2024 का लोकसभा चुनाव करीब है. एनडीए (बीजेपी नेतृत्व) और यूपीए (कांग्रेस नेतृत्व) ने अपनी-अपनी चुनावी रणनीतियों को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है. विपक्षी एकता के शोर के बीच बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों में राजनीतिक रूप से चौंकाने वाले फैसले लिए हैं. यही वजह है कि पार्टी ने बिछड़े दोस्तों को गठबंधन में शामिल करने की मुहिम छेड़ दी है. NDA में नई पार्टियों के शामिल होने के साथ बिछड़े दोस्तों की वापसी के लिए भी बातचीत चल रही है. कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश तक और यूपी से लेकर बिहार तक इसका असर देखने को मिल रहा है. आइए जानते हैं 2024 के चुनाव में बीजेपी का प्लान क्या है?
बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 18 जुलाई को दिल्ली के एक होटल में एनडीए की बैठक बुलाई है. इसमें उन सभी पार्टियों को आने का न्यौता दिया गया है, जो 2024 के चुनावी गठबंधन में बीजेपी के साथ होंगे. इनमें पुराने सहयोगी जीतनराम मांझी, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, ओम प्रकाश राजभर का नाम शामिल है. एनसीपी से अजित पवार भी पहली बार एनडीए की बैठक का हिस्सा होंगे. आने वाले दिनों एनडीए में देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के भी आने की संभावना है. जयंत सिंह की पार्टी आरएलडी को लेकर भी चर्चाएं हैं. एनडीए की बैठक में 20 पार्टियों के शामिल होने की चर्चा है. फिलहाल, अभी गठबंधन पार्टियों की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है.
विपक्ष की बैठक भी 18 जुलाई को बेंगलुरु में
वहीं, 23 जून को पटना महाजुटान के बाद विपक्ष की दूसरी बड़ी बैठक आज कर्नाटक के बेंगलुरु में हो रही है. ये बैठक 18 जुलाई को होगी. उससे एक दिन पहले आजविपक्षी दलों के नेताओं के लिए डिनर रखा है. संयुक्त विपक्ष की बैठक में 24 पार्टियों को न्यौता दिया गया है. इस बैठक में आम आदमी पार्टी के शामिल होने को लेकर संशय बना हुआ है. पटना में 16 पार्टियों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन 15 राजनीतिक दलों के नेता ही शामिल हुए थे. इस बैठक में सोनिया गांधी भी शामिल हो सकती हैं.
ओम प्रकाश राजभर वापस एनडीए में आए
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर रविवार को एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं. उससे पहले उन्होंने बीजेपी के सीनियर्स लीडर्स से मुलाकात की. राजभर को लेकर पिछले कुछ दिनों तक चर्चाएं जोरों पर चल रही थीं. अब माना जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर ने एनडीए में आने से पहले बड़ा प्लान तैयार किया है. वे अपने छोटे बेटे अरुण राजभर को सुभासपा के टिकट पर गाजीपुर सीट से उप चुनाव लड़वाना चाहते हैं. यहां बीजेपी उन्हें समर्थन दे सकती है. वहीं, ओपी राजभर के भी यूपी सरकार में मंत्री बनने की चर्चा है. पहले बड़े बेटे अरविंद राजभर को बीजेपी से विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा थी. अरविंद सुभासपा में राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव हैं.
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यूपी में नए सिरे से रणनीति, विपक्ष में सेंध की तैयारी
यूपी समेत अन्य राज्यों में आजकल वे सभी नेता बीजेपी और गठबंधन में वापसी करते देखे जा रहे हैं, जो पहले कभी साथ छोड़कर चले गए थे. कहते हैं कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. ऐसे में लोकसभा चुनाव करीब आते ही उत्तर प्रदेश में भी नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है. यूपी में बीजेपी लगातार सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बड़े सियासी झटके दे रही है. पहले राजभर का सपा से गठबंधन टूटा. अब रविवार को दारा सिंह चौहान ने भी सपा का साथ छोड़ दिया और बीजेपी में वापसी करने जा रहे हैं. वे 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए थे. उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है.
क्या रालोद भी आएगी एनडीए के साथ?
पिछले कुछ दिन से राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को लेकर भी चर्चाएं हैं. दरअसल, ओपी राजभर समेत कुछ नेताओं ने कहा था कि जयंत भी बीजेपी के साथ जा सकते हैं. उसके बाद जयंत के कुछ ट्वीट भी वायरल हुए थे. इसके सियासी मायने भी निकाले जाने लगे थे. अब रविवार को एनडीए में एंट्री के बाद ओमप्रकाश राजभर ने भी जयंत को लेकर बड़ा संकेत दिया. जब राजभर से जयंत को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा- उन्हें लेकर अभी थोड़ा धैर्य रखिए. बता दें कि राजभर बार-बार जयंत को लेकर थोड़ा धैर्य रखिए-थोड़ा धैर्य रखिए कहते आ रहे हैं. फिलहाल, यह देखना होगा कि जयंत सपा गठबंधन छोड़कर एनडीए के साथ आते हैं या फिर विपक्षी गठबंधन में रहने का फैसला लेते हैं.
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धर्म सिंह सैनी की भी वापसी होगी?
इसके अलावा धर्म सिंह सैनी को लेकर भी राजभर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा- बीजेपी के लिए जल्द ही धर्म सिंह सैनी को भी आपके सामने लाऊंगा. बता दें कि सैनी भी यूपी चुनाव के वक्त बीजेपी छोड़कर सपा में चले गए थे.
कर्नाटक में बीजेपी के साथ आ सकती है जेडीएस
इतना ही नहीं, बीजेपी बिहार से लेकर पूर्वोत्तर तक की पार्टियों को साधने की कोशिश कर रही है. कर्नाटक में कुमार स्वामी की पार्टी जदएस के एनडीए में शामिल होने की बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. कर्नाटक के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता बसवराज बोम्मई का कहना है कि गठबंधन की बातचीत हमारे राष्ट्रीय नेताओं और जेडीएस सुप्रीमो देवगौड़ा के बीच हुई है. कुमारस्वामी पहले ही अलायंस पर अपनी बात रख चुके हैं. बातचीत चल रही है. आगे का पॉलिटिकल डेवलपमेंट बातचीत के आधार पर होगा.
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आंध्र प्रदेश में टीडीपी से गठबंधन की चर्चा
आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू भी 2024 के चुनाव से पहले एनडीए के साथ आ सकते हैं. पिछले महीने नायडू ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, उसके बाद तेलगू देशम पार्टी (TDP) की एनडीए में वापसी की अटकलें शुरू हो गई थीं. अभी दोनों ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
नायडू से गठबंधन को लेकर अमित शाह, जेपी नड्डा के बीच बातचीत हुई है. हालांकि, खबर है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की चर्चा खटाई में पड़ गई है. आंध्र प्रदेश में बीजेपी ना तो खुलकर वाईएसआर कांग्रेस का विरोध कर रही है और ना ही समर्थन. ऐसे में टीडीपी गठबंधन को लेकर दुविधा बनी हुई है. नायडू की पार्टी पहले भी एनडीए का हिस्सा रही है.
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एनडीए की बैठक में होंगे पीएम मोदी
एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे. जन सेना प्रमुख पवन कल्याण भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे. पवन कल्याण बीजेपी के सहयोगी रहे हैं और टीडीपी के भी करीबी माने जाते हैं. बताते चलें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली बार है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल और जनता दल (यूनाइटेड) समेत अन्य पुराने और बीजेपी के प्रमुख सहयोगियों के बिना एनडीए बैठक होगी. इन पार्टियों ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है.
बिहार में बीजेपी का फोकस, नीतीश विरोधी एक मंच पर!
बिहार में भी बीजेपी की कोशिशें रंग ला रही हैं. वहां नीतीश का साथ छूटने के बाद बीजेपी उन पार्टियों को एक मंच पर ला रही है, जो महागठबंधन से अलग हो गए हैं. इनमें जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी का नाम शामिल है. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) को भी एनडीए की बैठक में शामिल बुलाया गया है. यूपी और बिहार में एनडीए और यूपीए का खास फोकस भी देखने को मिल रहा है. दोनों राज्यों में बीजेपी अपनी बढ़त बनाए रखने की कोशिश में जुटी है. कई पार्टियों से गठबंधन की बातचीत अंतिम चरण में है और कभी भी ऐलान किया जा सकता है.
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पंजाब में अकाली दल का स्टेटस क्लियर!
पंजाब में अकाली दल के साथ आने की अटकलें भी थीं. लेकिन, पिछले दिनों शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने साफ कर दिया है कि वो एनडीए गठबंधन में नहीं जाएंगे. राज्य में उनका बसपा के साथ अलायंस है और यह अच्छा चल रहा है. इसलिए अलायंस की बातें ठीक नहीं हैं. सूत्रों की मानें तो अकाली दल की एनडीए में वापसी का पेंच फंस गया है. शिअद पंजाब में नए सिरे से सीटों का बंटवारा चाहता है.