसके बाद कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला सहित कई नाम चर्चा में थे. सूत्रों का कहना है कि क्रिकेट में राजीव शुक्ला की भागीदारी के कारण उन्हें वह समय और समर्पण नहीं मिल पाएगा जो एआईसीसी कोषाध्यक्ष के काम में मिलता है. इसी तरह कयास ये भी लगाए गए कि मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ को ये जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन कमलनाथ चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. अगर कांग्रेस सूबे में चुनाव जीतती है तो कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने के लिए एक आदर्श विकल्प होंगे.